पवन हंस लिमिटेड की भर्ती को लेकर सोशल मीडिया पर एक विवाद छिड़ गया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे संदेश के अनुसार,पवन हंस लिमिटेड में शामिल होने वाले सभी नए प्रशिक्षु ‘मुस्लिम’ हैं। वायरल संदेश के बाद तो बवाल ही मचा गया। दरअसल इस खबर के वायरल होने के बाद कई नेटिज़न्स ने इस प्रशिक्षु कार्यक्रम में केवल एक धर्म के लोगों को भर्ती करने को लेकर भारत सरकार की आलोचना की।
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कंपनी और विश्वविद्यालय के बीच हुआ था समझौता
दरअसल, पवन हंस हेलीकॉप्टर कंपनी और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के बीच 2017 में एक समझौता हुआ था जिसमें दोनों के बीच शुरू में बीएससी (एयरोनॉटिक्स) पाठ्यक्रम के लिए विमानन उद्योग के लिए प्रशिक्षण क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की गई थी। इसके साथ ही विमानन क्षेत्र में बीएससी कोर्स के लिए संभावना तलाशने पर भी सहमति जताई गई थी।
आपको बता दें कि पवन हंस लिमिटेड भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक सरकारी स्वामित्व वाली संस्था है,जिसे केदारनाथ और वैष्णो देवी मंदिर जैसे पवित्र तीर्थ स्थलों पर विशेष हेलीकॉप्टर सेवाएं प्रदान करने का काम सौंपा गया है।पवन हंस लिमिटेड पहले भी विवादों के केंद्र में रहा है। गौरतलब है कि 2018 में सिविल एविएशन (डीजीसीए) निदेशालय द्वारा तैयार की गई जांच रिपोर्ट ने सुझाव दिया था कि पिछले 30 वर्षों में पवन हंस हेलीकॉप्टर लिमिटेड (पीएचएचएल) से जुड़े 25 दुर्घटनाओं में से 20 में परिचालक सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट के अनुसार, 1988 से ही, 60 यात्रियों, 27 पायलटों और चार चालक दल सहित दुर्घटनाओं में 91 लोग मारे गए थे।
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जांच रिपोर्टों ने कंपनी पर क्या आरोप जड़ा?
जांच रिपोर्टों ने पवन हंस हेलीकॉप्टर लिमिटेड प्रबंधन पर सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघन के लिए भी आरोप लगाया। पवन हंस की घटिया सेवा का ही नतीजा है की 2011 में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दर्जी खंडू और सात पीएचएचएल पायलट समेत दुर्घटनाओं में 31 लोग मारे गए थे।अब यह जानना जरूरी है कि एक सरकार समर्थित कंपनी लगातार खराब प्रदर्शन कैसे कर रही है? इतनी बुरी सेवा के लिए पवन हंस हेलीकॉप्टर लिमिटेड पर कभी प्रश्न क्यों नहीं उठाया गए हैं?
इस प्रकार यह मामला इंगित करता है कि जमीला मिलिया इस्लामिया पवन हंस लिमिटेड के साथ साझेदारी में चलाए जा रहे अपने पाठ्यक्रमों में केवल मुस्लिम छात्रों को प्रवेश दे सकता है और यदि सूची वास्तव में जामिया मिलिया के केवल मुस्लिम छात्रों को पवन हंस लिमिटेड में प्रशिक्षुता दी जा रही है तो यह हिन्दू विरोध को लेकर एक गंभीर सवाल खड़ा करता और यह भी दर्शाता है कि कैसे एक भी गैर-मुस्लिम छात्र की सूची में जगह नहीं मिला यह सोचने वाली बात है साथ ही यह एक बहुत गंभीर मामला है जिसको लेकर भारत सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए।