राम ही सत्य हैं, राम ही सनातन और राम ही सर्वस्व हैं। हिंदुओं के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम हमारे लिए सिर्फ एक आराध्य ही नहीं हैं, अपितु वह भारतवर्ष के इतिहास के सर्वोत्म राजा भी हैं। वचनबद्ध, परित्याग की परिभाषा कोई है तो वह प्रभु श्रीराम हैं। लेकिन अब देश में राम के नाम को लेकर बवाल मचा रहता है। भगवान श्रीराम के जय जयकार पर वामपंथियों और लिबरलों की ऐसी सुलगती है कि उनके लिए बरनोल भी कम पड़े। ये वामपंथी आये दिन हिंदू और हिंदुओं के आराध्य को लेकर समाज में जहर फैलाते दिखाई देते हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि देश की 80 फीसदी से ज्यादा आबादी हिंदू है, लेकिन हाल ही में संपन्न हुए हिंदुओं के त्योहार रामनवमी पर देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक झड़पें देखने को मिली है, जिसके बाद से ही बवाल मचा हुआ है। भगवान श्रीराम में आस्था रखने वाले लोग हर वर्ष रामनवमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लाष से मनाते हैं। पर इस शुभ अवसर पर झारखंड, गुजरात, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश सहित देश भर के कई राज्यों में कई सांप्रदायिक झड़पें देखने को मिली। जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने हिंसा के लिए विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया, जबकि पुलिस ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू कर दी। आइए आज इस बात को समझते हैं कि आखिर क्यों वामपंथी, लिबरल्स और उनके समान विचारधारा वाले हिंदू विरोधी लोग हर रामनवमी पर जहर फैलाते दिखते हैं।
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रामनवमी और जय श्रीराम
भारत का सनातनी हिंदू हर वर्ष धूमधाम से कई पर्व मनाते हैं पर सवाल यह है कि आखिर रामनवमी पर्व के समय ही ज्यादातर दंगा, अराजकता और धार्मिक उन्माद क्यों पनपता है? रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई, यह दोहा अपने आप में भगवान श्रीराम का परिचय कराता है। जब रावण ने माता सीता का हरण किया था और फिर भगवान श्रीराम ने वानर सेना सहित लंका पर चढ़ाई करते हुए रावण का वध किया था और असत्य पर सत्य की जीत भी दिलाई थी, इसलिए हिन्दू धर्म के उपाशक भगवान श्रीराम को शौर्य का प्रतीक मानते हैं, जबकि पापी और राक्षस प्रवृत्ति के लोग भगवान राम के नाम से ही घबराते नजर आते हैं।
राम नाम में एक ऐसी ऊर्जा है जिससे लोगों में अलग ही उत्तेजना देखने को मिलती है। इसलिए जब भगवान राम के भक्त रामनवमी पर ‘जय श्रीराम’ का जाप करते हैं, नारा लगाते हैं, तो वे एक दबे हुए, मूक हिंदू के आदर्श को ध्वस्त करते हुए अपनी पहचान पर जोर देते हैं और लिबरलों को इससे मिर्ची लगती है। जय श्रीराम का शाब्दिक अर्थ है भगवान राम की महिमा। हालांकि, यह वानर सेना का युद्ध था जिसने लंका के राक्षसी राज्य को ध्वस्त कर दिया। यह वह नारा भी था जिसे अयोध्या के लोगों ने अपने राजा की वापसी का स्वागत करते हुए लगाया था।
यही कारण है कि ‘राम राज्य’ का विचार भी बहुत लोकप्रिय हो जाता है और यही कारण है कि अयोध्या आंदोलन ने भी गति पकड़ी थी। हिंदू भगवान श्रीराम का बहुत सम्मान करते हैं और इसे स्वीकार करने से बिल्कुल भी नहीं हिचकते। यह निश्चित रूप से उस खाके के खिलाफ जाता है, जो लिबरलों ने उनके लिए निर्धारित किया था। जब भी देश में रामनवमी का पर्व आता है, तो हिन्दू, भगवान् राम के नाम पर शोभा यात्रा निकालते हैं, जिसे देखकर वामपंथी, लिबरल्स और कुछ धर्म विशेष के लोग खून के आंसू रोने लगते हैं। यह समझना बहुत ही अत्यंत आवश्यक है कि आखिर वामपंथियों को भगवान राम के नाम से ऐसी क्यूं जलती है कि वे लोग धार्मिक उन्माद फ़ैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
वामपंथियों के नजर में क्या है एक हिंदू की छवि
वामपंथी रामनवमी से नफरत क्यों करते हैं, यह समझने से पहले,आइए समझते हैं कि वे हिंदुओं को कैसे देखना चाहते हैं। वामपंथियों ने परंपरागत रूप से हिंदुओं को शांति और सहिष्णुता में विश्वास करने वाले लोगों के रूप में देखा है, जिन्होंने न तो अपनी सीमाओं और क्षेत्रों का विस्तार किया और न ही उन्होंने दुनिया के अन्य हिस्सों में अपने धर्म का प्रचार करने की कोशिश की। वे आधुनिक हिंदुओं को भी स्वीकार करते हैं कि वे बिना किसी दबाव के अपने धर्म को अपनी मर्जी से पालन कर सके। और साथ ही वामपंथी हिंदुओं से यह भी अपेक्षा करते हैं कि वे सार्वजनिक रूप से अपने विश्वास का प्रचार न करें। वामपंथियों के अनुसार यह एक अच्छे हिंदू की यही परिभाषा है।
वामपंथियों के सबसे बड़े दुश्मन योगी या मोदी नहीं हैं, क्योंकि वे सभी नश्वर हैं। वामपंथियों के लिए भगवान श्रीराम असली दुश्मन हैं क्योंकि वे हिंदू धर्म के पुरोधा हैं और वे सभी हिंदुओं के दिलों में अमर हैं। तो, अब आप समझ सकते हैं कि वामपंथी रामनवमी से नफरत क्यों करते हैं। वे जिस चीज से नफरत करते हैं, वह यह है कि कैसे हिंदू अचानक अपने धर्म को लेकर भावुक हो जाते हैं और जय श्रीराम का जाप करते हैं। यह एकमात्र समय है जब हिंदू अपनी धार्मिक पहचान पर जोर देते दिख रहे हैं और ऐसे में वामपंथी अच्छे से जानते हैं कि श्रीराम को लेकर हिंदुओं की आस्था पर खिलवाड़ करना वामपंथियों के लिए काल साबित हो सकता है।
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