मनुवाद से आजादी, संघवाद से आजादी! न जाने ऐसी कितनी ही आज़ादी इस देश के एक तबके ने भरपेट मांगी है जिसके परिणामस्वरूप जम्मू कश्मीर अभी तक भारत से अलग-थलग बिखरा हुआ दिखाई पड़ता था। फिर आया वर्ष 2019 का वो साल जब जम्मू-कश्मीर को भारत से जोड़ने की कड़ी में धारा 370 और 35ए को निरस्त किया गया और भारत से उसे कानूनी रूप से एकसूत्र में जोड़ा गया। अब यह भी तय था कि कुछ तत्वों को यह रास नहीं आएगा क्योंकि वालिद जो हैं अब्बा उनके वो खाते भारत की थे और बजाते पाकिस्तान की! तो ऐसे में उनके कर्म इतनी जल्दी कैसे सही हो पाएंगे और द कश्मीर फाइल्स ने तो हाल ऐसा कर दिया है कि जहां-तहां इन लोगों की सूजी ही है। इसी बीच ऐसी आजादी से प्यार करने वाले जिहादियों पर पीएम मोदी ने एक अदभुत सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है क्योंकि श्रीनगर में रमजान के आखिरी शुक्रवार को जामिया मस्जिद में जुमात-उल-विदा की सामूहिक नमाज की अनुमति नहीं देने का फैसला लिया गया है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, श्रीनगर की इस जामा मस्जिद में एक मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में सरकार और पुलिस अधिकारियों ने इफ्तार के बाद जामिया मस्जिद परिसर का दौरा किया था और औकाफ सदस्यों को बताया कि अधिकारियों ने रमजान के आखिरी शुक्रवार को जामिया मस्जिद में जुमात-उल-विदा की सामूहिक नमाज की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है। यह हीन भावना या द्वेष के चलते लिया गया निर्णय नहीं है, चूंकि हाल के दिनों में इसी मस्जिद में आजादी-आजादी वाले नारे लगाए गए थे इसलिए असामाजिक तत्वों के प्रभाव को रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
ज्ञात हो कि कोरोना के बाद जम्मू कश्मीर के माहौल को बिगाड़ने की कोशिशें एक बार फिर शुरू हो गई हैं। अप्रैल माह के पहले हफ्ते में, श्रीनगर के जामिया मस्जिद में आजादी के नारे लगाए गए थे। यहां पर जुमे की नमाज के बाद जमा भीड़ को कथित तौर पर आजादी के नारे लगाते सुना गया। जामिया मस्जिद को श्रीनगर की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक माना जाता है। यहां पर कश्मीरी पंडितों के पलायन से पहले भी इसी प्रकार की नारेबाजी होती थी। इस नारेबाजी का वीडियो वायरल होने के बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर 1990 के दौर को याद करना शुरू कर दिया था। चूंकि 1990 में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ इस्तेमाल किए गए नारे पुनः नमाज के बाद श्रीनगर की जामिया मस्जिद में दोहराए गए तो इसपर सख्ती बेहद आवश्यक थी।
बिलबिला रहे हैं अलगाववादी
बता दें, यह मस्जिद अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक के अधीन है। मीरवाइज पर घाटी में आतंकवाद को फंड करने का मामला चल रहा है। प्रशासन के इस फैसला का विरोध करते हुए पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) ने कहा है कि ये फैसला घोर निंदनीय है। PAGD के प्रवक्ता मियां तरीजामी ने कहा है कि इस फैसले से हजारों लोग मस्जिद में प्रार्थना करने से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने ये भी कहा कि ये फैसला लोगों के धार्मिक मामलों में सीधे-सीधे दखल है जिसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्य की सभी बड़ी पार्टी ने प्रशासन से इस फैसले को वापस लेने की अपील की है। हुर्रियत कॉन्फ्रेस के नेता मीरवाइज उमर फारुख ने भी इस फैसले की निंदा की है। अब जब धरती लगेगी फटने तब खैरात तो अवश्य लगेगी न बंटने! पीएम मोदी ने इन सभी जिहादियों और देश के लिए घातक तत्वों पर नकेल कसने का मन बनाने के साथ उन्हें रास्ते लगाने का काम भी कर दिया है। अंततः अब “आजादी” से प्यार करने वाले जिहादियों पर पीएम मोदी ने अद्भुत सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है।
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