कोवैक्सिन को प्रभावी बताते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निलंबित की इसकी आपूर्ति

बकलोली के मामले में WHO का कोई सानी नहीं है!

कोवैक्सिन निलंबित

Source- TFIPOST

थूक के चाटने वाले को WHO कहते हैं और इस कला में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कोई सानी नहीं है! WHO द्वारा तकनीकी कमियों का हवाला देते हुए भारत बायोटेक के कोवैक्सिन को निलंबित कर दिया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते शनिवार को कहा कि उसने भारत के भारत बायोटेक द्वारा निर्मित COVID-19 वैक्सीन कोवैक्सिन की संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के माध्यम से आपूर्ति को निलंबित कर दिया है, ताकि निर्माता को सुविधाओं को अपग्रेड करने और निरीक्षण में पाई गई कमियों को दूर करने की अनुमति मिल सके। डब्ल्यूएचओ ने बयान के अनुसार वैक्सीन प्राप्त करने वाले देशों से उचित कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, लेकिन यह साफ नहीं है कि उचित कार्रवाई क्या होगी।

बीते शनिवार, 2 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने संयुक्त राष्ट्र की खरीद एजेंसियों से भारत बायोटेक के कोवैक्सिन की आपूर्ति को निलंबित कर दिया। WHO ने निलंबन के कारण के रूप में जीएमपी की कमियों का हवाला दिया और स्पष्ट किया कि टीके की दक्षता संदिग्ध नहीं है और कोई सुरक्षा चिंता मौजूद नहीं है। WHO के अनुसार, “स्वास्थ्य संगठन के लिए उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि टीका प्रभावी है और कोई सुरक्षा चिंता मौजूद नहीं है।” भारत बायोटेक ने एक दिन पहले सुविधा अनुकूलन के लिए कोवैक्सिन के अपने उत्पादन को अस्थायी रूप से धीमा करने के लिए कहा था। WHO ने कहा कि निर्यात के लिए उत्पादन के निलंबन के कारण कोवैक्सिन की आपूर्ति में रुकावट आएगी।

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EUL के परिणामों के आधार पर लिया फैसला 

TOI की रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूएचओ के बयान में कहा गया है कि “भारत (भारत बायोटेक) ने जीएमपी की कमियों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध किया है और ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) को प्रस्तुत करने के लिए एक सुधारात्मक और निवारक कार्य योजना विकसित कर रहा है। अंतरिम और एहतियाती उपाय के रूप में भारत बायोटेक ने निर्यात के लिए कोवैक्सिन के अपने उत्पादन को निलंबित करने की अपनी प्रतिबद्धता का संकेत दिया है।”

ध्यान देने वाली बात है कि जीएमपी अधिकृत एजेंसियों द्वारा अनुशंसित दिशानिर्देशों के अनुरूप आवश्यक प्रणाली हैं। वैक्सीन क्लीयरेंस प्री-कोविड के लिए सामान्य प्रक्रिया में कम से कम 4-5 साल लगते थे, लेकिन कोविड महामारी ने प्रक्रिया को तेजी से ट्रैक करने के लिए मजबूर किया और कुछ नियामक प्रक्रियाओं को आसान या अलग कर दिया गया और साथ ही टीकों के आपातकालीन उपयोग यानी इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (EUL) के तहत मंजूरी दी गई। टीकों के किसी भी विसंगति या साइड इफेक्ट से बचने के लिए डब्ल्यूएचओ नियमित रूप से ईयूएल निरीक्षण करता है और हाल ही में यह निलंबन 14 से 22 मार्च तक डब्ल्यूएचओ पोस्ट इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (EUL) निरीक्षण के परिणामों के जवाब में है।

चीन की कठपुतली है विश्व स्वास्थ्य संगठन!

गौरतलब है कि निश्चित रूप से डब्ल्यूएचओ महामारी को रोकने में विफल रहा और दवा, उपचार आदि के बारे में अबोध बालक की भांति दिख रहा था। इससे भी बदतर काम तो WHO ने चीन की पीठ थपथपाकर किया, जबकि उसे वायरस और रोगी के बारे में अधिक नैदानिक ​​डेटा देने के लिए कहा जाना चाहिए था।  WHO कोविड की उत्पत्ति के वास्तविक कारण का विश्लेषण करने में विफल रहा और डब्ल्यूएचओ की टीम ने महामारी शुरू होने के महीनों बीत जाने के बाद कोविड की उत्पत्ति की जांच के लिए चीन का दौरा किया। इतने लचीलेपन और अमानवीय व्यवहार वाले WHO को भारत की वो Covaxin बुरी लग रही है, जिसकी तारीफ में दूसरी लहर में वो कसीदे पढ़ रहा था।

ऐसे में जहां कई देशों में अभी कोरोना मामले कम हो रहे हैं और जिस प्रकार पश्चिमी, समृद्ध देशों और हमारे देश में टीकाकरण की रफ़्तार तीव्र है लेकिन कई देश ऐसे भी हैं, जिनको अब भी इस दुःख से लड़ना पड़ रहा है। अफ्रीका और अन्य गरीब देशों में टीकाकरण की कम रफ़्तार अभी भी चिंता का विषय है, क्योंकि वायरस उत्परिवर्तन तेजी से हो सकता है और हो सकता है ​​कि टीकाकरण की सफलता को भी यह क्षणभर में अप्रभावी बना दे। WHO द्वारा Covaxin का यह निलंबन एक तकनीकी कारण, जी हुजूरी, चाटुकारिता और नौकरशाही द्वारा उत्पन्न की गई बाधा से अधिक है। Covaxin की सफलता और प्रभावी असर को बढ़ावा देने के बजाय डब्ल्यूएचओ का यह कदम उसे पीछे की ओर धकेल रहा है, जो बेहद हास्यपूर्ण और दुखद है क्योंकि वो जान बचाने की चिंता नहीं कर रहा है और अपने EGO को सर्वोच्च मान बैठा है।

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