KTR राजनीतिक नौसिखिया हैं परंतु भाजपा के प्रभुत्व से वे भी भयभीत हैं

तेलंगाना में भाजपा का उभार !

के टी रामा राव

Source- TFI POST

यदि आपको प्रतीत होता है कि अरविन्द केजरीवाल और शरद पवार जैसे कोई नहीं, तो ठहरिए। इस सूची की कोई सीमा नहीं, और ऐसे अनेक राजनीतिज्ञ, जो राजनीति में भले ही परिपक्व हो या नहीं, परंतु वे अपने विरोधियों को पहचानने में कोई भूल नहीं करते। ऐसे ही एक महानुभाव हैं के टी रामा राव, जो तेलंगाना राष्ट्र समिति के वरिष्ठ राजनेता एवं तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR के पुत्र हैं, और जिनके लिए राज्य में भाजपा का बढ़ता राजनीतिक कद अब चिंताजनक प्रतीत है।

हाल ही में के टी रामा राव के दो बयान सामने आए हैं, जो उनकी चिंता को स्पष्ट रूप से रेखांकित करते हैं। एक में वे स्पष्ट तौर पर भाजपा को उत्तरी भारत की पार्टी करार देते हैं, जो उनके दृष्टिकोण में ‘अखिल भारतीय पार्टी’ नहीं है। के टी रामा राव के मायने में देश में कोई भी ऐसी पार्टी नहीं है जो ‘ऑल इंडिया’ होने का दावा कर सके –

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भाजपा का तेलंगाना में बढ़ता कद

परंतु महोदय इतने पर नहीं रुके। इन्होंने यहाँ तक दावा कर दिया कि कई फिल्में जानबूझकर समयबद्ध तरह से रिलीज़ की जा रही, ताकि चुनाव में भाजपा को लाभ मिल सके, और इसमें उन्होंने प्रभास अभिनीत बहुभाषीय प्रोजेक्ट ‘आदिपुरुष’ तक पर निशाना साधा। ओम राऊत द्वारा निर्देशित इस फिल्म को ‘भाजपा प्रायोजित प्रोजेक्ट’ बताते हुए K.T. Rama Rao कहते हैं, “उरी, कश्मीर फाइल्स, एवं आदिपुरुष एक योजनाबद्ध तरह से रिलीज़ हो रही है। यह एक षड्यन्त्र का भाग है, जिसके अंतर्गत राष्ट्रवाद के साथ धर्मांधता मिला के परोसी जा रही है, और फिल्में भी इसके प्रकोप से नहीं बच पाई है”।

निस्संदेह के टी रामा राव के इस बेतुके और बचकाने बयान से प्रभास के अनेकों प्रशंसक अत्यंत क्रोधित हैं, विशेषकर वे जो रामायण में विश्वास रखते हैं और उसके अनन्य उपासक हैं। लेकिन के टी रामा राव का मूल निशाना बीजेपी है, ये फिल्में नहीं। राजनीतिक रूप से वे किसी राहुल गांधी से कम नहीं, परंतु जो बात K.T. Rama Rao को अन्य लोगों से अलग बनाती है, वो यह है कि उन्हे अपने विरोधियों की स्पष्ट पहचान है। के टी रामा राव भाजपा के तेलंगाना में बढ़ते कद से भली भांति परिचित हैं और वे ये तनिक भी नहीं चाहते कि ये पार्टी उनकी पार्टी को आने वाले चुनाव में अपदस्थ कर दे।

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भाजपा राजनीति पैठ जमानी शुरू की

वो कैसे? कभी छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे राज्यों से आगे नहीं बढ़ने वाली भाजपा ने धीरे धीरे दक्षिण भारत में अपनी पैठ जमानी प्रारंभ कर दी है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण तेलंगाना में दिखा, जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी के अपेक्षाओं के विपरीत 13 में से 4 सीटों पर विजयी होकर भाजपा ने राज्य में प्रमुख विपक्ष की उपाधि प्राप्त कर ली, और आज स्थिति यह है कि विधानसभा में अधिक सीटें होने के बाद भी कांग्रेस का कद राजनैतिक रूप में तेलंगाना में भाजपा से बहुत कम है, और सत्ताधारी टीआरएस के मुकाबले अब भाजपा ही प्रमुख विपक्ष है।

ऐसे में टीआरएस अब सत्ता बचाने के लिए न केवल अधीर हो चुका है, अपितु सत्ता परिवर्तन के ख्याल मात्र से ही बौखला उठता है। ये बौखलाहट ही एक प्रकार से के टी रामा राव के वर्तमान बयान में झलकती है, जहां वे भाजपा के बढ़ते कद को कम न कर पाने की झल्लाहट दिखा रहे हैं। वैसे भी, जब तूफान सामने हो, तो झाड़ू लेकर सामने खड़े होना समझदारी नहीं होती, परंतु टीआरएस और उसके हाइकमान को ये कौन समझाए।

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