मस्जिदों के अंदर दबी हिंदुओं की विरासत को दुनिया के सामने लाने की है आवश्यकता

एक्शन लेेने का आ गया है उचित समय!

मंदिर मस्जिद

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भारत में इस्लामवादी आक्रांताओं ने सैंकड़ों वर्षों तक हिन्दुओं की संस्कृति और विरासत को चोट पहुंचाया। मुग़ल काल में हिन्दुओं के मंदिर अथवा धार्मिक स्थानों को क्षतिग्रस्त किया गया और कई मंदिरों को तोड़कर वहां मस्जिद का निर्माण करा दिया गया। मंदिर हमारे सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं, भारत का इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि इस्लामी आक्रांताओं ने बर्बरता से मंदिरों का विध्वंस कर हमारी संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया। मंदिर न सिर्फ हमारी संस्कृति शौर्य सभ्यता शिक्षा और वास्तुकला बल्कि हमारी सामाजिक उत्कृष्टता का भी प्रतीक है।

भारत में अनगिनत मंदिरों का विध्वंस किया गया

इस्लामी आक्रांता इस बात को समझते थे कि भारत के भावी पीढ़ियों के अस्तित्व को अगर नष्ट करना है तो सर्वप्रथम उनकी संस्कृति और ज्ञान को तोड़ना होगा। एक स्वतंत्र अनुमान के अनुसार इस्लामिक आक्रांताओं ने भारत में अनगिनत मंदिरों का विध्वंस किया और जिस का विध्वंस नहीं कर पाए उसका विकृतिकरण किया शायद इसीलिए आए दिन हर एक मस्जिद के नीचे एक मंदिर के होने का प्रमाण मिल जाता है। बेंगलूर के जुम्मा मस्जिद के मरम्मत के दौरान मिले मंदिर के अवशेष इसी तथ्य को परिलक्षित करते हैं और दिल्ली के कुतुब मीनार के अंदर रखे गए क्षतिग्रस्त गणेश जी की मूर्तियां भी इसी बात का उद्घोष करती हैं।

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इसी क्रम में गुरुवार को मंगलुरु के बाहरी इलाके में एक पुरानी मस्जिद के नीचे एक हिंदू मंदिर जैसी वास्तुशिल्प डिजाइन की खोज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गंजीमठ ग्राम पंचायत सीमा के तहत मलाली मार्केट मस्जिद परिसर में संरचना का खुलासा किया गया था।

आपको बता दें कि मंगलुरु के बाहरी इलाके में मलाली में जुमा मस्जिद में नवीनीकरण कार्य के दौरान गुरुवार, 21 अप्रैल को दोपहर के समय यह खोज सामने आयी। मस्जिद के अधिकारियों द्वारा मरम्मत का काम किया जा रहा था। मस्जिद के एक हिस्से को पहले ही ध्वस्त कर दिया गया था। यह मामला कुछ ही समय में वायरल हो गया, जिसमें हिंदू संगठनों सहित कई लोग मौके पर पहुंच गए और अधिकारियों से दस्तावेजों को सत्यापित करने का आग्रह किया। हालांकि, पुलिस ने कथित तौर पर किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए दोपहर से ही सभी लोगों के प्रवेश से मना कर दिया।

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एक हिंदू मंदिर के होने की है संभावना

इस बात को लेकर लोगों का मानना है कि इस जगह पर एक हिंदू मंदिर के होने की संभावना है, वहीं विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेताओं ने आगे आकर जिला प्रशासन से दस्तावेजों के सत्यापन तक काम रोकने की अपील की है। इस बीच, दक्षिण कन्नड़ आयुक्तालय ने अगले आदेश तक संरचना की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। अधिकारी भूमि अभिलेखों को भी देख रहे हैं और लोगों से दस्तावेज़ सत्यापन के दौरान शांति बनाए रखने की अपील की है।

दक्षिण कन्नड़ के उपायुक्त राजेंद्र केवी ने बताया, “मुझे इस मुद्दे के बारे में क्षेत्र के अधिकारियों और पुलिस विभाग से जानकारी मिली है। जिला प्रशासन पुराने भूमि अभिलेखों और स्वामित्व विवरण के संबंध में प्रविष्टियों को देख रहा है। हम सम्बंधित विभाग और वक्फ बोर्ड दोनों से रिपोर्ट लेंगे।

हम सभी जानते हैं की बर्बर इस्लामी आक्रमणकारी ऐसी किसी भी तकनीक से अवगत नहीं थे जो अजमेर में ढाई दिन में इतनी शानदार वास्तुकला के साथ मस्जिद का निर्माण कर दें। बाबरी मस्जिद भी राम मंदिर के पवित्र अवशेषों पर निर्मित किया गया था परंतु कांग्रेस सरकार ने हिंदुओं में इस पुनर्जागरण की भावना को आगे लाने के बजाए उन्हें अज्ञानता के उस गर्त में धकेलने का काम किया जहां से वह कभी भी अपने वैभवशाली संस्कृति के अवशेष ढूंढने का साहस न जुटा सकें इसके लिए कांग्रेस ने संसद में अधिनियम पारित कर 1947 के पहले के पूजा स्थलों की यथास्थिति को बनाए रखने का निर्देश पारित किया।

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बाकी के बचे सारे मंदिरों का पुनः निर्माण किया जाना चाहिए

हम सभी जानते हैं कि अगर मोदी सरकार इस अधिनियम को छूने का साहस भी करेगी तो तथाकथित बुद्धिजीवी उदारवादी वामपंथी इस्लामिक और कथित धर्मनिरपेक्ष लोग वैश्विक मंच पर भारत को एक और सांप्रदायिक राष्ट्र के रूप में कलंकित करने का प्रयास करने लगेंगे। गौरतलब है कि सरकार को इस पूजा स्थल अधिनियम में काशी विश्वनाथ और मथुरा को राम मंदिर की तरह एक अपवाद के रूप में जोड़ते हुए उनके गौरव गाथा को फिर से स्थापित करना चाहिए और बाकी के बचे सारे मंदिरों का पुनः निर्माण किया जाना चाहिए।

सोचने में तो यह अटपटा सा लगता है लेकिन कहीं ना कहीं यह ज्ञानवापी और मथुरा मॉडल पर ही आधारित है और इन मंदिर का निर्माण इतना भव्य और विराट हो कि हमारी आने वाली पीढ़ियां अपने गौरवशाली संस्कृति के प्रति ना सिर्फ जागरूक हो बल्कि गौरव से भर जाए। इस निर्माण में पर्यटन को बढ़ावा देने की शक्ति भी होनी चाहिए जिससे ना सिर्फ हमारी आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि और संपन्नता में भी तेजी आए और इससे हम भारत की गौरवशाली संस्कृति को पुनः स्थापित कर पाएंगे।

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