पंजाब में मौजूदा समय में आम आदमी पार्टी की सरकार चल रही है। आम आदमी पार्टी की सरकार जब से पंजाब में आई है तब से ही राज्य में उपद्रव, अराजकता का माहौल बन गया है। राज्य में 80 के दशक वाले हालात हो गए हैं। आज के समय में पंजाब सांप्रदायिक ताकतों के हाथों में आ गया है। पंजाब चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का खालिस्तान से गंठजोड़ की बातें कही जा रही थी लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पंजाब खालिस्तानी ताकतों के ही गिरफ्त में चला गया है! दरअसल, पंजाब के पटियाला में पवित्र मां काली मंदिर के बाहर बीते दिन शुक्रवार को खालिस्तान समर्थकों और एक हिंदू संगठन के सदस्यों के बीच झड़प देखने को मिली। यह घटना शिवसेना (बाल ठाकरे) द्वारा निकाले गए ‘खालिस्तान मुर्दाबाद’ मार्च के दौरान हुई थी, जब खालिस्तान समर्थकों ने मार्च पर पत्थरों और तलवारों से हमला कर दिया था।
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पुलिस पर भी खालिस्तानियों ने किया हमला
उसके बाद पटियाला में मां काली मंदिर में घुसकर खालिस्तान समर्थकों द्वारा पत्थर फेंके गए और तलवारें लहराई गई। कथित तौर पर खालिस्तान समर्थकों द्वारा जमकर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए। सोशल मीडिया पर कई ऐसी वीडियो भी वायरल हो रही है जिसमें खालिस्तान समर्थक भीड़ तलवारे लहराती हुई खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाती दिख रही है। हालांकि, उस इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, खालिस्तान समर्थकों द्वारा शिवसेना द्वारा निकाले गए मार्च पर हुए हिंसक झड़प में कई लोग घायल हो गए हैं। दोनों पक्षों में मारपीट की घटना के कुछ देर बाद ही पुलिस मौके पर पहुंच गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने हवा में गोलियां चलाईं, लेकिन स्थिति में कुछ खास परिवर्तन देखने को नहीं मिला। ध्यान देने वाली बात है कि इस हिंसा में एसएचओ त्रिपाठी सहित एक हिंदू नेता कर्मवीर सिंह घायल हो गए हैं।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एसएचओ त्रिपाठी पर खालिस्तान समर्थकों ने तलवार से हमला किया था। स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस ने करीब 15 राउंड हवाई फायरिंग की। यह झड़प काली माता मंदिर के बाहर उस समय हुई जब “शिवसेना (बाल ठाकरे)” नामक एक ग्रुप के “कार्यकारी अध्यक्ष” हरीश सिंगला ने पास के आर्य समाज चौक से “खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च” शुरू किया था। इस मामले को लेकर आज हिंदू संगठनों ने बंद बुलाया था। हालांकि, इस घटना के कुछ घंटे बाद पुलिस ने हरीश सिंगला को बिना अनुमति के जुलूस निकालने और हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया। एससपी नानक सिंह का कहना है कि स्थिति अभी नियंत्रण में है।
वहीं, पंजाब के सीएम भगवंत मान ने झड़पों को “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया और दावा किया कि स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने कहा, “मैंने डीजीपी से बात की है, इलाके में शांति बहाल कर दी गई है। हम स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं और किसी को भी राज्य में अशांति पैदा नहीं करने देंगे। पंजाब की शांति और सद्भाव अत्यंत महत्वपूर्ण है।” वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इसे ‘पूर्ण अराजकता’ बताया है। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री को तुरंत डीजीपी पंजाब के साथ पटियाला का दौरा करना चाहिए।
देश के लिए भयावह साबित हो सकता है पंजाब कांड
आपको बता दें कि पंजाब में जो पिछले 30 सालों में देखने को नहीं मिला, वो आम आदमी पार्टी ने सरकार बनते ही मात्र 30 दिनों के भीतर ही दिखा दी है। लोगों को अब कुमार विश्वास की वो बातें भी याद आने लगी है, जिसमें उन्होंने केजरीवाल की महत्वाकांक्षाओं को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने केजरीवाल की महात्वाकांक्षाओं की पोल-पट्टी खोलते हुए कहा था कि “कभी केजरीवाल ने कहा था कि वो पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे या स्वतंत्र पंजाब के पहले पीएम।” उनके बयान के बाद जमकर बवाल मचा था। लेकिन खालिस्तानियों के साथ आम आदमी पार्टी के जिस गंठजोड़ को लेकर बातें कही जा रही थी, पटियाला प्रकरण ने उस पर ठप्पा लगा दिया है!
ध्यान देने वाली बात है कि पंजाब चुनाव से पहले या उसके बाद भी केजरीवाल या उनकी पार्टी ने अभी तक खालिस्तानियों को लेकर किसी भी तरह का कोई बयान नहीं दिया है! यह पार्टी लगातार खालिस्तानियों के बारे में बोलने और उनका विरोध करने से बचती रही है। पटियाला प्रकरण से AAP की उस चुप्पी का भी मतलब निकल कर सामने आ रहा है। सोशल मीडिया पर तो इस बात की भी चर्चा होने लगी है कि अरविंद केजरीवाल और उनके रिमोट कंट्रोल पंजाब को देश से काटने की अपनी घृणित चाल के साथ आगे बढ़ने लगे हैं! ऐसे में अगर पंजाब की हालत यही रही तो वो दिन दूर नहीं जब यह सीमावर्ती राज्य 80 के दशक की तरह ही आग में जल उठेगा, जो देश के लिए भी काफी भयावह सिद्ध हो सकाता है।
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