मुंगेरी लाल के हसीन सपनों ने सभी की लुटिया डुबो दी, दिल्ली के मुंगेरी लाल बने अरविंद केजरीवाल जिन्होंने सत्ता में आते ही रुदाली राग और विधवा विलाप के अतिरिक्त कुछ नहीं किया, वो अब जनता की बैंड बजाने पर तुले हुए हैं! दिल्ली को मुंगेरी लाल के हसीन सपने दिखाने वाले केजरीवाल ने दिल्ली को लंदन-पेरिस की तर्ज पर व्यवस्था देने का वादा किया था और असल में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली को दिल्ली ही नहीं रहने दिया है। उनके झूठ से दिल्ली की जनता त्रस्त हो चुकी है और इस बार मामला उनके बस और ट्रांसपोर्ट मॉडल का है, जिसपर न ही इतने सालों से केजरीवाल सरकार ने ध्यान दिया और न ही उसको सुचारु रूप से चलाने के लिए कोई कदम उठाये। आलम यह है कि अब बसें जलती जा रही हैं और वो दिन दूर नहीं जब कोई अनहोनी घट जाए और किसी की जान पर बन आए। सोई हुई राज्य सरकार से दिल्ली की जनता बस एक ही सवाल पूछ रही है कि सीएम केजरीवाल, क्या आप डीटीसी बसों में लोगों के जिंदा भुनने का इंतजार कर रहे हैं?
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जानें क्या है पूरा मामला?
‘बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है, हर शाख पर उल्लू बैठें हैं अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा।’ लोकलुभावन वादे, झूठे आडंबरों में आकंठ डूबे अरविंद केजरीवाल के मॉडलों में से एक दिल्ली मॉडल ने एक बार फिर से अपना दम तोड़ दिया है। इस बार यह दम सरेआम बीच रोड पर टूटता दिखा, जहां डीटीसी बसें बीच रोड पर स्वाहा होती नजर आई। ऐसे में राज्य की जनता पीड़ा में “डीटीसी बसें हो रही हैं कम, आओ केजरी को बताये हम” के नारे लगाने को तैयार बैठी है। दिल्ली मॉडल को ध्वस्त करने के लिए केजरीवाल स्वयं ही काफी हैं। दिल्ली को लंदन-पेरिस के समकक्ष बनाने वाले दावों के प्रणेता अरविंद केजरीवाल ने असल में दिल्ली को दिल्ली भी नहीं रहने दिया है। उनके झूठ से दिल्ली की जनता त्रस्त हो चुकी है, जो केजरीवाल के झूठ के साम्राज्य में सेंध लगाते दिख रहा है।
दरअसल, दिल्ली में बीते दो माह में 5 बसें बीच चौराहे पर स्वाहा हो गई। हालिया मामला है, दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बस में मंगलवार को शांति वन के पास आग लग गई, जो एक महीने में इस तरह की तीसरी घटना है। अधिकारियों ने कहा कि किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। आग नंद नगरी डिपो से चलने वाली एक गैर-वातानुकूलित बस के पिछले हिस्से में लगी थी। ज्ञात हो कि पिछले दो महीनों में जिन पांच बसों में आग लगी, उनमें से चार लाल (AC बसें) और एक हरी (गैर-AC) थी।
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जनता को और कितना सताओगे विज्ञापनजीवी केजरीवाल!
यह आग लगने का सिलसिला यूं ही क्रम-दर-क्रम इसलिए बढ़ता जा रहा है क्योंकि यह बसें शीला दीक्षित के कार्यकाल से चली आ रही हैं। ऐसे में एक गाडी की क्षमता जितनी होती है उससे दोगुने आंकड़े तक उसका उपयोग किया जाएगा तो गाडी की हालत लचर नहीं तो और क्या होगी! केजरीवाल सरकार ने विज्ञापनों में जितना बस-बस चिल्लाया, उसपर लगाया हुआ राजस्व वास्तव में नई बसों और उनके रख-रखाव के लिए उपयोग में लाया जाता तो ऐसी हालात होती ही नहीं। दिल्ली में महिलाओं के लिए फ्री बस सेवा के नाम पर जो डीटीसी पर अतिरिक्त दबाव डाला गया वो कितना जायज है वो सबको पता है, पर फ्री की बीमारी ने राज्य की जनता को ऐसा जकड़ा हुआ कि चार दिन कमाने की न सोचते हुए अब हर इंसान फ्री में क्या और कितना मिल पाएगा उसपर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
राज्य की जनता को काल के गाल में डालने के क्रम में केजरीवाल सरकार ने जिस प्रकार डीटीसी बसों को गायब कर, नई बसों को लाने के नाम पर किश्तों में बसों का उद्घाटन कर रही है इससे बड़ा धोखा राज्य की जनता से क्या ही होगा। आला अधिकारियों से रखरखाव और फॉल्ट के बयान दिलाने के अतिरिक्त यदि केजरीवाल सरकार असल कारण की ओर ध्यान केंद्रित करते हुए उसपर कार्रवाई करती तो शायद ये सब होता ही नहीं। डांवा़ोल हालत और चरमरा चुकी बसों का उपयोग मौत को ही दावत देगा और इसका शिकार होगी दिल्ली की जनता। फ्री-पुरुष केजरीवाल को यह बात यदि समय से पूर्व समझ नहीं आती है तो निस्संदेह उनकी सरकार का बंटाधार सुनिश्चित है!
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The Transport Department has constituted a committee to investigate the incidents of fire in DTC buses…the committee will examine the technical aspects and submit its report within 15 days. Based on that further decisions will be taken.https://t.co/982LqWph2x pic.twitter.com/MhUznmTDnw
— SK Iyer (@iyer_sk) April 22, 2022