एक छात्र के लिए उसके विद्यालय का अंतिम पड़ाव 12वीं बोर्ड परीक्षा होती है, उसके लिए उसने पूरे छात्र जीवन को सींचा होता है ताकि अंततः उसको 12वीं में अच्छे अंक हासिल होने के साथ ही अपने पसंदीदा विषय में पारंगतता हासिल हो सके। अब जब इस क्षेत्र में भी राजनीति घुस जाएगी तो शिक्षण संस्थानों के मायने क्या ही रह जायेंगे और कौन सा अभिभावक इसे सही ठहराएगा। कांग्रेस की गिनी चुनी राज्यों में सरकार बची है और वो उन्हें भी गंवाने के पुख्ता इंतज़ाम कर चुकी है। हालिया मामला राजस्थान का है जहाँ राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (आरबीएसई) की 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की परीक्षा में कांग्रेस पर छह सवाल सामने आने के बाद राजस्थान में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
दरअसल, राजस्थान बोर्ड कक्षा 12 राजनीति विज्ञान की परीक्षा गुरुवार को हुई, जिसने राज्य की वर्तमान सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस पार्टी से संबंधित आठ प्रश्न पूछे जाने के बाद विवाद खड़ा कर दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि राजनीतिक दल की तारीफ में सवाल हद से ज्यादा बढ़ गए, क्योंकि उनमें से ज्यादातर कांग्रेस की उपलब्धियों से जुड़े थे, जिस पर अब सवाल उठ रहे हैं।
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यह भी पहली बार है कि राज्य बोर्ड परीक्षा में किसी सत्तारूढ़ दल पर इतने सवाल पूछे गए हैं। हालांकि, परीक्षा में अन्य प्रश्न भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से भी संबंधित थे।
जो सवाल पूछे गए, वो निम्न प्रकार थे-
- कांग्रेस की सामाजिक और विचारधारात्मक गठबंधन के रूप में संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- एक दल के प्रभुत्व का दौर और कांग्रेस प्रणाली-चुनौतियां और पुनर्स्थापना।
- 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुल कितनी सीटें जीती थीं।
- भारत में प्रथम तीन आम चुनावों में किस दल का प्रभुत्व रहा और क्या हो रहा है।
- कांग्रेस ने 1967 का आम चुनाव किन परिस्थितियों में लड़ा और इसका जनादेश क्या मिला, विवेचना कीजिए।
- 1971 के आम चुनाव में कांग्रेस की पुनर्स्थापना का चुनाव रहा. इसकी व्याख्या कीजिए।
- गरीबी हटाओ का नारा किसने दिया?
- लोकसभा चुनाव 2004 के बाद अनेक महत्वपूर्ण मसलों पर अधिकतर दलों के बीच व्यापक सहमति बनी इनमें से किसी दो का संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
इन सभी के माध्यम से इतना प्रतीत हो रहा था कि पढाई से सम्बंधित प्रश्नों के नाम पर कांग्रेसी अपने इतिहास का महिमामंडन करने का भरसक प्रयास राज्य की अशोक गहलोत सरकार की आड़ में करने का कर रहे थे। कांग्रेस इस प्रकार इतिहास प्रस्तुत करती आई है कि स्वतंत्रता की लड़ाई में एक मन्त्र वो ही एक राजनीतिक पार्टी थी और सब तो मंजीरा बजा रहे थे। यही नहीं वामपंथी इतिहासकारों की शह पर कांग्रेसी सरकारों ने जो इतिहास को तोडा-मरोड़ा है उससे कोई अनभिज्ञ नहीं है पर अब भी ऐसी सोच कि जो करेंगे सब मान्य हो जाएगा इसको बदलने की ज़रुरत है।
बता दें, पेपर में बहुजन समाज पार्टी, उल्लेखनीय व्यक्तित्व, विश्व मामलों, 2004 के लोकसभा चुनाव और 1989 की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के बारे में प्रश्न भी शामिल थे।
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कांग्रेस पर तंज
भाजपा विधायक और मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने शुक्रवार को कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि, “राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने शिक्षा का राजनीतिकरण सुनिश्चित किया है। कक्षा 12 के राजनीति विज्ञान के प्रश्न पत्र से प्रतीत होता है कि कांग्रेस पार्टी कांग्रेस के बारे में अधिक जानने वाले छात्र को पार्टी का स्थायी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाएगी। चूंकि अब पार्टी का एक कार्यकारी अध्यक्ष है, ऐसा लगता है कि इस पेपर में उत्तरों के आधार पर स्थायी अध्यक्ष बनाया जाएगा।” भाजपा ने यह भी मांग की कि जिन लोगों को प्रश्नपत्र तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्हें निलंबित किया जाए।
आरबीएसई के जनसंपर्क अधिकारी राजेंद्र गुप्ता ने कहा कि प्रश्न पत्र एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के अनुसार बनाया गया था और विषय विशेषज्ञों के एक पैनल ने इसे तैयार किया था। गुप्ता ने कहा कि, ‘आरबीएसई ने परीक्षा आयोजित की थी, लेकिन प्रश्न पत्रों की संरचना पर इसका कोई अधिकार नहीं है, जो विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा तय किया जाता है।’ निस्संदेह, ऐसा करना अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करने के बराबर है पर जिस कांग्रेस का इतिहास ही शक्तियों का निजी स्वार्थों के लिए उपयोग करना हो उससे और क्या ही अपेक्षित किया जा सकता है।
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