कोहली-कुंबले विवाद की असली कहानी का हुआ पर्दाफाश, समझिए किसके इशारे पर हुआ था पूरा कांड!

कोहली और कुंबले का विवाद फिर से चर्चाओं में

कुंबले कोहली

सौजन्य गूगल

भारतीय क्रिकेट आज उस दौर से गुजर रहा है जहां उसके खिलाड़ी तो खिलाड़ी कोच भी द्वंद्व में शामिल रहते हैं। ऐसा ही एक प्रकरण पूर्व स्पिनर और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व हेड कोच अनिल कुंबले और विराट कोहली का है जो एक बार फिर से चर्चा में आ गया है।

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विनोद राय ने अपनी किताब में लिखी हैं महत्वपूर्ण बात

पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) विनोद राय, जिन्होंने 2017 से लगभग तीन वर्षों तक भारतीय क्रिकेट को चलाने वाली सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (CoA) के प्रमुख के रूप में भी कार्य किया था, राय ने अपनी किताब नॉट जस्ट ए नाइटवॉचमैन – माई इनिंग्स इन द  बीसीसीआई में लिखा, “कप्तान (विराट कोहली) और टीम प्रबंधन के साथ मेरी बातचीत में, यह बात सामने आई थी कि कुंबले बहुत अधिक अनुशासक थे और इसलिए टीम के सदस्य उनसे बहुत खुश नहीं थे।” इसके बाद अटकलों और भारतीय क्रिकेट जगत में चर्चाओं का केंद्र बन चुकी यह किताब खूब सुर्खियां बटोर रही है।

दरअसल, 24 जून 2016 को बीसीसीआई द्वारा अनिल कुंबले को 1 वर्ष के लिए भारतीय टीम का मुख्य कोच नियुक्त किया था पर 1 वर्ष पूर्ण होने से पूर्व ही कुंबले ने 20 जून 2017 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसकी सबसे बड़ी वजह विराट कोहली का कुंबले से कमज़ोर तालमेल  को बताया जाता रहा था पर विनोद राय की किताब ने सब आईने की तरह स्पष्ट कर दिया कि कैसे विराट कोहली और कुछेक अन्य खिलाड़ियों को कुंबले मात्र इसलिए नहीं पसंद थे क्योंकि वो अनुशासन में कमी नहीं आने देते थे।

पूर्व आईएएस अधिकारी ने अपनी किताब में कहा कि कोहली ने कुंबले द्वारा युवा खिलाड़ियों को यह सूचित किए जाने का उल्लेख किया। राय ने कहा, “मैंने इस मुद्दे पर विराट कोहली से बात की थी और उन्होंने उल्लेख किया कि टीम के युवा सदस्य उनके साथ काम करने के तरीके से भयभीत महसूस करते हैं।”

जब आप अपने देश का नेतृत्व कर बाहर खेलने जाते हैं तो उस जवाबदेही को खिलाड़ी न भूल जाएं उस दिशा में कोच काम करता है ऐसे में यदि खिलाड़ी खेल नहीं मौज-मस्ती का उद्देश्य बना लें तो अनुशासनात्मक रूप से संबंधित खिलाड़ी को यदि न समझाया जाए तो टीम पर बेकार प्रदर्शन का दबाव बढ़ेगा जो एक खिलाड़ी की स्पोर्ट्समैन स्पिरिट की हालत दोयम दर्जे की करने में क्षणभर नहीं लगाता।

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कोहली को इतनी अहमियत नहीं दी जानी चाहिए थी

अनिल कुंबले आज तक टेस्ट और वनडे दोनों में भारत के अग्रणी विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। उनका कोचिंग रिकॉर्ड भी कभी भी जर्जर नहीं था क्योंकि टीम, इंग्लैंड में 2017 चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची थी। राय ने अपनी किताब में कहा कि पूरे विवाद के दौरान कोहली को इतनी अहमियत नहीं दी जानी चाहिए थी।

राय ने लिखा, ‘कुंबले के यूके से लौटने के बाद हमारी उनसे लंबी बातचीत हुई। जिस तरह से पूरे प्रकरण को अंजाम दिया गया था, उससे वह स्पष्ट रूप से परेशान थे। उन्हें लगा कि उनके साथ गलत व्यवहार किया गया है और एक कप्तान या टीम को इतना महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। टीम में अनुशासन और व्यावसायिकता लाना कोच का कर्तव्य था और एक सीनियर होने के नाते खिलाड़ियों को उनके विचारों का सम्मान करना चाहिए था।

विवाद बढ़ने के बाद  मीडिया में दरार की खबरें आने लगीं, बीसीसीआई की क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) – जिसमें सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण शामिल थे, उन्होंने हस्तक्षेप करने की कोशिश की। तत्कालीन सीईओ राहुल जौहरी और कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने भी कोच और कप्तान के साथ बातचीत की।

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कुंबले ने अपने इस्तीफे की घोषणा की थी

हालांकि, कप्तान कोहली, अपने दृष्टिकोण में बहुत निम्न सोच वाले थे, उन्होंने अपने ईगो को आगे रखते हुए एक नए कोच की नियुक्ति की बात रखी। लेकिन सीएसी ने अपना दबाव बना कुंबले के लिए मुख्य कोच के रूप में कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश की।

जब ऐसा लगा कि विवाद शांत हो जाएगा, कुंबले ने अपने इस्तीफे की घोषणा की, जो पूरे बोर्ड के लिए एक आश्चर्य के रूप में आया। कुंबले ने अपने त्याग पत्र में लिखा, “… मुझे बीसीसीआई ने सूचित किया कि कप्तान को मेरी ‘शैली’ और मेरे मुख्य कोच के रूप में बने रहने के बारे में आपत्ति है। मैं हैरान था क्योंकि मैंने हमेशा कप्तान और कोच के बीच की भूमिका की सीमाओं का सम्मान किया था।”

ऐसी घटनाएकभी जेंटलमैन का खेल अब रफियों के खेल में बदल गया है, जिसमें राजनीतिक चेहराविहीन प्रशासक और उपद्रवी क्रिकेटर खेल खेल रहे हैं। और अगर कोई खेल अपने दिग्गजों का सम्मान नहीं कर सकता है, तो निश्चित रूप से उसे खुद को ‘सज्जनों का खेल’ कहने का अधिकार नहीं है।

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कोहली 20 साल के समय में अपनी आत्मकथा में घटनाओं के अपने संस्करणों के साथ आ सकते हैं, लेकिन अनिल कुंबले जैसे क्रिकेट के दिग्गज का सम्मान नहीं करने के लिए उनकी विरासत हमेशा कलंकित होगी। जहां कोहली ने टेस्ट क्षेत्र में टीम का शानदार नेतृत्व किया, वहीं एक आईसीसी और आईपीएल ट्रॉफी ने उन्हें अपने पूरे कप्तानी करियर में पीछे छोड़ दिया। शायद, अगर कोहली अपने वरिष्ठों का सम्मान करते, तो हार नहीं होती और भारत को एक और आईसीसी ट्रॉफी मिल जाती।

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