बेंगलुरू ने तोड़ा यूक्रेन का घमंड

यह नया भारत है भैया, अब रूकेगा नहीं!

Karnataka

Source- TFI

आपदा में अवसर ढूंढना तो भारत के लिए अब बाएं हाथ का खेल हो गया है। विगत कुछ माह में भारत कई संकट भरे स्थिति से सफलतापूर्वक बाहर निकलने में सफल भी रहा है। इसी को एक नए ऊंचाई पर ले जाते हुए भारत ने एक नया कीर्तिमान रचने का निर्णय किया है, जहां वन्दे भारत ट्रेनों के पहियों का निर्माण अब पूर्णतया स्वदेशी होगा।

जी हां, अब भारत को वन्दे भारत ट्रेनों के पहियों के लिए विदेशी आपूर्ति पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होगी। वो कैसे? अब वन्दे भारत ट्रेनों के पहिये बेंगलुरू के येलाहांका व्हील फैक्ट्री में ज़ोर शोर से निर्मित किए जाएंगे। प्रारंभ में ये पहिये रोमानिया के जरिए यूक्रेन से आयात किए जाते थे, परंतु वर्तमान रूस-यूक्रेन विवाद के कारण इस आपूर्ति पर न केवल विराम लग गया, परंतु भारतीय रेलवे के समक्ष एक नई दुविधा सामने आ गई।

ऐसे में रेलवे व्हील फैक्ट्री ने आवश्यक पहियों हेतु टेंडर जारी किए, जिन्हें खबरों के अनुसार दो से तीन माह में पूर्ण किया जाना है। इन फैक्ट्री में पहले भी ऐसे काम होते रहे हैं और इंपोर्टेड पहियों के निर्माण हेतु एक्सल उत्पादन भी सुचारु रूप से चलता रहा है। यदि पहियों के निर्माण का स्वदेशीकरण हुआ, तो इससे न केवल आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा, अपितु 60 से 70 प्रतिशत तक आयत पर निर्भरता कम होगी।

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “वैश्विक बाजार में वर्तमान संकट (रूस-यूक्रेन विवाद) ने चिंताएं बढ़ा दी है, क्योंकि यूक्रेन पहियों का सबसे बड़ा उत्पादक है। मालगाड़ियों के उत्पादन हेतु उसे 70 प्रतिशत ऑर्डर यूरोपियन संघ से मिलते हैं। लेकिन वर्तमान संकट से इस पूरे आपूर्ति पर काफी असर हुआ है। इसे ध्यान में रखते हुए रेलवे मंत्रालय और यूक्रेन में स्थित भारतीय दूतावास के साथ काफी बैठकें की, जिसमें रोमानिया में अटकी पड़ी 128 पहियों की एक खेप को किसी ट्रकों के जरिए निकलवाया।”

लेकिन अब आगे इस प्रकार का संकट न हो, इसको सुनिश्चित करने के लिए रेलवे ने अभी से कमर कस ली है। वर्ष 2022 से 2023 के केन्द्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रस्ताव रखा है कि अगले 3 वर्षों में ऐसी 400 वन्दे भारत ट्रेनों का निर्माण होगा, जिसमें से 75 ट्रेनें केवल 15 अगस्त 2023 तक ही सबके समक्ष आ जानी चाहिए। यदि ये बात सत्य सिद्ध होती है, तो बेंगलुरु न केवल आईटी के अलावा रेलवे हब के रूप में सामने आएगा, अपितु वह यूके को भी रेलवे पहियों के निर्माण की होड़ में मीलों पीछे छोड़ देगा।

और पढ़ें: भाजपा की सशक्त सरकार में हाई-स्पीड माल ट्रेनों को शुरू करने के लिए तैयार है भारतीय रेलवे

Exit mobile version