रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) के पूर्व कप्तान विराट कोहली बीते शनिवार को मैच के दौरान एक विवादास्पद अंपायरिंग फैसले का शिकार हो गए। इस फैसले ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी बवाल मचा दिया। पांच बार की चैंपियन मुंबई इंडियंस के खिलाफ RCB 152 के मामूली लक्ष्य का पीछा कर रही थी। तभी MI के कप्तान रोहित शर्मा ने डेवाल्ड ब्रेविस को गेंद दी। इस दक्षिण अफ्रीका के लेग्गी ने टूर्नामेंट की अपनी पहली गेंद पर कोहली के खिलाफ LBW की अपील की। ऑन-फील्ड अंपायर ने उंगली उठाई लेकिन कोहली ने तुरंत डीआरएस (DRS) लिया। रिप्ले के माध्यम से जनता को स्पष्ट दिखा कि गेंद बल्ले और पैड पर एक साथ लगी थी। किन्तु, एक फ्रेम की कमी के कारण तीसरे अंपायर ने ऑन-फील्ड अंपायर के निर्णय के साथ रहने का फैसला किया और कोहली को गलत तरीके से आउट करार दे दिया गया।
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, RCB फ्रैंचाइज़ी ने ट्विटर पर लिखा, “हम एलबीडब्ल्यू के फैसलों के लिए क्रिकेट के एमसीसी कानूनों के माध्यम से पढ़ रहे थे और हमने पाया की MCC के क्रिकेट नियम 36.2.2 के तहत अगर गेंद बल्ले और पैड को एक साथ छूती है माना जाएगा की गेंद बल्ले पर लगी है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि विराट कोहली को शानदार पारी के बाद निराश होकर वापस जाना पड़ा।” इस विवाद ने एक बार भारतीय अंपायरों की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा कर दिया है। एक ऐसा देश जिसने दुनिया को श्रीनिवास वेंकट राघवन जैसा शीर्ष श्रेणी का अंपायर दिया अब उसके गुणवत्ता में गिरावट BCCI की विश्वसनीयता पर एक धब्बा है।
और पढ़ें: अकेले रवींद्र जडेजा पांच हार्दिक पांड्या के बराबर हैं
कृष्णमाचारी श्रीनिवासन
पिछले साल, अंपायर कृष्णमाचारी श्रीनिवासन इसी तरह के एक स्पष्ट स्पाइक को खोजने में विफल रहे और उस विवाद में भी आरसीबी की टीम शामिल थी। हुआ कुछ यूं कि आरसीबी के लिए ओपनिंग करते हुए देवदत्त पडिक्कल ने आठवें ओवर के दौरान लेग स्पिनर रवि बिश्नोई के खिलाफ एक विशाल रिवर्स लैप खेलने की कोशिश की। हालांकि, गुगली के नीचे आने में नाकाम रहने पर गेंद देवदत्त के ग्लव्स को छूकर निकल गयी। ऑन-फील्ड अंपायर केएन अनंतपद्मनाभन ने इसे नॉट आउट करार देते हुए DRS के कारण थर्ड अंपायर के पास भेज दिया। अल्ट्रा-एज ने दस्ताने से एक स्पष्ट स्पाइक दिखाया पर, फिर भी थर्ड umpire ने ऑन-फील्ड अंपायर के निरंकुश सर्वोच्चता को बनाए रखते हुए इसे नॉट आउट ही बताया। थर्ड अंपायर की इस भयंकर गलती के बारे में बात करते हुए पूर्व क्रिकेटर कृष्णमाचार्य श्रीकांत ने ट्विटर पर टिप्पणी करते हुए कहा, “भयानक अंपायरिंग, इस तरह की गलतियां इतनी तकनीक के साथ अक्षम्य हैं और मदद करें!”
विनीत कुलकर्णी
भारतीय क्रिकेट को वर्ष 2015 में एक संक्षिप्त अवधि के लिए विनीत कुलकर्णी की गलत अंपायरिंग को सहना पड़ा। धर्मशाला में खेले गए भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच पहले टी 20 में, प्रोटियाज जीत के लिए 200 रनों का दुर्जेय लक्ष्य का पीछा कर रहे थे और 17वें ओवर में 3 विकेट पर उनके 157 रन थे। ओवर की दूसरी गेंद पर भुवनेश्वर कुमार ने एक इनस्विंग यॉर्कर फेंकी, जिसे दक्षिण अफ्रीका के ऑलराउंडर जेपी डुमिनी ने फ्लिक करने की कोशिश में पूरी तरह से मिस कर दिया और गेंद उनके पैड पर जा लगी। भारतीय खिलाड़ियों ने एलबीडब्ल्यू की ‘सही’ अपील की क्योंकि तकनीक से यह स्पष्ट था कि बल्लेबाज स्टंप के ठीक सामने था।
लेकिन अंपायर कुलकर्णी अडिग थे और उन्होंने बल्लेबाज के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे भारतीय टीम और स्टेडियम में मौजूद दर्शकों को काफी निराशा हुई। तब दक्षिण अफ्रीका ने 2 गेंद शेष रहते जीत कर टीम इंडिया के जख्मों पर नमक छिड़कने में कामयाबी हासिल की। उसी वनडे सीरीज में भी कुलकर्णी ने एक गलत फैसला दिया था, जिससे भारत को मैच गंवाना पड़ा। 304 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए, भारत जीत के लिए तैयार था, लेकिन तभी मोर्ने मोर्कल की गेंद शिखर धवन के पैड पर लगी। नग्न आंखों से ही स्पष्ट था कि गेंद विकेट लाइन को नहीं छू रही थी लेकिन कुलकर्णी ने फिर से उंगली उठा दी और आखिरकार भारत पांच रन से मैच हार गया तथा प्रबंधन को संदिग्ध निर्णय लेने के लिए कुलकर्णी के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
और पढ़ें: एक ओवरपेड अंडरअचीवर और अहंकारी खिलाड़ी हैं हार्दिक पांड्या!
शमसुद्दीन
इस सूची में तीसरा नाम शमसुद्दीन का है। वर्ष 2017 में नागपुर में इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे T20I में भारतीय पक्ष ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 144 का स्कोर बनाया। अंतिम छह गेंदों में केवल 8 रन की जरूरत थी। जसप्रीत बुमराह ने ओवर द विकेट से स्टंप्स पर एक सीधी गेंद फेंकी। गेंद बल्लेबाज़ के पैड पर लग गया, किन्तु गेंद विकेट लाइन यहां भी नहीं छू पाती। भारतीय खिलाड़ियों ने अपील की और शमसुद्दीन ने अंगुली उठा दी। हालांकि, फैसला भारत के पक्ष में गया, लेकिन रीप्ले से पता चला कि रूट के बल्ले से एक बड़ा किनारा लगा था जिसे अंपायर को पकड़ना चाहिए था। इससे पहले, शमसुद्दीन ने विराट कोहली के खिलाफ इंग्लैंड की एलबीडब्ल्यू की सही अपील को भी खारिज कर दिया था, जो उस समय 7 पर बल्लेबाजी कर रहे थे।
इंग्लैंड के कप्तान इयोन मोर्गन ने अंतिम ओवर में शमसुद्दीन के रूट को आउट करने पर “बेहद निराशा” व्यक्त की थी, क्योंकि भारत ने पांच रन की जीत हासिल की थी। इन दोनों फैसलों ने बहुत शोर मचाया और शमसुद्दीन को अंततः बेंगलुरु में तीसरे टी 20 के लिए मैदानी अंपायर से हटाना पड़ा। यह बात तो स्पष्ट है कि खिलाड़ियों के प्रदर्शन मैच के परिणाम पर प्रभाव डालते हैं। अगर परिणाम प्रतिकूल हुआ तो खिलाड़ी को प्रदर्शन के आधार पर बाहर कर दिया जाता है और अगर प्रदर्शन अनुकूल हुआ तो उसे पुरस्कार भी मिलता है, लेकिन अंपायर इस तरह के किसी भी मूल्यांकन से परे होते है और उनका प्रदर्शन तो निश्चित रूप से न सिर्फ मैच पर परिणाम डालता है, बल्कि टीम के मेहनत पर पानी फेरते हुए तकनीक की उपयोगिता को मुंह चिढ़ाता है। क्रिकेट जगत को इसके बारे में संज्ञान लेना चाहिए।
और पढ़ें: टीम के दिग्गज खिलाड़ियों को थका रहा है IPL, BCCI को नई प्रतिभाओं पर देना चाहिए अधिक ध्यान