Dear Ramiz Raja, पाकिस्तान की हालत ठीक करने के बारे में सोचो, भारत को ज्ञान मत दो

खुद की हालत डावांडोल है और ये नौटंकी में लगे हैं!

सौजन्य गूगल

ज्ञान बहादुर बन दूसरों को ज्ञान देना पाकिस्तान की पुरानी आदत रही है। आदत से मजबूर पाकिस्तान ने इस बार फिर उसी रीति-नीति पर चलते हुए भारत और पाकिस्तान के बंद पड़े क्रिकेट मैचों को पुनः चालू करने के लिए याचना की है जो याचना कम और उपदेश अधिक लग रहा है। पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर रमिज़ राजा ने जबसे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अध्यक्ष का पद संभाला है वे भारतीय प्रशंसकों को क्रिकेट का आनंद लेने के बारे में उपदेश देने की कोशिश कर रहे हैं।

इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक साक्षात्कार में, रमिज़ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीति को अलग रखा जाना चाहिए क्योंकि भारतीय प्रशंसक भारत-पाकिस्तान क्रिकेट प्रतियोगिता का आनंद लेना चाहते हैं। मतलब याचना भी करो तो बन्दूक की नली सामने वाले की तरफ रखकर करो।

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रमीज राजा ने चार देशों के टूर्नामेंट के प्रस्ताव को आगे बढ़ाया

रमीज़ के ऐसे बयान दो देशों के मध्य स्नेह बाँटने के लिए नहीं अपितु अपने घर के बुझे चूल्हे जलाने के लिए दिए गए हैं।  रमिज़ ने कहा कि, “जब भी मैं भारत और पाकिस्तान के बारे में बात करता हूं, तो हमेशा एक क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नहीं करता हूँ बल्कि मेरे भीतर का वो क्रिकेटर है जो बाहर आता है। एक क्रिकेटर के रूप में, मैं कहूंगा कि राजनीति को अलग रखा जा सकता है क्योंकि प्रशंसकों को भारत-पाकिस्तान के खेल से वंचित क्यों किया जाना चाहिए।”

चार देशों के टूर्नामेंट के बारे में बात करते हुए, रमिज़ ने आगे कहा, “चार देशों की श्रृंखला जिसमें पीसीबी का उद्देश्य इस सप्ताह आईसीसी में भारत, पाकिस्तान, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को शामिल कर एक वार्षिक टी-20 मैच की सीरीज़ है का विचार इसी तथ्य से उपजा है। और किसी तरह, हमें इसे पूरा करना होगा। और अगर अब नहीं तो कब? क्योंकि तीन पूर्व क्रिकेटर ही अपने-अपने क्रिकेट बोर्ड का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जैसे सौरव गांगुली भारत का, रमीज  राजा पाकिस्तान का, और मार्टिन स्नेडेन न्यूजीलैंड का।”

अब आते हैं उस असलियत पर जिसपर रमीज  के यह बयान केंद्रित हैं। उक्त बयानों से ऐसा लग सकता है कि रमिज़ क्रिकेट को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। बीते वर्ष सितंबर में, रमिज़ ने सीनेट की स्थायी समिति की बैठक के दौरान टिप्पणी की थी कि, “यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) चाहेंगे तो पीसीबी कभी भी धराशाई हो सकता है।

उन्होंने कहा था, “पीसीबी को आईसीसी (अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) द्वारा 50% वित्त पोषित किया जाता है जिसे बीसीसीआई द्वारा 90% वित्त पोषित किया जाता है या एक तरह से भारतीय व्यापारिक घराने पाकिस्तान क्रिकेट चला रहे हैं। अगर कल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगता है कि हम पाकिस्तान को कोई फंडिंग नहीं देंगे, तो यह क्रिकेट बोर्ड गिर सकता है।”

ऐसे में जिस पीसीबी का बहीखाता कुछ ऐसा है जिसमें अधिकांश रूप से पाकिस्तानी क्रिकेट ICC की फंडिंग पर आश्रित है और मूल रूप से पाकिस्तानी उद्यमियों का लेश मात्र भी योगदान इस पीसीबी में नहीं है। स्वयं रमीज  को इसका भय इतना है कि अकाउंटिंग बुक्स देखकर डरे हुए रमीज कहते हैं कि, “हमारा क्रिकेट अभी आईसीसी की फंडिंग पर निर्भर है और जब मैं किताबें देखता हूं तो बहुत डर जाता हूं क्योंकि स्थानीय उद्यमियों का योगदान कम होता है।”

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ऑस्ट्रेलिया पर जीत कुछ खास काम न आ सकी

बता दें, जब से रमिज़ ने पीसीबी की बागडोर संभाली है, उन्हें दर-दर भटकना के साथ ही कठिन समय का सामना करना पड़ा है। सबसे पहले, न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम ने सीमित ओवरों के दौरे को बीच में ही रद्द कर दिया, अपने सामान बाँध और सुरक्षा खतरों का हवाला देते हुए न्यूज़ीलैंड ने रातों-रात देश छोड़ दिया। फिर, नंबर आया इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) का, जिन्होंने कोरोना का हवाला देते हुए पाकिस्तान के अपने चार दिवसीय दौरे को रद्द कर दिया था। पीएसएल को पकड़ना और ऑस्ट्रेलिया की मेजबानी करना पाकिस्तान के लिए हाल की छोटी जीत रही है। हालांकि, यह भी वित्त को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं है।

पीसीबी बार-बार भारत के साथ द्विपक्षीय सीरीज खेलना चाहता है ताकि बाजार से पैसा कमा सके। हालाँकि, पिछली बार जब दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ वर्ष 2012-13 में द्विपक्षीय श्रृंखला खेली थी। तब से, दोनों टीमों ने केवल ICC टूर्नामेंट और एशिया कप में ही मैच खेले क्योंकि BCCI और भारत सरकार ने राष्ट्रीय हितों को खेल से ऊपर रखना जारी रखा है।

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जहां भी भारत खेल में शामिल होता है वहां पैसा बहता है

पूरा क्रिकेट जगत समझता है कि जहां भी भारत खेल में शामिल होता है वहां पैसा बहते हुए आता है। इस प्रकार, अपनी निष्क्रिय आक्रामकता के माध्यम से, रमिज़ हितधारकों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे है। हालांकि, जब तक पाकिस्तान भारत को आतंकवाद का निर्यात बंद नहीं कर देता, तब तक कोई क्रिकेट संभव नहीं होगा। मोदी सरकार अपनी मांग पर अड़ी हुई है और भारतीय प्रशंसक उसी मांग के साथ खड़े हुए हैं। ऐसे में भीख मांगी जाए तो अदब से मांगी जाए, पाकिस्तान को ये लिबिर-लिबिर करना बंद करना ही पड़ेगा।

 

 

 

 

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