मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय व्यक्ति के सामान्य जीवन की शुरुआत ही कौन कैसे आमदनी कमाए, कैसे आर्थिक पक्ष और स्त्रोत मजबूत हो इससे होती है। कई तो ऐसे होते हैं जिन्हें हर दिन कमाना और उसी से खाने का जरिया तलाशना पड़ता है। इसी क्रम में अभी जो व्यवसाय पर सबसे बड़ी मार के साथ जूझ रहा है वो है ओला-उबर से जुड़े ड्राइवरों का समूह जिनके लिए अब कैब चलाना अपनी जेब से पैसे लगाने के समकक्ष आ चुका है। बता दें, विभिन्न राज्यों में अब इन कंपनियों के ड्राइवर धड़ल्ले से एक के बाद एक राइड इसलिए कैंसल की जा रही है क्योंकि कंपनियां अपनी नीतियां नहीं बदल रही है जिससे उन्हें उचित मानदेय नहीं मिल रहा है और सारा घाटा उन ड्राइवर समूहों पर आ गया है जिसके कारण अब वो धरने के बैठ चुके हैं।
दरअसल, CNG के बढ़ते दाम के साथ ही उसका भोझ ड्राइवर पर आ गया है क्योंकि कंपनियों ने ओला-उबर गाड़ियां किराए और अपनी गाड़ी पर चला रहे ड्राइवरों के लिए पुरानी ही नियमावली को लागू किया हुआ है जिससे न उपयुक्त कमाई हो पा रही है और न ही गाडी का खर्चा वहन हो पा रहा है। ऐसे में ड्राइवर क्या ही खायेगा और क्या हो बचाएगा। यह सर्वविदित है कि इन सभी के बीच जनता सबसे पहले ड्राइवर की गलती बताती है पर असल में खामियां तो उस नीति-निर्माता कंपनी में हैं जो असल में अड़ियल रुख अपनाकर सारा ठीकरा अपने ड्राइवरों पर फोड़ती है।
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कीमतों में वृद्धि
पिछले छह महीनों में देश में संपीड़ित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) की कीमतों में वृद्धि हुई है। कुछ शहरों में तो 37 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है क्योंकि गैस वितरकों ने उन्हें अपनी बढ़ी हुई लागत को कवर करने के लिए प्रेरित किया है। निस्संदेह यह मजबूत प्रॉफिट मार्जिन बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।
जहां अडानी गैस ने अहमदाबाद में सीएनजी की कीमतों में 37 फीसदी की बढ़ोत्तरी की, वहीं गुजरात गैस ने भी गुजरात में अपनी कीमतों में 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी की। इस बीच, दिल्ली में इंद्रप्रस्थ गैस ने भी मुंबई में सीएनजी की कीमतों में 27% की बढ़ोत्तरी के साथ दरों में 33% की वृद्धि की है। अहमदाबाद में कीमतों में 9.6 रु प्रति किलोग्राम और दिल्ली में 7 रु का उछाल देखा गया है। इसके अलावा, घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत में वृद्धि के कारण सीएनजी की कीमत में 16 रुपये प्रति किलोग्राम और पाइप्ड किचन गैस में 10 रुपये प्रति मानक क्यूबिक मीटर (एससीएम) की वृद्धि हुई है।
जहां सीएनजी की कीमत बढ़ी, वहीं ओला और उबर ने कीमत बढ़ाने से परहेज किया। चूंकि इस निर्णय से कैब चालकों को लाभ कमाने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए उन्होंने अब ईंधन और सीएनजी की बढ़ती कीमतों के विरोध में विरोध करना शुरू कर दिया है। ऑटो, टैक्सी और मिनीबस चालकों की विभिन्न यूनियनों ने 18 अप्रैल से विरोध शुरू कर दिया है।
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AC चलाने से इंकार
ये ड्राइवर किराए की दरों में बढ़ोत्तरी और सीएनजी की कीमतों को कम करने की मांग कर रहे हैं। दिल्ली सरकार ने, हालांकि, किराया संशोधन पर पुनर्विचार के लिए ड्राइवरों को एक समिति बनाने का आश्वासन दिया लेकिन जबकि अधिकांश यूनियनों ने कहा कि वे एक दिवसीय हड़ताल पर रहेंगे।
इसके अलावा, पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली, नोएडा, तेलंगाना और बेंगलुरु में कैब ड्राइवरों ने भी ओला और उबर ड्राइवरों के सामने आने वाली कठिनाइयों को उजागर करने के लिए ‘नो एसी’ नीति शुरू की है। यह इस समय परेशान करने वाला है क्योंकि अप्रैल का महीना 35.8 डिग्री सेल्सियस के औसत उच्च तापमान के साथ भीषण गर्मी का गवाह बन रहा है। ऐसे तपते मौसम में कैब ड्राइवर एयर कंडीशनिंग (एसी) चालू करने पर यात्रियों से अतिरिक्त किराया मांग रहे हैं। वे या तो COVID-19 प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए एसी को चालू नहीं करते हैं या बहाना बनाते हैं कि एसी केवल ओला प्राइम और सेडान बुकिंग में शामिल है।
अराजकता के बीच एक बड़ी राहत के रूप में यह आया कि उबर ने अब बेंगलुरु में मौजूदा यात्रा किराए में 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की घोषणा की है। ऐसे में कैब की सवारी और महंगी हो जाएगी। उबर इंडिया और साउथ एशिया के सेंट्रल ऑपरेशंस के हेड नीतीश भूषण ने कहा, ‘पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की कीमतों को ध्यान में रखते हुए कीमतों में बढ़ोत्तरी की गई है।’ खास बात यह है कि कैब चालकों के विरोध के बाद कीमतों में बढ़ोत्तरी की गई है। कथित तौर पर, ओला वर्तमान यात्रा किराए में वृद्धि के लिए उबर के फैसले का अनुसरण कर सकती है। कैब सेवाओं के आसपास अराजकता कभी खत्म नहीं हो रही है, यही वजह है कि कैब ड्राइवर इन दिनों आपकी ट्रिप कैंसिल कर रहे हैं।