कर्नाटक ने हिंदुत्व की क्रांति का बिगुल फूंक दिया है। मुसलमानों द्वारा दिन में पांच बार अजान देकर, हिन्दुओं को यह बताना कि उनका अल्लाह ही सबसे महान और एकमात्र शक्ति है, यह कार्य अब बन्द करने की मांग उठी है। हिंदू संगठनों द्वारा अजान पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई गई है। यह मांग बजरंग दल और श्रीराम सेना द्वारा उठाई गई थी। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे का समर्थन करते हुए, उन्होंने चेतावनी दी कि वे मस्जिदों में लाउडस्पीकर से अजान के विरोध में सुबह 5 बजे भजन बजाएंगे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी और राज्य मंत्री के एस ईश्वरप्पा ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को विश्वास में लेने से ही इस मुद्दे का कोई समाधान निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि समुदाय लंबे समय से नमाज के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की परंपरा का पालन कर रहा है, लेकिन यह छात्रों, बच्चों और मरीजों को परेशान कर रहा है।
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कर्नाटक सरकार जल्द ही कर सकती है मामले का निपटारा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‛एक वीडियो संदेश में, श्रीराम सेना के संयोजक प्रमोद मुतालिक ने कहा कि हिंदू संगठन मांग कर रहे हैं कि मस्जिदों पर लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध लगाया जाए और ध्वनि प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू किया जाए।’ उन्होंने आरोप लगाया कि इस संबंध में श्रीराम सेना ने संबंधित अधिकारियों से गुहार लगाई थी लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। मुतालिक ने कहा कि सरकार को मस्जिद प्रबंधन को लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिदिन रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। मुतालिक ने कहा कि आदेश यह भी कहता है कि स्कूलों और अस्पतालों जैसे क्षेत्रों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन मस्जिद प्रबंधन द्वारा उस आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है। अगर मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए तो हम हर सुबह भजन बजाएंगे।
ध्यान देने वाली बात है कि कर्नाटक सरकार में भी कथित तौर पर इस मुद्दे को लेकर रुझान प्रकट किया जा रहा है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कर्नाटक सरकार इसके पूर्व कई ऐसे निर्णय कर चुकी है जिनसे यह स्पष्ट होता है कि अजान का मुद्दा कर्नाटक में आसानी से समाप्त नहीं होने वाला है। पिछले दिनों दबाव के बाद भी हिजाब के मुद्दे पर कर्नाटक सरकार पीछे नहीं हटी थी। इसके पूर्व भी ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित धर्मांतरण के प्रयासों को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा नियम बनाए गए हैं। ऐसे में इस बात की भी संभावना है कि कर्नाटक सरकार अजान को लेकर भी कोई प्रस्ताव विधानसभा में प्रस्तुत कर सकती है।
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हिंदू जागरण की नर्सरी बन गया है कर्नाटक
आपको बता दें कि कर्नाटक दक्षिण भारत में भगवाकरण की ओर सबसे तेजी से अग्रसर है। यह राज्य हिंदुत्व के प्रतिरोध का आदर्श उदाहरण बनता जा रहा है। कर्नाटक में हलाल मीट को लेकर भी विमर्श शुरू हो चुका है। दक्षिणपंथी हिंदू समूहों ने ‘हलाल’ मांस और उसके उत्पादों का बहिष्कार करने की मांग उठाई है। कर्नाटक में उगादी उत्सव से पहले, राज्य में हिंदुत्ववादी संगठनों ने हलाल-प्रमाणित मांस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। हिंदू जनजागृति समिति सहित संगठनों ने हिंदू समुदाय से, मेन्यू पर हलाल मांस व्यंजन रखने वाले होटलों/भोजनालयों में नहीं जाने के लिए कहा है, कुछ संगठनों ने बेंगलुरु में झटका मांस बेचने वाले मांस स्टॉलों के संपर्क नंबर भी प्रसारित किए हैं।
लंबे समय तक यह विमर्श चलाया गया कि उत्तर भारत के कथित शैक्षणिक पिछड़ेपन के कारण यहां भाजपा की हिंदू मुसलमान की राजनीत सफल होती है। किंतु कर्नाटक दक्षिण भारतीय राज्य है और यहां पर भी हिंदुत्व का विचार प्रमुखता से जगह बना चुका है। वास्तव में हलाल मीट का मुद्दा हो या अजान का अथवा हिजाब का, इन्हें हिंदू मुस्लिम में संघर्ष के रूप में देखना इन मुद्दों के साथ अन्याय है। सत्य यह है कि इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा भारत में इस्लामिक मान्यताओं को बढ़ावा दिया जाता है। यह सभी परंपराएं मुसलमानों में अलग अस्तित्व की पहचान बनाने के लिए, उन्हें भारत की संस्कृति में घुलने मिलने से रोकने के लिए प्रयुक्त होती हैं। भारत की सांस्कृतिक पहचान हिन्दू पहचान है, इसे झुठलाया नहीं जा सकता। यह पहचान इस्लाम के उदय से कई सहस्राब्दियों पुरानी है। हिंदू संगठनों की ओर से उठाई जाने वाली मांग, हिंदू जागरण का उदाहरण हैं और कर्नाटक इस जागरण की नर्सरी बन गया है।
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