मेवात बनने की राह पर चल पड़ा है दिल्ली का जहांगीरपुरी

रोहिंग्याओं को रडार पर लेने का यह बिल्कुल सही समय है!

जहांगीरपुरी मेवात

Source- TFI

जब-जब देश में टूट होगी उन चरमपंथी और कट्टरपंथी तत्वों पर बातें अवश्य होंगी, जो घर के भेदी के रूप में काम करते आए हैं। देश की एकता और संप्रभुता पर सवाल उठाना और उसे खोखला करने की कोशिश करना देश में ही रह रहे कट्टरपंथियों के खून में बसा हुआ है। ये मौका मिलते ही देश को तोड़ने की अपनी हर मुमकिन कोशिश करने में लगे रहते हैं। दिल्ली के जहांगीरपुरी की घटना को ही देखा जाए तो वहां की यथास्थिति ठीक वैसी ही हो गई है जैसी कभी हरियाणा के मेवात में हुई थी। देश में रोहिंग्या समस्या खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। ये एक राज्य से यदि भगाए जाते हैं तो ये दूसरे राज्य में डेरा जमा लेते हैं। जहां जम्मू कश्मीर में रोहिंग्या समुदाय के लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है, तो वहीं, इन्हें अब कोई भी राज्य अपनाने से मना कर रहा है। लेकिन अब यही रोहिंग्या घुसपैठिए मेवात के बाद दिल्ली में अपना डेरा जमा चुके हैं। जहांगीरपुरी की हालिया हिंसा ने मेवात के कुछ घटनाक्रमों को फ्लैशबैक मोड़ पर ला दिया है, जहां यही कट्टरपंथी कानून व्यवस्था को ताक पर रखकर अपना राज चलाने की बातें कर रहे हैं।

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जहांगीरपुरी में दिखा मेवात मॉडल

दरअसल, फरवरी माह में जब हरियाणा के मेवात जिले में एक गाय तस्कर को गिरफ्तार करने पुलिस गई थी तो पुलिस टीम पर हमला हो गया था। यह हिंसा पत्थर बरसाने से शुरू हुई थी और उपद्रव तक जा पहुंची। यह सभी वो कट्टरपंथी थे, जिनके मन में न तो शासन का डर था और न ही प्रशासन का भय व्याप्त था। इनके नियम शरिया पर शुरू और कलमा पर ख़त्म होते आए हैं। अल्लाह ने जो नहीं कहा वो भी प्लांट करके इन सभी कट्टरपंथ उपासकों ने ऐसे परोसा है कि लोग उसे सच मानकर कट्टरता के रास्ते पर चले जाते हैं। ऐसे में जब जहांगीरपुरी हिंसा में पत्थर की बरसात हुई तो यह मेवात मॉडल के समान दिखा, जहां पुलिस अधिकारियों पर पथराव किया गया था, जिन्होंने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में प्रवेश करने की हिम्मत की, क्योंकि स्थानीय जिला सभी प्रकार के अपराधियों, विशेषकर साइबर अपराधियों को शरण देने के लिए कुख्यात था। इसके परिणामस्वरूप वहां का संघर्ष दिल्ली की हिंसा का पूरक सिद्ध हो रहा है, जहां पुलिस पर पथराव, गाड़ियों में आगज़नी और अन्य कर्मकांड किए गए।

ध्यान देने वाली बात है कि जहांगीरपुरी में सोमवार को एक घटना हुई, जिसमें दंगे करने वाले आरोपी के परिवार के सदस्यों ने जांच के दौरान पुलिस पर पथराव किया। दिल्ली पुलिस के अनुसार, घटना मामूली थी और यह एक “एकतरफा” घटना थी। हालांकि, यह घटना दर्शाती है कि किस तरह से क्षेत्र में आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि “मामले की जांच के लिए उत्तर पश्चिमी जिले की पुलिस टीम सीडी पार्क रोड स्थित कथित शूटर के घर गई थी। वे उसकी तलाश कर रहे थे और उसके परिवार के सदस्यों से पूछताछ करना चाहते थे। हालांकि, जब पुलिस वहां पहुंची तो सोनू के परिवार वालों ने उन पर पथराव किए, जिसके बाद पुलिस ने एक व्यक्ति को मौके से हिरासत में ले लिया।”

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अगला मेवात बनने की राह पर है जहांगीरपुरी

यूं तो, जहांगीरपुरी गुरुग्राम (मेवात) से लगभग 60 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। विकास के मामले में सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक मेवात अक्सर सुर्खियों में बना रहता है और वो सुर्खियों में कभी भी अच्छी ख़बरों के लिए नहीं, बल्कि बुरे कारणों से बना रहता है। यह क्षेत्र आपराधिक गिरोहों के लिए जाना जाता है, जिसे बोलचाल की भाषा में मेवाती गिरोह कहा जाता है।

वर्ष 2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, जिले के सीमावर्ती इलाकों में लगभग 100 ऐसे गिरोह सक्रिय थे। एक समय था जब ये गिरोह छोटे-मोटे अपराधों में लिप्त रहते थे। हालांकि, हाल के दिनों में, वे हत्या, डकैती, कारजैकिंग, चोरी और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों में भी शामिल पाए गए हैं। उस रिपोर्ट में राजिंदर सिंह, सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के हवाले से कहा गया कि “पहले वे साधारण मवेशी पकड़ने वाले या बाइक चोर हुआ करते थे। अब, वे अधिक संगठित हो गए हैं और न केवल राजमार्गों पर ट्रकों को लूटने में लिप्त हैं, बल्कि ड्राइवरों का अपहरण करने के बाद परिवारों से फिरौती भी मांगते हैं।”

एसीपी ने आगे कहा कि “अगर कोई पुलिस पार्टी उन्हें रोकती है तो वे बहुत हिंसक हो जाते हैं। कई बार, कुछ दूरदराज के इलाकों में पुलिस को सुरक्षित मार्ग के लिए कवर लेना पड़ता था।” वसंत कुंज (दक्षिण) के स्टेशन हाउस ऑफिसर वीरेंद्र जैन ने कहा, “अगर कोई पुलिस दल उन्हें रोकता है, तो वे उस पर पत्थरों और आग्नेयास्त्रों से हमला करते हैं।” यहां जिस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है वह है गिरोह के सदस्यों के भीतर कानून का लेश मात्र भय न होना। वहीं, जहांगीरपुरी में हिंसा में लिप्त लोगों के बीच भी कानून का भय नहीं देखा जा रहा है। ऐसे में जहांगीरपुरी अगला मेवात बनने की राह पर है और यदि समय रहते यथोचित निर्णय नहीं लिए गए तो यह घातक नहीं विनाशकारी हो सकता है।

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