सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दाम अप्रत्याशित रूप से कम कर दिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल पर 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर एक्साइज़ ड्यूटी कम करने का ऐलान किया। इस एक्साइज़ ड्यूटी के कम होने से पेट्रोल 9.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल 7 रुपये प्रति लीटर सस्ता होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल, डीजल के दाम के साथ-साथ प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लाभार्थियों को मिलने वाले गैस सिलेंडर पर सब्सिडी का ऐलान भी किया।
सरकार ने जनता को लाभ पहुंचाने के लिए यह बड़ा फैसला किया लेकिन इसमें भी विपक्षी पार्टियों और उनके इको सिस्टम ने ‘ड्रामा’ फैलाने में कोई कोताही नहीं बरती।
ऐसे में सरकार के अच्छे काम का श्रेय लेने की होड़ विपक्षी नेताओं में लग गई। सभी इस तरह से श्रेय लूट रहे थे मानो उन्हीं की वज़ह से सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दाम कम किए हो। कांग्रेस का कहना है कि पेट्रोल-डीजल के दामों में यह अप्रत्याशित कमी राहुल गांधी के संघर्षों की वजह से आई है। वहीं, आम आदमी पार्टी इसके पीछे की वजह अरविंद केजरीवाल को बता रही है।
और पढ़ें: विदेश में भारत विरोधी बयार बहा रहे थे राहुल गांधी लेकिन ‘जयशंकर डोज़’ ने तहलका मचा दिया
प्रियंका चतुर्वेदी जहां इसके पीछे उद्धव ठाकरे का नाम उछाल रही हैं तो वहीं महुआ मोइत्रा के अनुसार यह ममता का कमाल है। पर हम अपने पाठकों को बता दें कि आप ऐसे किसी भी अनर्गल, हास्यास्पद और भोले किस्म की राजनीति तथा प्रोपेगेंडा में विश्वास ना करें। पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी सरकार के एक्साइज़ ड्यूटी कम करने की वजह से आई है।
21 मई, 2022 को एक्साइज ड्यूटी के कमी के फलस्वरूप पेट्रोल-डीजल के दामों में हुई कमी से निर्मला सीतारमण ने पूरे देश को अवगत कराया। उनकी इस घोषणा के पश्चात ही सोशल मीडिया पर ‘नेटीजंस’ द्वारा वित्तमंत्री सीतारमण की प्रशंसा और राहुल गांधी का मजाक बनाया जाने लगा। आजकल के वैश्वीकरण और सूचना क्रांति के दौर में सभी लोग यह जानते हैं कि भारत पेट्रोल और डीजल का उत्पादन नहीं करता बल्कि अन्य देशों से आयात करता है। इसीलिए, इसके दाम अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति और संबंधों पर निर्भर करते हैं ना कि सरकार के निर्णय पर।
पूर्ववर्ती सरकारों ने जनता को लुभाने और उन्हें अपना वोटबैंक बनाने के लिए अनैतिक और अराजक रूप से पेट्रोल और डीजल पर विक्रेताओं और वितरणकर्ताओं को सब्सिडी प्रदान की। इसके फलस्वरूप ना सिर्फ सरकार का खजाना खाली हुआ बल्कि देश पर ऋण और कर्ज का भार भी बढ़ा। मोदी सरकार ने इसी समस्या का निवारण करते हुए कुछ समय के लिए सब्सिडी में कमी की जिससे नागरिकों को अल्पकाल के लिए भले ही पेट्रोल और कीमत के लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ा किंतु, उससे ना सिर्फ हमारा “घाटा” घटा बल्कि विदेशी मुद्रा कोष में भी सुधार हुआ।
और पढ़ें: अवसरवादी नेता जो करता वही राहुल गांधी ने किया, लेकिन हम कैंब्रिज यूनिवर्सिटी को नहीं छोड़ सकते
इसके अलावा सरकार ने इसके आयात हेतु ऐसे विक्रेता भी ढूंढे जो कम दाम पर भारत की ऊर्जा आपूर्ति को पूर्ण कर सकें, जैसे रूस। सरकार के इन्हीं प्रयासों का प्रतिफल है कि पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी दिखती है। शायद इसीलिए, जैसे ही निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने उनकी तारीफों के पुल बांधे और वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी को ‘क्रेडिटखोर’ नेता बताते हुए उनके साथ हास्य-व्यंग करने लगे।
कोई चुनाव के समय भाजपा द्वारा पेट्रोल के दाम घटाए जाने के कांग्रेसी आरोप का खंडन कर रहा था तो कोई व्यंग्यात्मक रूप से राहुल जी को श्रेय भी दे रहा था। कुछ लोगों ने व्यंग्यात्मक रूप से विपक्षी नेताओं और राहुल जी को श्रेय भी दिया तो किसी ने उनकी राजनीतिक नादानी का मखौल उड़ाया। कुल मिलाकर नेटीजंस और आम जनता ने सरकार के इस निर्णय को हाथों हाथ लिया है और पेट्रोल-डीजल के दामों के प्रति सरकार पर विश्वास जताया है।
और पढ़ें: राहुल गांधी ने फिर मारी अपने पैरों पर ‘कुल्हाड़ी’, शिवेसना समेत क्षेत्रीय दलों ने मिलकर धोया