जला लो लाख राष्ट्रवाद की चिंगारी, खत्म न होने वाली यह राजद्रोह की बीमारी! यह कथन आज के परिवेश में बिल्कुल सटीक बैठता है जहां एक वर्ग विशेष राष्ट्रद्रोही को अब एक तमगे के रूप में देख रहा है तो वहीं बढ़ते राष्ट्रवाद को पचा पाना उसी वर्ग के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
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अब लेडी श्रीराम कॉलेज चर्चाओं में हैं
जिस जेएनयू के चर्चे 2016 के बाद राष्ट्रद्रोह के गढ़ के रूप में की जा रही थी आज उसका एक नया पर्याय एक और शिक्षण संस्थान बनने जा रहा है जो दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आता है, नाम है लेडी श्रीराम कॉलेज। दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज (LSR) ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान का एक भाषण रद्द कर दिया था, जो गुरुवार (14 अप्रैल) को अंबेडकर जयंती के अवसर पर होने वाला था। इस रद्द करने के एक मात्र कारक के रूप में वामपंथी छात्र संगठन का दबाव बताया जा रहा है जो जेएनयू पार्ट-2 की स्पष्ट झांकी है।
Can the subaltern speak?
My experience of #CancelCulture! #AmbedkarJayanti pic.twitter.com/MSB9iQ1UmX— Dr. Guru Prakash Paswan (मोदी का परिवार) (@IGuruPrakash) April 13, 2022
दरअसल, LSR के एससी/एसटी सेल द्वारा आयोजित ‘अंबेडकर बियॉन्ड कॉन्स्टीट्यूशन’ शीर्षक वाला एक ऑनलाइन सत्र कथित तौर पर वामपंथी छात्र संघों विशेषकर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) द्वारा की गई आपत्तियों के बाद रद्द कर दिया गया था। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में पटना विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान को आयोजकों ने आमंत्रित किया था।
पासवान ने कार्यक्रम के रद्द होने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, ‘मुझे LSR कॉलेज ने अंबेडकर जंयती के कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन बाद में सूचित किया गया कि एक छात्र संघ के विरोध के कारण इसे रद्द कर दिया गया. यह असहिष्णुता का प्रतीक है।’ भाजपा के प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंबेडकर जयंती पर एक दलित व्यक्ति को बोलने से रोका गया। यह ऐसे समूहों खासकर एसएफआई की तानाशाही और अधिनायकवादी सोच को दर्शाता है, जो लोगों को बोलने से रोक रहे हैं, इस संघ ने अपनी प्रासंगिकता खो दी है।’
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कई इलाकों में हमले और अप्रिय घटनाएं हुई हैं दर्ज
हाल ही में रामनवमी के दौरान देश में कई इलाकों में हमले और अप्रिय घटनाओं को दर्ज़ किया गया। जेएनयू,खरगोन और अन्य कई ऐसे इलाके थे जहां हिंसक झड़प और खुनी संघर्ष देखने को मिला। इसी को ढाल बनाते हुए फांसीवादी संगठन SFI ने LSR में आयोजित इस परिचर्चा को मात्र इसलिए रद्द करवाया क्योंकि वक्ता दलित समुदाय होने के साथ-साथ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं और साथ ही जिस विषय पर चर्चा थी उसमें अंबेडकर विद्यमान थे।
ऐसे में अंबेडकर जयंती पर ‘अंबेडकर बियॉन्ड कॉन्स्टीट्यूशन’ शीर्षक के साथ एक दलित भाजपा प्रवक्ता उद्भोदन दें यह SFI जैसे संगठन को कैसे हजम होता क्योंकि आजतक ये संगठन अंबडेकर शब्द को बपौती समझते आए हैं और ऐसे में उनके एजेंडे का क्या होगा जो चलता ही ब्राह्मण-दलित के विघटन के नाम पर था। ऐसे में जिस पार्टी को ब्राह्मण-ठाकुरों की पार्टी का टैग देने वाले इस बात को कैसे पचा पाते कि उसी पार्टी का एक दलित नेता ‘अंबेडकर बियॉन्ड कॉन्स्टीट्यूशन’ शीर्षक पर छात्रों को संबोधित करे।
भेजे गए संदेश में क्या लिखा गया है?
कार्यक्रम का समन्वय कर रही आस्था कुमारी द्वारा पासवान को भेजे गए संदेश में यह कहा गया कि, कर्नाटक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हाल की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए वार्ता रद्द कर दी गई थी। आस्था ने कहा कि “हमें आपको यह बताते हुए खेद है कि 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती पर हमने जो वार्ता निर्धारित की थी, उसे रद्द करने की आवश्यकता है।
प्रशासन की ओर से ऐसा कोई आदेश नहीं आया है, हालांकि, छात्र संघ की ओर से उनकी असहमति के कारण भारी आक्रोश है। यह कर्नाटक और जेएनयू में हाल के घटनाक्रमों के मिश्रण पर आधारित प्रतिक्रिया है। चूंकि, हम एससी/एसटी सेल के माहौल, विशेष रूप से एलएसआर को अकादमिक के बजाय राजनीतिक स्थान बनने से रोकना चाहते हैं, इसलिए आयोजन को रद्द करने का यह निर्णय ही संस्था के हित में था।”
The intolerant ideological and political assertion of Communist sponsored student bodies, that permeates our academic institutions, is a bane. It obstructs free expression and assimilation of competing ideas.
LSR now succumbs, cancels @IGuruPrakash’s lecture under pressure. pic.twitter.com/CFbZneiUOB
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) April 14, 2022
कितना भी कुछ क्यों न हो, ऐसा ही कुछ यदि जामिया-एएमयू या जेएनयू में वाम समर्थित कार्यक्रमों में होता तो 2020 के दृश्य जीवंत हो जाते। जिस प्रकार वाम समर्थित छात्र संघों द्वारा इस तरह अभिव्यक्ति को अपने हिसाब से तोडा-मरोड़ा जा रहा है उसके यह कार्य स्वतंत्र अभिव्यक्ति में बाधा डालने का काम कर रहे हैं। अब जहाँ दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज (LSR) में यह द्रोही स्वर फूट पड़े हैं, शीघ्र ही ऐसी हरकतों पर यथोचित कार्रवाई नहीं की जाती है तो जेएनयू की ऐसी वामपंथी और फांसीवादी सोच की और शाखाएं देखने को मिलेंगी और तब बहुत देर हो चुकी होगी।