भारत और भारतीयों को ठगने वाले कुछ भारतीय भारत छोड़ ऐसे देशों में जाकर शरण ले लेते हैं, जहां भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं होती है। इसी बीच भारत से भागे भगोड़ों के प्रति भारत से अधिक कुंठित वो देश हैं जहां यह लोग शरण ले लेते हैं। इस बाध्यता का हथियार बनाकर कई भेदी देश को चूना लगाकर इधर-उधर निकल चुके हैं। विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे नामों ने तो देश में भगोड़ा बनने के बाद ऐसी ख्याति पाई कि देश ही नहीं विदेशों में भी इनके कर्मों का डंका बज गया था। हाल ही में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसपर अपनी राय रखते हुए कहा कि उन्होंने अपने देश में रह रहे भारत के घोषित भगोड़ों के प्रत्यर्पण का आदेश दिया हुआ है और ‘हम चाहते हैं कि उन्हें अग्रिम कार्रवाई के लिए भारत वापस ले जाया जाए।’ इससे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने इंग्लैंड के भीतर भारत विरोधी लॉबी को निष्प्रभावी करने का संकल्प लिया और भारत विरोधियों को दो टूक संदेश भी दे दिया।
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भगोड़ो की अब लगेगी लंका
दरअसल,बोरिस जॉनसन भारत दौरे पर हैं और भारत के साथ अपने संबंधों को दृढ करने की परिकल्पना के साथ वो मैत्री संबंध और मजबूत करना चाहते हैं। इसका सबसे बड़े प्रमाण उन भगोड़ों का प्रत्यर्पण कराना है जो भारतीय बैंकों को लूटकर भाग खड़े हुए। यह भगोड़े भारत के लिए बहुत बड़ी परेशानी का सबब हैं क्योंकि यह आर्थिक रूप से बैंकों को दिवालिया करते हैं।
पत्रकारों से वार्ता के दौरान आर्थिक भगोड़े नीरव मोदी और विजय माल्या के प्रत्यर्पण के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि “यूनाइटेड किंगडम अन्य देशों और भारत को धमकी देने वाले चरमपंथी समूहों को बर्दाश्त नहीं करता है। हमने एक चरमपंथी विरोधी कार्य बल का गठन किया है। जबकि प्रत्यर्पण मामलों के मामले में कानूनी तकनीकी बारीकियां हैं जिसने इसे मुश्किल बना दिया है। हमारे नजरिए से हम चाहते हैं कि वे वापस जाएं। हम उन लोगों का स्वागत नहीं करते हैं जो कानून से बचने के लिए हमारी कानूनी प्रणाली का इस्तेमाल करना चाहते हैं।”
बोरिस जॉनसन ने कानूनी दांव पेंच के लचीलेपन को भी स्वीकार करते हुए कहा कि “मुझे लगता है कि प्रत्यर्पण से जुड़े कानून तकनीकी हैं जिन्होंने इसे बहुत कठिन बना दिया है, लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि यूके सरकार ने उनके प्रत्यर्पण का आदेश दिया है और हमने कहा है कि हमारे दृष्टिकोण से, हम चाहते हैं कि उन्हें भारत वापस ले जाया जाए।” अपनी द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जॉनसन ने खालिस्तानी समूहों और भारत में वांछित आर्थिक अपराधियों के बारे में चिंताओं पर चर्चा की। दोनों देशों ने कहा कि इन मामलों को उच्च प्राथमिकता माना गया। जॉनसन ने कहा कि वो नई दिल्ली की चिंताओं के प्रति संवेदनशील थे। गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पत्रकारों से कहा, “भारत बार-बार आर्थिक भगोड़ों को न्याय के कटघरे में लाने के साथ-साथ सुरक्षा चिंताओं को उजागर कर रहा है जो भारत विरोधी पदों पर रहने वाले व्यक्तियों से उत्पन्न हो सकती हैं।”
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भारत के साथ बेहतर संबंध के लिए कुछ भी करेंगे बोरिस
बताते चलें कि सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े पैमाने पर बैंक धोखाधड़ी के सामने आते ही नीरव मोदी और उनकी पत्नी अमी वर्ष 2018 में भारत से भाग गए। उसे एक साल बाद गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में है। जहां से उसने अपने प्रत्यर्पण की अपील की है। शराब कारोबारी विजय माल्या, जो अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइन का भी मालिक है, वो वर्ष 2016 से यूके में है और कथित धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में भारत में वांछित है। वर्ष 2019 में ब्रिटेन के गृह सचिव साजिद जाविद ने प्रत्यर्पण आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। द्विपक्षीय वार्ता के दौरान पीएम मोदी और जॉनसन ने मुक्त व्यापार समझौता वार्ता पर चर्चा की। दोनों पक्ष ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, व्यापार और रक्षा पर सहयोग पर सहमत हुए। ऐसे सभी भगोड़ों पर ब्रिटेन सरकार और विशेषकर बोरिस जॉनसन कितने सख्त और कितने संवेदनशील हैं यह उनके बयान से सिद्ध हो गया है। ऐसे में भगोड़ों के अतिरिक्त खालिस्तान वाले मुद्दे पर भी बोरिस ने अपने बयान से इंग्लैंड के भीतर भारत विरोधी लॉबी को निष्प्रभावी करने का पुख्ता इंतज़ाम कर ही दिया।