वाह जी वाह ! जिस मुद्दे पर चुनाव लड़े, चुनाव जीते और सरकार बनाई अब उसी मुद्दे की बत्ती बनाकर किसानों को तोहफे में देना कहां की समझदारी है। तोहफे तक तो ठीक था, लेकिन सत्ता की सनक और पद की हनक के बीच पंजाब के नए नवेले मुख्यमंत्री ‘पेगवंत मान’ क्षमा कीजिए भगवंत मान ने जो कांड किया है उसके बाद AAP की जमकर खिल्ली उड़ रही है। अपने मालिक अरविंद केजरीवाल के इशारे पर भगवंत मान ने पंजाब में अफरातफरी का माहौल बना दिया है! किसान आंदोलन में किसानों का समर्थन करने, पंजाब चुनाव में किसान ऋण को मुद्दा बनाने और ‘किसाना दी सरकार’ का ढ़ोंग करने वाली आम आदमी पार्टी अब पंजाब में किसानों के विरोध में उतर आई है।
ज्ञात हो कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब में किए वादों के कारण दिल्ली सरीखे मॉडल को पेश करते हुए प्रचंड बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाने में कामयाब रही। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सबसे बड़ा मुद्दा किसान ऋण को ही बनाया था, जिसके बाद उसने अपने घोषणापत्र में भी कर्जमाफी जैसे शिगूफे शामिल किये थे। जैसे ही सत्ता की कुर्सी मिली, वैसे ही पार्टी और उसके नेतृत्वकर्ताओं का ह्रदय परिवर्तन हो गया और अब हाल यह है कि कर्ज माफ़ी तो नहीं, लेकिन कर्ज के बोझ के तले डूबे 2000 किसानों के लिए गिरफ्तारी के वारंट जारी किए गए हैं और कारक और कोई और नहीं राज्य की भगवंत मान सरकार है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, पंजाब में सरकार बदलते ही किसानों के प्रति सत्ताधारी पार्टी की सोच बदल गई है। खेती विकास बैंकों का कर्ज न लौटाने वालों पर मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार सख्त रुख लेती नज़र आ रही है। इसके लिए राज्य में 2 हजार किसानों के गिरफ्तारी वारंट तैयार हो गए हैं। इनमें कुछ नए हैं जबकि कुछ पुराने वारंट भी रिन्यू किए गए हैं। सरकार को 71 हजार किसानों से 3200 करोड़ की वसूली करनी है। पंजाब में 60 हजार किसान डिफॉल्टर हुए हैं। जिन पर 2300 करोड़ का कर्जा बकाया है। इनसे ही फिलहाल सख्ती कर 1150 करोड़ वसूल करने की तैयारी है। पिछले सीजन में बैंक सिर्फ 200 करोड़ ही वसूल कर सके थे।
यह तो आम आदमी पार्टी का त्रिया चरित्र रहा है कि वादा करो और भूल जाओ, फिर चाहे वो दिल्ली में 2 बार से बन रही प्रचंड बहुमत की सरकार हो या पंजाब में बनी हालिया सरकार। पार्टी की ओर से दोनों राज्यों में जनता को छला गया। यह वही आम आदमी पार्टी है जिसकी उत्पत्ति ही जनलोकपाल के नाम पर हुई थी, पर आज वो जनलोकपाल कहां है कोई नहीं जानता। इसी तरह दिल्ली को लंदन-पेरिस बनाने वाले शिगूफों को भी इसी आम आदमी पार्टी ने राजधानी दिल्ली को दिया था और क्या कुछ एवं कितना पूरा हुआ सबने देखा। ऐसी पार्टी से यह उम्मीद तो थी कि वह राज्य को छलेगी पर इतनी तीव्रता से और वो भी उस वर्ग को जिसके दम पर उसे सरकार मिली, यह थोड़ा असहज था।
सरकार के इस कदम से मच गया है बवाल
सरकार के इस कदम से किसान संगठन भड़क गए हैं, जबकि विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने सहकारी बैंकों को कर्ज वसूली के लिए सहकारी संस्थाओं से संबंधित धारा 67ए के तहत छूट दी है कि वह कर्ज की वसूली के लिए डिफाल्टर किसानों को गिरफ्तार करा सकते हैं। इस पूरे क्रम में सबसे बड़ा किरदार उसी आम आदमी पार्टी सरकार का रहा है जिसके मुखिया भगवंत मान और दिल्ली से कंट्रोल करने वाले अरविंद केजरीवाल हैं! चुनाव जीतने तक पार्टी ने खुद को सबसे बड़ा किसान और किसान हितैषी बताया और सरकार बनने के मात्र 1 महीने बाद ही आम आदमी पार्टी ने अपना असली चरित्र दिखाना प्रारंभ कर दिया। इसका निशाना बने किसान, जिनपर क़र्ज़ का दबाव इतना है कि या तो अब उनके जीवन में क़र्ज़माफ़ी होगी नहीं तो वे इस दुनिया में नहीं होंगे! ऐसी हालात में जी रहे किसान को जब गिरफ्तारी के वारंट का सामना करना पड़ा है तो वे स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
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अपनी बातों से पलट गई मान सरकार
बताते चलें कि पंजाब भर के फार्म यूनियनों ने उन किसानों को नोटिस भेजने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की है, जिन्होंने उनके द्वारा लिए गए फसल ऋण के भुगतान में देरी या चूक की है। इतने दबाव के बाद जब आम आदमी पार्टी सरकार को चहुओर से निंदा मिली तो उसे विवश होकर इस मुद्दे पर अपने मंत्री और नेताओं को भेजना पड़ा। ध्यान देने वाली बात है कि ऐसा कर्मकांड करने के बाद AAP ने इस घटना के लिए पूर्व की सरकारों और विशेषकर कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराया है।
वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने एक वीडियो संदेश में कहा, “कांग्रेस ने वर्ष 2017 में सत्ता में आने से पहले किसानों द्वारा लिए गए पूर्ण कृषि ऋण को माफ करने का वादा किया था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया और उन्होंने किसानों को गिरफ्तारी वारंट जारी करना शुरू कर दिया। अब पंजाब कृषि विकास बैंक के कुछ अधिकारियों ने इस गिरफ्तारी वारंट को फिर से जारी किया है। लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि किसी भी किसान को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। हम किसानों को कर्ज से मुक्त करने और खेती को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए एक नई कृषि नीति लेकर आ रहे हैं। हमारे पूर्ववर्तियों ने केवल किसानों को और अधिक कर्ज में डूबा दिया है, और उनके उत्थान के लिए कुछ नहीं किया है।”
यह तो बिलकुल वही हुआ, थूक के चाट लेना। हालांकि, “AAP” प्रमुख और उनके नेता इस कथन को हमेशा से चरितार्थ करते आए हैं। चाहे विरोधी दलों के नेताओं पर बड़े से बड़े आरोप के बदले कोर्ट में फटकार लगने के बाद लिखित रूप से माफ़ी मांगना हो या व्यक्तिगत रूप से अपने निर्णयों को बदलना हो यह आम आदमी पार्टी की रीत ही रही है। उनकी यही मंशा होती है कि पहले रायता फैला दो फिर बटोरने के लिए भी खुद ही सामने भी आ जाओ। मौजूदा समय में पंजाब सरकार कुछ ऐसा ही काम कर रही है।
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