आतंक की फैक्ट्री पाकिस्तान की स्थिति से पूरी दुनिया वाकिफ़ है. पूरी दुनिया जानती है कि आतंकियों के पनाहगार पाकिस्तान में लोकतंत्र के नाम पर सेना अपनी मनमानी करती है. इसीलिए कोई भी प्रधानमंत्री वहां आज तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. इमरान खान तोप बन रहे थे- उन्हें भी हटा दिया गया. अभी के लिए पाकिस्तान में शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री हैं लेकिन उन्हें कितने दिन टिकने दिया जाता है ये देखना होगा. पाकिस्तान में चल रहे घटनाक्रमों पर नजर डालें तो दिखता है कि शहबाज शरीफ की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है. पाकिस्तान की नई-नवेली शहबाज शरीफ सरकार के विरुद्ध पाकिस्तान के लाहौर, कराची, फैसलाबाद और इस्लामाबाद में बलूच छात्र जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं.
बलूचों का दमन
इस प्रदर्शन के पीछे पाकिस्तानी सरकार की दमन नीति है. पाकिस्तान की कठपुतली सरकार बलूचों के विरुद्ध तेजी से दमन नीति चला रही है. बलूच लोगों को पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियां अगवा कर रही हैं. बीते दिनों लाहौर पुलिस ने पंजाब यूनिवर्सिटी में छापा मारा और होस्टल में रह रहे बलूच छात्रों को अगवा कर लिया.
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मानवाधिकार संगठन वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स के एक अनुमान के मुताबिक पिछले तीन दशकों में 6,000 से अधिक बलूच लोगों को इस तरह अगवा किया गया है. उनके बारे में अब तक कोई पता नहीं चल पाया है. संस्था के मुताबिक 2009 से अब तक 1,400 बलूच लोगों के शव मिले हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीते दो साल में 287 बलूचों को अगवा किया गया है. लापता बलूचों के परिजन और रिश्तेदारों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना और ISI बलूचों को अगवा कर रहे हैं.
पाकिस्तान का असली ‘मालिक’ चीन!
ऐसे में बलूचों का जोरदार प्रदर्शन शहबाज शरीफ की कठपुतली सरकार को अगर निगल जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. अब यह छिपी हुई बात नहीं है कि शरीफ सरकार चीन के रहमो-करम पर चल रही है. पाकिस्तान में सरकार किसी की भी हो लेकिन पाकिस्तान का असली मालिक चीन ही है. चीन की मर्जी के मुताबिक ही पाकिस्तान में निर्णय होते हैं. तभी तो जब पाकिस्तान में चीनी लोगों पर हमले हुए तो पाकिस्तान ने बलूचों का दमन शुरु कर दिया. उनका अपहरण करना शुरु कर दिया.
पाकिस्तानी में बलूच लिबरेशन आर्मी चीनियों के विरुद्ध विद्रोह को अंजाम दे रही है. बलूच लिबरेशन आर्मी का कहना है कि चीनी उनकी संस्कृति को, उनकी भाषा को और उनकी पहचान के अन्य तत्वों को दबा रहे हैं. उन्हें ख़त्म करने का प्रयास कर रहे हैं. बलूच पहचान को नष्ट कर रहे हैं. बलूच लिबरेशन आर्मी चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर के भी विरुद्ध है. बलूचों का मानना है कि सीपैक एक दमनकारी औपनिवेशिक परियोजना है. इसके साथ ही बलूचों का कहना है कि सीपैक बलूच संसाधनों पर कब्जा करने की एक परियोजना है.
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कुछ दिनों की है शरीफ सरकार
इन्हीं सब कारणों से बलूच वक्त-वक्त पर चीनियों के विरुद्ध विद्रोह को अंजाम देते हैं. इन विद्रोही घटनाओं से चीन बौखला जाता है और बौखलाहट में वो पाकिस्तानी सरकार के कान खींचता है. चीन का दबाव पड़ते ही पाकिस्तानी सेना और ISI मिलकर बलूचों का दमन और तेज कर देते हैं.
हाल के दिनों में इन घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. कई चीनियों पर बलूच लिबरेशन आर्मी ने हमले किए हैं. ऐसे में एक तरफ तो चीन पाकिस्तान की शरीफ सरकार पर दबाव डाल रहा है. पाकिस्तान को हड़का रहा है. दूसरी तरफ बलूचों के दमन को लेकर शरीफ सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं. तीसरी तरफ बलूच छात्रों का प्रदर्शन तेज होता जा रहा है. ऐसे में साफ तौर पर यह कहा जा सकता है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं है जब इमरान खान की तरह शहबाज शरीफ को भी चलता कर दिया जाएगा.
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