हिपोक्रेसी का कोई ओलंपिक होता, तो उसमें एक संस्थान निस्संदेह टॉप करता। पिछले कुछ सालों में इस मीडिया हाउस ने कई ऐसी खबरें और भ्रामक रिपोर्ट प्रकाशित किए हैं, जो झूठे निकले और उसके लिए उन्हें जमकर लताड़ भी लग चुकी है। लेकिन इतना सब होने के बावजूद ये सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। इस मीडिया हाउस ने तय कर लिया है कि उसे हर हाल में लोगों तक भ्रामक खबरें ही पहुंचानी है और अपनी भद पिटवानी है! इस बार भी इसने कुछ ऐसा कांड किया, जिसके बाद से उसे सोशल मीडिया पर जमकर लताड़ लगाई जा रही है।
दरअसल, कुछ लोगों की आदतें कभी नहीं बदलती, और न्यू यॉर्क टाइम्स भी उन्हीं में से एक है। इसकी रिपोर्टिंग देखकर यदि विल स्मिथ भी कूट दें तो आश्चर्य नहीं होगा। भारत के आर्थिक रिकवरी का उपहास उड़ाने वाले इस मीडिया संस्थान ने अब अमेरिकी की आर्थिक हालत पर टिप्पणी की है, जिसको देखकर आपको क्रोध कम और इनकी हिपोक्रेसी पर हंसी अधिक आएगी। वो कैसे? असल में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की इस समय विभिन्न कारणों से लंका लगी हुई है। कोविड के कारण आए हुए कई आर्थिक संकटों से जूझ रहे अमेरिका को विभिन्न आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ रहा है। बेरोजगारी वर्षों के चरमोत्कर्ष पर है। जीडीपी गिरती ही जा रही है। परंतु न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए सब चंगा सी!
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बाइडन प्रशासन का मुखपत्र बना न्यू यॉर्क टाइम्स
जी हां, यही न्यू यॉर्क टाइम्स की परिभाषा है। जो काम कभी कांग्रेस के लिए एनडीटीवी जैसे चैनल, द हिन्दू और इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबार किया करते थे, वही अमेरिका में न्यूयॉर्क टाइम्स अमेरिकी प्रशासन के लिए कर रहा है। इस वर्ष के प्रारंभ में अमेरिका की जीडीपी 0.4 प्रतिशत से गिरी है। ये निस्संदेह अमेरिका के लिए शुभ संकेत नहीं है। परंतु न्यू यॉर्क टाइम्स के अनुसार, “कंपनियों ने कोविड के समय इतना सामान इकट्ठा कर लिया कि 2022 में नया समान खरीदने के लिए उनके पास समय ही नहीं बचा, जिससे फैक्ट्री आउटपुट में वृद्धि कम हुई। इसी भांति अमेरिका में इंपोर्ट्स कम हुए हैं जबकि एक्स्पोर्टस घटे हैं। बाकी देशों को समय पर रिकवर होने का समय ही नहीं मिला, ताकि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुचारु रूप से चालू हो सके!”
अब आप भी सोच रहे होंगे, इतना झूठ परोसता कहां से है न्यू यॉर्क टाइम्स? करते कैसे हैं ये सब? परंतु यही इनकी रोजी रोटी है। आतंकियों के महिमामंडन से लेकर भारत को निरंतर नीचा दिखाने तक, ऐसा कोई कार्य नहीं जो न्यूयॉर्क टाइम्स ने नहीं किया है। अपने अंध विरोध में न्यू यॉर्क टाइम्स तो इतना नीचे गिर गई कि सितंबर 2021 में उन्होंने पीएम मोदी पर एक मीम को फ़ैक्ट चेक किया है!
न्यू यॉर्क टाइम्स ने निकाला था स्पष्टीकरण
असल में पीएम मोदी ने हाल ही में कोविड के पश्चात पहली बार विदेश यात्रा की, जिसके अंतर्गत वे अमेरिका गये। उनकी यात्रा काफी सफल रही, क्योंकि लाख चाहने के बाद भी ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ के चहेते, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन एवं उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भारत के विरुद्ध विष नहीं उगल पाए। इसी बीच पीएम मोदी से संबंधित एक मीम काफी वायरल हुआ, जो कुछ इस प्रकार था–
अगर आप चित्र को ध्यान से देखें तो ये एक व्यंग्यात्मक चित्र (मीम) है, क्योंकि अंतिम लाइन में लिखा है, “परम पूज्य मोदीजी एक ब्लैंक पेपर पर हस्ताक्षर कर रहे हैं ताकि हमारे देश पर अपनी कृपा बनाए रखें। हर हर मोदी!” न्यूयॉर्क टाइम्स वास्तव में पीएम मोदी का कितना पक्षधर है, ये भी किसी से नहीं छिपा है। लेकिन न्यू यॉर्क टाइम्स ने व्यावहारिकता की धज्जियां उड़ाते हुए पीएम मोदी के मीम को ही ‘फ़ैक्ट चेक कर दिया।’ हम मज़ाक नहीं कर रहे हैं।
न्यू यॉर्क टाइम्स ने पूरा स्पष्टीकरण निकालते हुए ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री मोदी को प्रमुखता में रखते हुए ये कतई फर्जी चित्र है। नरेंद्र मोदी पर हमारी तथ्यामक रिपोर्टिंग यहाँ पढ़ सकते हैं।” ऐसे में जब न्यू यॉर्क टाइम्स अमेरिका की अर्थव्यवस्था को चमकाने का भरसक प्रयास कर रहा हो, तो यह इसी बात को सिद्ध करता है कि जब बात एजेंडावाद और अपने भद्द पिटवाने की हो, तो न्यूयॉर्क टाइम्स का उसमें कोई सानी नहीं है।
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