अज़ान बनाम हनुमान महाराष्ट्र का यह घमासान अब चरम पर है। जिस प्रकार मस्जिदों में नमाज़ लाउडस्पीकर के साथ पढ़ी जाती है, अब हनुमान चालीसा से लेकर सभी अन्य पाठ भी उसके साथ पढ़े जाएं इस पर ठाकरे बनाम ठाकरे के एक साथी मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे उग्र हो चुके हैं और शिवसेना की खोती हिंदुत्व छवि को स्वयं भुनाने में लग गए हैं ताकि एक नया हिंदुत्व वाला विकल्प तैयार हो सके और राज्य में मनसे का जनाधार बढ़ सके। इसी क्रम में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अब अजान के लिए लाउडस्पीकर उपयोग पर बैन लगाने की बात कर रही है तो दूसरी ओर अब उस पक्ष से भी वार शुरू हो गए हैं जिसका नेतृत्व कर रही रही है।
दरसअल, राज ठाकरे ने दो अप्रैल को मस्जिदों से तेज आवाज वाले लाउडस्पीकरों को हटाने की जोरदार वकालत की थी। शिवाजी पार्क में एक रैली को संबोधित करते हुए, मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने यह कहा था कि अगर ऐसा कदम नहीं उठाया गया, तो मस्जिदों के बाहर ‘हनुमान चालीसा’ को अधिक मात्रा में बजाने के लिए लाउडस्पीकर लगाए जाएंगे। 12 अप्रैल को ठाणे में एक सार्वजनिक रैली में बोलते हुए, ठाकरे ने मांग को दोहराया कि मस्जिदों पर लाउडस्पीकर हटाए जाएं, महाराष्ट्र सरकार को 3 मई से पहले कार्रवाई करने का अल्टीमेटम दिया।
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अज़ान बनाम हनुमान चालीसा
इसके बाद महाराष्ट्र में अज़ान बनाम हनुमान चालीसा बहस के बीच राज ठाकरे की हिंदुत्व के लिए नई पिच तैयार करने की नाकामयाब कोशिश कहीं न कहीं शिवसेना और राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। ज्ञात हो कि, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की स्थापना 9 मार्च 2006 को मुंबई में राज ठाकरे द्वारा की गई थी, जब उन्होंने अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के साथ मतभेदों के कारण शिवसेना पार्टी छोड़ दी थी, जो कि महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं और बड़े फैसलों में शिवसेना द्वारा उन्हें दरकिनार कर दिया गया था। शिवसेना जब तक भाजपा के गठबंधन सहयोग और एनडीए का हिस्सा थी तब तक हिंदूवादी विचारों के साथ खड़ी रही, पर जैसे ही उसने महाविकास अघाड़ी के दो अन्य पहियों कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई उस दिन से वो अपने संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के सिद्धांतों को तिलांजलि देती चली गई।
ऐसे में अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अपने आप को हिंदूवादी वैकल्पिक पार्टी बनाने की जुगत में है और इस बार यह मुद्दा उठते ही मनसे को मीडिया की सीधी नज़र भी मिलने लगी जिसके लिए मनसे एक लंबे अरसे से तरस रही थी। इस कड़ी में जहाँ राज ठाकरे राज्य सरकार को घेरने का काम कर रहे थे तो वहीं वो सार्वजानिक रूप से सीएम उद्धव ठाकरे को यह भी याद दिला रहे थे कि वो किसके बेटे हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने बुधवार को शिवसेना और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर अपने प्रमुख राज ठाकरे को दिवंगत शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे का “सच्चा वारिस” घोषित करके हमला किया। पार्टी ने दादर में शिवसेना भवन के बाहर एक बैनर लगाया जिसमें उद्धव ठाकरे पर हिंदुओं द्वारा लगाए गए लाउडस्पीकर को हटाने का आरोप लगाया गया। बाल ठाकरे को संबोधित करते हुए बैनर ने कहा, ‘देखिए, आपका बेटा सीएम उद्धव ठाकरे हिंदू होते हुए भी हमसे हिंदुओं द्वारा लगाए गए लाउडस्पीकर को हटाने के लिए कह रहे हैं। वह हमें हनुमान चालीसा पढ़ने से रोक रहे हैं।”
इस पूरे विवाद में अब मामला बढ़ते-बढ़ते गृह मंत्रालय तक पहुँच गया है जहाँ मनसे ने शिवसेना को खदेड़ने की कोशिश की है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने शुक्रवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में, नासिक मनसे के जिलाध्यक्ष अंकुश पवार ने मांग की है कि केंद्र को मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए कदम उठाना चाहिए और साथ ही महाराष्ट्र सरकार को मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने और सहयोग करने का निर्देश देना चाहिए क्योंकि राज्य में शांति और व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
MNS प्रमुख के इस बयान पर भड़का PFI
इस पर अब कट्टरपंथी और देश विरोधी बयानों के लिए प्रख्यात चरमपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने शुक्रवार को खुली धमकी देते हुए कहा कि अगर मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा दिए गए तो वे किसी को नहीं बख्शेंगे। रामनवमी के जुलूसों पर हमले में कथित रूप से शामिल होने को लेकर कई राज्यों में जांच के घेरे में आने वाले इस संगठन ने कहा कि कुछ लोगों को अज़ान से परेशानी होती है लेकिन अगर लाउडस्पीकर को छुआ गया तो परिणाम भुगतने होंगे।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के मुंबई में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने को लेकर दिए गए 3 मई तक के अल्टीमेटम को लेकर संगठन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( PFI) ने राज ठाकरे पर हमला बोला है। ठाणे के मुम्ब्रा में शुक्रवार को PFI के मुम्ब्रा अध्यक्ष मतीन शेखानी ने कहा, ‘देश में मुस्लिमों पर जुल्म हो रहा है और कुछ लोग मुम्ब्रा का भी माहौल खराब करना चाहते है। मतीन ने कहा कि हमारा नारा है- “छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं।” महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर पर अज़ान को लेकर भी कहा, ‘एक भी लाउडस्पीकर को हाथ लगाया तो PFI सबसे आगे नज़र आएगा।’ज्ञात हो कि यह सब क्रिया की प्रतिक्रिया हैं, राज ठाकरे ने लाउडस्पीकरों को फटकारते हुए कहा था कि, “मैं प्रार्थना करने के किसी के अधिकार का विरोध नहीं करता, लेकिन मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकरों को हटा दिया जाना चाहिए।
मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि उन्हें हटाया जाए। नहीं तो मैं अभी यह कहता हूं, हम उन मस्जिदों के ठीक सामने हनुमान चालीसा का जाप करने के लिए डबल लाउडस्पीकर लगाएंगे। लाउडस्पीकर का उल्लेख किस धर्म में है? क्या आपके धर्म की खोज के समय कोई लाउडस्पीकर था?” बस यह तो होना ही था, अब यह बगावत मुस्लमान और हिन्दू की आस्था से न जुड़कर राजनीतिक हो गई है। शिवसेना का ध्वस्त हो चुका हिंदूवादी कार्ड अब मनसे, राज ठाकरे के नेतृत्व में भुनाने में लग चुकी है। अज़ान बनाम हनुमान की यह रस्साकसी अभी लंबी चलने वाली है क्योंकि अब CAA वाले भारत विरोधी संगठन भी इसमें छलांग लगा चुके हैं।
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