कहते हैं, जल में रहकर मगर से बैर नहीं करते लेकिन ये बात कमलनाथ के समर्थकों को भला कौन समझाए? उन्होंने तो तुरंत अपने सर्वेसर्वा को 2023 के चुनाव के लिए मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया परंतु कांग्रेस हाइकमान ने भी सोचा होगा, हमारे रहते?
दरअसल, कमलनाथ को पदच्युत कर कांग्रेस ने न सिर्फ उनका स्थान दिखाया है, अपितु ये भी सिद्ध किया है कि हाईकमान यानी गांधी परिवार से पंगा लेना कठिन ही नहीं असंभव है। हाल ही में कमलनाथ ने विधानसभा में कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष के पद से त्यागपत्र दिया है। उनकी जगह गोविंद सिंह अब यह पद संभालेंगे।
जारी हुए पत्र में क्या कहा गया?
इंडिया टीवी के रिपोर्ट के अनुसार, “अगले साल मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस ने यह बदलाव किए हैं। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के हाथों जारी हुए पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर पर आपका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। पार्टी आपके योगदान की प्रशंसा करती है। इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष ने डॉ. गोविंद सिंह को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाने के प्रस्ताव पर भी मंजूरी दे दी है।”
परंतु यह केवल संयोग नहीं हो सकता कि यह निर्णय कुछ ही हफ्तों बाद तब लिया गया, जब ये स्पष्ट किया गया कि कमलनाथ ही 2023 में मध्यप्रदेश कांग्रेस की ओर से CM उम्मीदवार होंगे। इस निर्णय के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व की सलाह तक नहीं ली गई, और राज्य इकाई के नेतृत्व ने अपनी ओर से यह निर्णय स्पष्ट तौर पर ले लिया।
TFIPOST के एक विश्लेषणात्मक पोस्ट के अंश अनुसार, “कांग्रेस पार्टी धीरे-धीरे पुराने नेताओं को बेदखल कर उन्हें अप्रासंगिक बना रही है और ये पुराने नेता भी धीरे-धीरे गांधी परिवार के जड़ों को काटकर कांग्रेस को आज़ाद कर रहे हैं। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने 4 अप्रैल को कमलनाथ को अपने सीएम उम्मीदवार के रूप में चुन लिया वो भी दिल्ली हाइकमान की अनुमति के बिना। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव नवंबर 2023 में होना है। कामकाज या मुख्यमंत्री घोषणा की यह शैली कांग्रेस पार्टी के मॉडल के बिल्कुल विपरीत है”।
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समस्या सिर्फ G23 से ही नहीं है, और भी हैं मुद्दे
कहने को कांग्रेस को जी23 से आंतरिक विरोध का सामना करना पड़ रहा है, परंतु समस्या सिर्फ G23 से ही नहीं, कांग्रेस पार्टी में सभी मोर्चों पर आंतरिक विद्रोह है। राज्यों में पुराने गार्ड बनाम नए गार्ड की लड़ाई ने कांग्रेस को केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ तक सीमित कर दिया है। दोनों राज्य के सीएम की अपनी-अपनी लड़ाई है। इसके अलावा केंद्रीय नेतृत्व ने किसी भी स्तर पर काम नहीं किया है और खुले तौर पर पार्टी की पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए अनिच्छुक है।
गांधी परिवार चाहता है कि अंतरिम अध्यक्ष के पास सब कुछ चलता रहे, सब कुछ बंद दरवाजों के पीछे चला जाए और उनके साथ कोई जवाबदेही न जोड़ी जाए। ऐसे में कमलनाथ को पदच्युत कर कांग्रेस हाइकमान गांधी परिवार के प्रभुत्व को कायम रखना चाहती है, परंतु आखिर इसकी कीमत क्या होगी?