बॉम्बे कोर्ट ने राणाओं के खिलाफ देशद्रोह के आरोपों को खारिज कर ठाकरे सरकार को दिखाया आईना

कोर्ट में उद्धव की दलीलों पर चला बुलडोजर !

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Source- TFI POST

महाराष्ट्र के मस्जिदों में लाउडस्पीकर बजाने पर रोक लगाने की मांग को लेकर बवाल मचा हुआ है। राज ठाकरे की मनसे सहित भारतीय जनता पार्टी ने इस पर उद्धव सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाया है। मस्जिद में लाउडस्पीकर बजाने के विरोध में भाजपा नेताओं ने महाराष्ट्र के कई जिलों हनुमान चालीसा का पाठ किया जिसके बाद उद्धव सरकार आग-बबूला हो गई। आपको बतादें की महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा पाठ का नेतृत्व भाजपा के तरफ से सांसद नवनीत राणा और उनके पति विधायक रवि राणा ने किया था। जिसके बाद मुंबई पुलिस ने राणा दंपती को देशद्रोह का मुक़दमा दायर कर गिरफ्तार किया गया था।

आपको बतादें की इस मामले में महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी को शर्मसार करते हुए, मुंबई की सेशंस कोर्ट ने पाया है कि मुंबई पुलिस के पास सांसद नवनीत कौर-राणा और उनके पति विधायक रवि राणा के खिलाफ देशद्रोह के आरोप लगाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं थे और बुधवार, 4 मई को इस मामले में राणा दंपति को जमानत दे दी गई। दोनों को 50,000 रुपये के मुचलके पर जमानत मिलने के बाद, दंपति को आदेश दिया गया था कि वे इस मामले में मीडिया से बात न करें या भविष्य में “इस तरह के अपराध” न करें।

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हनुमान चालीसा विवाद

आपको बतादें कि राणाओं को 23 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था, और भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और धारा 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किया गया आपराधिक कृत्य) के तहत मामला दर्ज किया गया था, जब उन्होंने मातोश्री के बाहर लाउडस्पीकर के विरोध में हनुमान चालीसा का पाठ करने की घोषणा की थी। हालाँकि, राणाओं ने बाद में दावा किया था कि उन्होंने विरोध करने की अपनी योजना को रद्द कर दिया था।

इससे पहले सांसद नवनीत राणा और उनके पति विधायक रवि राणा, जिन्हें पहले हनुमान चालीसा विवाद के बाद मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था, अब देशद्रोह के आरोप में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। इसके बाद नवनीत राणा को भायखला महिला जेल भेजा गया, जबकि उनके पति को मुंबई की आर्थर रोड जेल भेजा गया था। लोक अभियोजक प्रदीप घरात ने कहा कि इस मामले में आईपीसी की धारा 124-ए (देशद्रोह) को आकर्षित किया जा रहा है क्योंकि राणा जोड़ी ने कथित तौर पर सरकारी तंत्र को चुनौती दी थी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ टिप्पणी की थी।

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अदालत ने कहा

यहां यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि राजनीतिक नेता शांति और शांति की सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी जीवन शक्ति की सराहना इस तथ्य के कारण की जाती है कि उनके अनुयायी उन पर विश्वास करते हैं और उसके अनुसार कार्य करते हैं। इसलिए, राजनेताओं और अन्य सार्वजनिक हस्तियों की जिम्मेदारी अधिक होती है। हालाँकि, केवल अपमानजनक या आपत्तिजनक शब्दों की अभिव्यक्ति, IPC की धारा 124 A में निहित प्रावधानों को लागू करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हो सकती है।

अदालत ने आगे कहा, “यह ध्यान दिया जा सकता है कि आवेदकों द्वारा दिए गए भाषण के परिणामस्वरूप न तो आवेदकों ने किसी को हथियार रखने के लिए बुलाया और न ही कोई हिंसा को उकसाया। मामले के इस दृष्टिकोण में, मेरा विचार है कि प्रथम दृष्टया, आईपीसी की धारा 124 ए के निर्णायक तत्व इस स्तर पर नहीं बने हैं की उन पर सेक्शन का मुकदमा बन सके।

राणा दंपतियों को बेल मिलने के बाद शिवसेना का मुँह लटका हुआ नज़र आ रहा है।आपको बतादें कि इस मामले में शिवसेना सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को फिर आरोप लगाया कि देश में ‘राहत घोटाला’ चल रहा है। पिछले कुछ महीनों में, राउत ने बार-बार आरोप लगाया है कि अदालतें उन लोगों को राहत दे रही हैं जो या तो किसी विशेष विचारधारा में विश्वास करते हैं या किसी विशेष राजनीतिक दल से संबंधित हैं।

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यह तो अब सत्य है की राजनीति का स्तर अब धार्मिक हो चुका है। हिन्दू बाहुल्य देश में हनुमान चालीसा पढ़ने पर देशद्रोह का आरोप लगाना शिवसेना की नीतियों पर संदेह खड़ा करती है। शिवसेना जो हिन्दू ह्रदय सम्राट बाल ठाकरे द्वारा बनाई गई हिन्दू विचारधारा की पार्टी थी वो उनके पुत्र उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में धूमिल हो गई है। साफ -साफ शब्दों में कोर्ट ने शिवसेना को समझा दिया की अपनी धार्मिक मान्यता को पूरा करना कोई देशद्रोह नहीं है।

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