The oft spoken integration of the Northeast with ‘Mainstream India’ is now complete
भारत के पूर्वोत्तर में स्थित राज्य अलगाववादी तत्वों और सेना के बीच होने वाले संघर्ष के कारण विभिन्न प्रकार की समस्याओं से लंबे समय तक ग्रस्त रहे। इस क्षेत्र में अफ्सपा (AFSPA) अर्थात आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट लागू रहा। इस एक्ट के लागू होने के बाद एक लंबा विमर्श चला कि क्या इस एक्ट के कारण सेना को मिले अधिकारों का सेना द्वारा दुरुपयोग किया जाता है अथवा नहीं।
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लम्बे समय तक पूर्वोत्तर भारत बहस का केंद्र रहा
इस विमर्श का एक पहलू यह भी था कि क्या एक कानून के कारण मानव अधिकार का उल्लंघन होता है, यदि हां तो इसे हटाया जाए, जबकि इसके विरुद्ध जो तर्क दिए गए वह यह थे कि इस क्षेत्र में शांति स्थापित रखने और इसे भारत से अलग होने से बचाने के लिए इस प्रकार के कानून की आवश्यकता है और इसलिए अफ्सपा लागू रहना चाहिए। इस पूरी बहस में महत्वपूर्ण पक्ष, जो पीछे छूट गया, वह यह था कि क्या पूर्वोत्तर भारत देश की मुख्यधारा से अलग नहीं हो चुके हैं? इसका उत्तर हां में था। यह सत्य है कि लम्बे समय तक पूर्वोत्तर भारत गरमागरम बहस का केंद्र रहा, लेकिन किसी सरकार ने उसके लिए कुछ विशेष प्रयास नहीं किए लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।
केंद्र सरकार ने असम, नागालैंड और मणिपुर के “प्रमुख हिस्सों” से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम ‛अफ्सपा’ को हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। मीडिया से साक्षात्कार में इसकी जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में अब शांति वापस आ रही है और यह भारत की मुख्य धारा में शामिल हो रहा है।
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किरेन रिजिजू ने क्या कहा है?
अरुणाचल प्रदेश से लोकसभा सांसद किरेन रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस क्षेत्र में जो नीति अपनाई गई, पहला विकास और दूसरा विद्रोही समूहों के साथ बातचीत। यह दोनों कार्य साथ साथ चलते रहे और इसके कारण सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने मीडिया से कहा “एक ‛रंगीन, सुंदर और शांतिपूर्ण’ पूर्वोत्तर देशभर के लोगों की प्रतीक्षा कर रहा है साथ ही उन्होंने देशभर के लोगों से पूर्वोत्तर की यात्रा और निवेश की अपील की।
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यह देखना सुखद है कि पूर्वोत्तर ने अपनी पीड़ाओं के दिनों को पीछे छोड़ दिया है। मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणांचल, असम सभी राज्य आगे बढ़ रहे हैं। पिछली सरकारों में इस क्षेत्र की उपेक्षा का एक बड़ा कारण, इस क्षेत्र में जनसंख्या की कमी भी रहा। कम जनसंख्या के कारण पूर्वोत्तर का लोकसभा में प्रतिनिधित्व भी कम ही रह। ऐसे में अधिकांश ध्यान उत्तर भारत में लोकलुभावनी योजनाएं लागू करने में रहा, उनमें भी भ्रष्टाचार के कारण अधिकांश योजनाओं का लाभ आम आदमी तक नहीं पहुंच सका। किन्तु मोदी सरकार में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस, कल्याणकारी योजनाओं के बिना चोरी, वितरण, पूर्वोत्तर पर योजनाबद्ध निवेश, इन सब ने स्थिति बदल दी है। जल्द ही यह भूमि, जो देखने में स्वर्ग जैसी ही लगती है, अपनी सुंदरता के अनुरूप यश प्राप्त करेगी।