पाकिस्तान और उसके चिकने मियां टाइप लोग अपनी बुद्धि कपाट में बंद कर बाहर से ताला लगाने में बड़े माहिर होते हैं। नेता तो नेता, क्रिकेटर भी अपनी अकल का तुच्छ प्रदर्शन करने से कभी बाज़ नहीं आते। कुछ ऐसे ही लोगों में प्रमुख नाम है पूर्व पाकिस्तान क्रिकेटर और पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी का। भारत के मामलों और विशेषकर उसके मुकुट कश्मीर के मामले में पाकिस्तानियों की रूचि ठीक वैसी ही है जैसी उन्हें 72 हूरों के कॉन्सेप्ट के प्रति होती है! अब नया मामला है, भारत में अपनी तुच्छ और संकीर्ण सोच के साथ कश्मीर और कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन का सबसे बड़ा कारक यासीन मलिक का न्यायिक रूप से अंतिम सुनवाई का। जिसपर अफरीदी ज्ञान बांटने आए और भारतीय क्रिकेटर अमित मिश्रा के हाथों ऐसे बोल्ड हुए कि उनका सारा एजेंडा धरा का धरा रह गया।
जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बुधवार को पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के समर्थन में आ गए और अफरीदी ने भारत पर मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। ट्विटर के माध्यम से अफरीदी ने लिखा कि “भारत जिस तरह से कश्मीर में मानवाधिकार के हनन के खिलाफ आवाज उठाने वालों को चुप कराने की कोशिश कर रहा है, उसका कोई औचित्य नहीं है। यासीन मलिक पर जो आरोप लगे हैं, वह कश्मीर की आजादी के संघर्ष को रोक नहीं पाएंगे। कश्मीर के नेताओं पर हो रही अवैध ट्रेल्स को लेकर मैं यूएन से अपील करता हूं कि वह इस मामले पर संज्ञान लें।”
https://twitter.com/SAfridiOfficial/status/1529357436733337600
अमित मिश्रा ने लतेड़ दिया
ये भी सही है, अब कश्मीर के बारे में नहीं बोलेंगे तो सियासी बिसात कैसे बिछेगी इनकी, कैसे इमरान खान की भांति ‘वज़ीर-ए-आज़म’ बन पाएंगे। अब कश्मीर है ही ऐसा प्रिय मुद्दा, पाकिस्तानी कट्टरपंथियों की सुबह भी उससे होती है और रात भी, जनता भले ही भूखी मर रही हो पर इन्हें तो बस सरहद पार जाकर बकलोली करने से मतलब है या एजेंडा चलाने से। अब मान्यवर शाहिद अफरीदी बोल ही दिए थे तो भारत की ओर जवाब आना तो स्वाभाविक ही था, पर जब जवाब किसी नेता नहीं बल्कि एक क्रिकेटर की ओर से आया तो मामला और रोचक हो गया। जी हां, अफरीदी के ट्वीट के तुरंत बाद भारतीय क्रिकेटर अमित मिश्रा ने उनकी टिप्पणियों के लिए उन्हें भयंकर फटकार लगाई। मिश्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा, “प्रिय शाहिद अफरीदी उसने (यासिन मलिक) कोर्ट रूम में खुद को दोषी कबूल किया है। अफरीदी को अपनी जन्मतिथि की तरह ही लोगों को गुमराह करना बंद करना चाहिए।”
Dear @safridiofficial he himself has pleaded guilty in court on record. Not everything is misleading like your birthdate. 🇮🇳🙏https://t.co/eSnFLiEd0z
— Amit Mishra (@MishiAmit) May 25, 2022
अफरीदी ज्यादा फड़फड़ाओ मत, अब POK की बारी है
बताते चलें कि शाहिद अफरीदी अपनी उम्र को लेकर हमेशा से विवादों के घेरे में रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के अनुसार फरीदी का जन्म 1 मार्च 1980 को हुआ था, यानी कि उनकी उम्र 42 साल है। साल 2019 में अफरीदी ने खुलासा किया था कि 1996 में नैरोबी में श्रीलंका के खिलाफ रिकॉर्ड 37 गेंदों में शतक जड़ने के समय वह 16 साल के नहीं थे। अब जो व्यक्ति अपनी उम्र सही से नहीं बता पा रहा है वो ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर ज्ञान बांटेगा तो कैसे चलेगा भाई? यह तो विकट समस्या है!
निश्चित रूप से दिमागी रूप से दिवालिया हो चुके अफरीदी जैसे ज्ञानबांटू अपने कुनबे को संभाल लें वही बेहतर है, नहीं तो दिमागी रूप से अपंग हो चुके अफरीदी कल को पारिवारिक सदस्यों में भेद भूल गए तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी। बेमतलब में उनका कथित सियासी सफर शुरू होने से पहले ठंडे बस्ते में चला जाएगा और साथ ही आज से शाहिद अफरीदी को “गांठ” बाँध लेनी चाहिए कि कुछ भी कर लें, कितने भी घोड़े खोल लें उनके जैसे चिन्दी लोगों के कारण भारत का मुकुट जम्मू-कश्मीर न ही विचलित हुआ है और न ही भविष्य में कभी होगा। क्योंकि भारत वाला कश्मीर तो अब भारत का हो चुका है, बारी तो चोरों द्वारा चोरी किए गए उस कश्मीर की है जिसे “पीओके” कहा जाता है, अब तो उसकी बारी है सही हाथों में जाने की। इसलिए बैठ जा “मौलाना, भारत के खून न खौलाना, वरना तुम्हारी लंका लगा दी जाएगी!”
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