RSS अपनी “हिंदू प्रतिरोध” विरासत को पुनः प्राप्त कर रहा है

मिट्टी में मिल जाएंगे भारत को रोकने वाले!

Mohan Bhagwat

Source- TFI

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना लगभग 100 सौ साल पहले हुई थी। अब यह संगठन देश में सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं में से एक है। हाल के वर्षों में संगठन अपने मुख्य उद्देश्य से कुछ हद तक विचलित हो गया था। लेकिन, अब यह ‘अखंड भारत’ की घोषणा के साथ अपनी “हिंदू प्रतिरोध” विरासत को पुनः प्राप्त करने की ओर बढ़ चला है। बीते बुधवार को RSS प्रमुख मोहन भागवत ने एक संत के बयान को प्रतिध्वनित करते हुए कहा कि अखंड भारत जल्द ही एक वास्तविकता बनने जा रहा है। भागवत अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी रवींद्र पुरी (महानिर्वाणी अखाड़े के) के संदर्भ में बोल रहे थे, जिन्होंने कहा की ज्योतिषीय भविष्यवाणियां बताती हैं कि हम अगले 20-25 वर्षों में ‘अखंड भारत’ के सपने को साकार करेंगे।

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मिट जाएंगे भारत को रोकने वाले

अखंड भारत के बारे में अपनी टिप्पणी में भागवत ने कहा, “भारत का उदय होगा क्योंकि यह वासुदेव (भगवान कृष्ण) की इच्छा है।” RSS प्रमुख ने यह भी कहा कि “जिस गति से हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं, उसे हासिल करने में 25-30 साल लग सकते हैं। लेकिन अगर हम एक साथ काम करें और वर्तमान गति को तेज करें, तो समय आधा हो सकता है।” और फिर उन्होंने भगवद् गीता का आह्वान किया।

भागवत ने कहा, “हमें गीता में श्री कृष्ण के शब्दों को याद रखना चाहिए जिसमें वे सज्जन लोगों की रक्षा की बात और दुष्टों को दंड देने की बात करते हैं। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि दुष्टों का नाश करना भी एक धर्मपुरुष का दायित्व है। भारत ने दुनिया भर के सभी लोगों का अपने पाले में स्वागत किया है। अच्छे को आत्मसात करना, कम अच्छे को सुधारना लेकिन दुष्टों को अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए।” भागवत ने कहा कि भारत को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता। इसको रोकाने वाले मिट जाएंगे।

पुन: अपनी विरासत को प्राप्त कर रहा है RSS

ध्यान देने वाली बात है कि RSS का जन्म हिंदुत्व के लिए हुआ था। डॉ केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित संगठन ने राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर हिंदुत्व को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया। इसी दर्शन को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के दूसरे सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ने आगे बढ़ाया, जिन्हें गुरुजी के नाम से अधिक जाना जाता है। RSS ने वास्तव में भारत के इतिहास के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अहम भूमिका निभाई है। विभाजन के दौरान, RSS अविभाजित पंजाब के हिंदुओं और सिखों के बचाव में आया। द इंग्लिश ट्रिब्यून ने यहां तक ​​लिखा- “पंजाब हिंदुस्तान की तलवार है और RSS पंजाब की।”

हालांकि, हाल के वर्षों में संगठन ने अपनी मूल पहचान से संपर्क खो दिया था। पर, अब भी यह एक बड़ी इकाई बना हुआ है और लगातार विस्तार कर रहा है। देश भर में इसकी पहले से ही 55,000 शाखाएं कार्यरत हैं। RSS ने अपनी उपस्थिति बढ़ाने और शाखाओं की संख्या को दोगुना कर एक लाख करने की योजना बनाई है।

RSS द्वारा की गई सामाजिक पहल प्रसंशनीय है। हालांकि, सबसे पहले यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और वैचारिक संगठन बना रहना चाहिए। हाल के वर्षों में राजनीतिक स्तर पर भी RSS इतना सक्रिय नहीं लग रहा था। नागपुर में आयोजित एक महत्वपूर्ण वार्षिक कार्यक्रम संघ शिक्षा वर्ग के अलावा, RSS अक्सर राजनीति में शामिल नहीं होता था। लेकिन अब भागवत की ‘अखंड भारत’ की नवीनतम घोषणा के साथ, RSS अपनी विरासत को पुनः प्राप्त कर रहा है और अपने मूल लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए एक नए उद्देश्य की तलाश कर रहा है।

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