‘अमरीचीन’ ब्लॉक बन रहा था, भारत ने अमेरिका और चीन दोनों को अलग थलग कर दिया

सशक्त भारत से भिड़ना पड़ेगा महंगा

अमेरिका चीन

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एक तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ पूरी दुनिया की नज़र भारत पर टिकी है। भारत आज वैश्विक स्तर पर इतना मजबूत हो गया है कि पश्चिम देश सहित अमेरिका भी भारत की चरणवंदना में लगा हुआ है। भारत को अपने पाले में लाने के लिए बाइडन ने कई तरह की धमकी दी पर भारत ने बाइडन को ऐसा हड़काया की आज पूरा अमेरिका प्रशासन भारत की चमचागिरी में लगा हुआ है। बाइडन प्रशासन अब तक अमेरिका की सबसे कमजोर सरकार साबित हो रही है और भारत पश्चिम देश सहित अमेरिका को जरा भी भाव नहीं दे रहा है।

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अमेरिका अब चीन को धमकाने लगा है

आज के परिदृश्य की बात करें तो रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका अब चीन को धमकाने लगा है। एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक ने फिर से चीन को प्रतिबंधों की चेतावनी दी यदि वह यूक्रेन में व्लादिमीर पुतिन के युद्ध के लिए “भौतिक समर्थन” प्रदान करता है। अमेरिका का चीन को टेढ़ी नज़र दिखाना यह साफ़ दर्शाता है की भारत के तरफ से लताड़ पड़ने पर अमेरिका अब भारत को मानाने में जुट गया है।

वैसे हम सभी जानते हैं कि बाइडन प्रशासन ने अब तक चीन के लिए सॉफ्ट कॉर्नर के साथ काम किया है। जब चीन से निपटने की बात आती है तो जो बाइडेन डोनाल्ड ट्रम्प की तरह निर्णायक नहीं रहे हैं। अब, स्थिति बदलने की शुरुआत हो गई है, क्योंकि भारत ने अपनी कूटनीति से दुनिया को अपने कदमों में ला कर खड़ा कर दिया है। यूक्रेन में युद्ध ने संयुक्त राज्य अमेरिका को यह बता दिया है कि उसे दुनिया भर में अपने हितों को सुरक्षित करने के लिए कैसे कार्य करना चाहिए। इस बीच, रूस पर बढ़ते प्रतिबंधों ने चीन को भी भयभीत कर दिया है, जो जानता है कि अगर वह इंडो पैसिफिक में अनैतिक कार्य करता है तो उसे इसी तरह की जवाबी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

ब्लूमबर्ग के अनुसार, एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक ने चीन को यूक्रेन में रूस के युद्ध के लिए “भौतिक समर्थन” की पेशकश करने पर प्रतिबंधों की चेतावनी दी, साथ ही भारत को रूसी हथियारों पर निर्भरता समाप्त करने में मदद करने का वचन भी दिया। अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन ने गुरुवार को ब्रसेल्स में एक कार्यक्रम में कहा कि चीन रूसी दुष्प्रचार अभियानों को बढ़ाने जैसे काम करके यूक्रेन की स्थिति को और पेचीदा बना रहा है।

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भारत की कूटनीति का बोलबाला

जब से बाइडन प्रशासन ने संयुक्त राज्य का कार्यभार संभाला है, यह सुनिश्चित करने के लिए भारत की ओर से एक समर्पित प्रयास रहा है कि व्हाइट हाउस यह समझे की चीन न केवल इंडो पैसिफिक में शांति और स्थिरता के लिए खतरा है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी चीन किसी बहरूपिया दानव से कम नहीं है ।

आपको बता दें कि भारत ने क्वाड को कमजोर करने के बाइडन के प्रयासों का विरोध किया, जिन्होंने मंच को रूस विरोधी सक्रियता और जलवायु सतर्कता के लिए एक मोर्चा बनाने की कोशिश की। भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को बार-बार यह याद दिलाने की बात कही कि वैश्विक घटना चाहे जो भी हो, क्वाड को चीन को लेकर सतर्क रहना चाहिए।

आधिकारिक वार्ता में भी, भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को स्पष्ट कर दिया कि चीन द्वारा उत्पन्न खतरे को बेअसर करना इस समय लोकतांत्रिक दुनिया की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

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अमेरिका मदद का वादा करता है

पिछले गुरुवार को, अमेरिकी विदेश विभाग के काउंसलर डेरेक चॉलेट ने कहा कि बाइडन प्रशासन भारत के साथ काम करने के लिए उत्सुक है। इसके बाद वेंडी शेरमेन ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ रूसी हथियारों पर अपनी पारंपरिक निर्भरता को कम करने में मदद करने के लिए काम करेगा। शेरमेन ने आगे कहा, भारत का अब रूसी हथियारों के साथ भविष्य नहीं है क्योंकि हमारे प्रतिबंधों ने रूस के सैन्य-औद्योगिक परिसर को आर्थिक और रक्षा चोट पहुंचा दिया है और यह प्रतिबंध जल्द ही वापस नहीं आ रहा है।

अब तो यह देखा जाना बाकी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के साथ काम करने के लिए सहमत है या नहीं। बाइडन प्रशासन को यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि वो दबाव की कूटनीति छोड़ भारत के साथ द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाता रहे क्योंकि यह नरेंद्र मोदी की सरकार है जो किसी के दबाव में नहीं आने वाला है। यह भारत ही है जिसके दबाव में अब बाइडन प्रशासन ने चीन को धमकी देना शुरू कर दिया है। अमेरिका ने बिना किसी अनिश्चित शब्दों के यह कहना शुरू कर दिया है कि अगर चीन इंडो पैसिफिक में देशों को धमकाने का फैसला करता है तो उसको बूरा अंजाम भुगतना होगा।

हालांकि अभी के लिए भारत चीन को वैश्विक स्तर पर दबाव बनाने में सफल रहा है। अब जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने कम्युनिस्ट राष्ट्र को चेतावनी देना शुरू कर दिया है तो ऐसा होना शी जिनपिंग के लिए बहुत भारी पड़ने वाला है।

भारत आज जिस तरह से अपने हितों के लिए फैसला ले रहा है इससे पूरी दुनिया और तथाकथित वैश्विक शक्ति चकित है। भारत में 2014 से पहले की सरकार वाली बात नहीं रही है यह बात पूरी दुनिया समझ चुकी है। आज के परिदृश्य में भारत पर दबाव बनाने की सोचना मूर्खता है क्योंकि मोदी सरकार ने यह बता दिया है कि अगर भारत से पंगा लेने की सोचे भी तो भारत भी कूटनीतिक स्तर पर जवाब देने के लिए तैयार बैठा है।

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