भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर इन दिनों फ्रंट फुट पर खेल रहे हैं। जिस प्रकार से उन्होंने भारतीय कूटनीति को एक नई ऊर्जा दी है, वो अपने आप में देखने योग्य है और चाहे सामने कोई भी विरोधी हो, अब भारत किसी के सामने नहीं झुकेगा। दरअसल, डॉक्टर एस जयशंकर ने अपनी वाक्पटुता से एक बार फिर पाश्चात्य जगत को धूल चाटने पर विवश कर दिया है और उनके दोहरे मापदंडों पर उन्हें दर्पण दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
हाल ही में रायसीना डायलॉग सम्मेलन में जनता को संबोधित करते हुए सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने यूक्रेन वाले विवाद के विषय पर कहा, कि रूस हमसे जितना संपर्क में है उससे कहीं अधिक यूरोप के देशों से संपर्क में है। जहां तक लोकतांत्रिक दुहाई की बात है तो अफगानिस्तान में पिछले साल जो भी हुआ उसे सभी लोकतांत्रिक देश देखते रहे। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारे लिए जो चुनौतियां हैं, उस पर कोई लोकतांत्रिक देश कहां एक्शन लेते हैं?”
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डॉक्टर जयशंकर ने आगे और भी बहुत कुछ कहा
परंतु डॉक्टर जयशंकर उतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, कि जब एशिया में नियम-आधारित व्यवस्था को चुनौती दी जा रही थी, तो हमें यूरोप से सलाह मिली कि अधिक व्यापार करो। कम से कम हम आपको वह सलाह तो नहीं दे रहे…हमें कूटनीति और संवाद पर लौटने का रास्ता खोजना चाहिए। अफगानिस्तान को देखिए और कृपया मुझे बताइए कि कौन सा न्यायोचित नियम आधारित व्यवस्था दुनिया के देशों की तरफ से अपनाई गई”।
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इसी को कहते हैं, एक ही दांव में दो प्रतिद्वंदियों को चित कर देना। डॉक्टर जयशंकर ने न केवल यूरोप को पटक पटक कर धोया, अपितु अफगानिस्तान के विषय पर बिना नाम लिए अमेरिका तक को छठी का दूध याद दिला दिया। परंतु यह प्रथम ऐसा अवसर नहीं है जब डॉक्टर जयशंकर ने पाश्चात्य जगत को दर्पण दिखाया हो।
इससे पूर्व भी कई हफ्तों पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका में स्पष्ट संदेश देते हुए कहा, “लोग हमारे बारे में विचार बनाने का हक रखते हैं। हमें भी उनकी लॉबी और वोट बैंक के बारे में विचार बनाने का हक है। हम मौन नहीं रहेंगे। अन्य लोगों के मानवाधिकारों पर हमारी भी राय है, खासतौर पर जिसका संबंध हमारे अपने (भारतीय) समुदाय से है।”
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जयशंकर ने एंटनी ब्लिंकन को पलटकर दिया ज्ञान
यह महत्वपूर्ण बयान अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की ओर से मानवाधिकार पर ज्ञान दिए जाने के बाद दिया गया था। यूं तो भारत से पलटवार की आशा नहीं की जाती है परंतु सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने न केवल एंटनी ब्लिंकन के कथित धमकी का जोरदार प्रत्युत्तर दिया अपितु अपनी वाक्पटुता से अमेरिका को नाकों चने चबवाने पर भी विवश किया।
ऐसे में डॉक्टर एस जयशंकर ने रायसीना डायलॉग के जरिए न केवल पुनः ये सुनिश्चित किया कि भारत के कूटनीति का मान सम्पूर्ण संसार रखे अपितु ये भी सुनिश्चित किया है कि पाश्चात्य जगत अब कभी भारत को दोबारा हल्के में न ले, चाहे विषय कोई भी हो। अब कहीं न कहीं यूरोप और अमेरिका दोनों की हालत कुछ समय तक यही रहेगी।