बिहार में बहार है- नीतीशे कुमार है। यह चुनावी नारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए गढ़ा गया था। लेकिन पिछले 17 वर्षों से राज्य की सत्ता सँभालने के बाद नीतीश कुमार कई मोर्चे पर फेल रहे हैं जिसमें ख़राब शिक्षा व्यवस्था प्रमुख है। पिछले कई वर्षों से बिहार में परीक्षा पेपर लीक के कई केस सामने आये है जिसके बाद नीतीश कुमार की चारो तरफ आलोचना हुई थी लेकिन इतनी आलोचना के बाद भी नीतीश सरकार में शिक्षा व्यवस्था सुधर नहीं पाया। कभी BSSC परीक्षा तो कभी बिहार बोर्ड परीक्षा पेपर लीक की खबर ने बिहार को देश भर में बदनाम कर दिया है।
आज के परिदृश्य की बात करे तो एक बार फिर से बिहार में परीक्षा पेपर लीक ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार को परेशान करना शुरू कर दिया है। दरअसल बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने रविवार को आयोजित बीपीएससी 67वीं संयुक्त प्रतियोगी प्रारंभिक या प्री-परीक्षा 2022 को रद्द कर दिया है। आपको बतादें कि यह फैसला परीक्षा शुरू होने से कुछ ही मिनट पहले विभिन्न व्हाट्सएप और टेलीग्राम समूहों पर प्रश्न पत्र वायरल होने के बाद आयोग ने यह निर्णय लिया।
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शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल
आयोग ने बीपीएससी पेपर लीक का संज्ञान लेते हुए आज आयोजित परीक्षा को रद्द करने का फैसला किया है। अब नई परीक्षा तिथियों की घोषणा bpsc.bih.nic.in पर नियत समय पर की जाएगी। वहीं एक आधिकारिक नोटिस में, बीपीएससी ने साझा किया है कि परीक्षा 8 मई, 2022 के लिए निर्धारित की गई थी। हालांकि, प्रश्न पत्र ऑनलाइन वायरल हो गया। जब इसकी खबर मिली तो आयोग ने जांच शुरू कर दी। स्थिति को समझने के आधार पर परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया। इससे पहले बिहार लोक सेवा आयोग ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। वहीं पेपर लीक के आरोप में सैकड़ों अभ्यर्थियों ने कई कॉलेज परीक्षा केंद्र पर हंगामा किया।
जैसे हीं BPSC के प्रश्न पत्र लीक की खबर आई उसके बाद यह मामला पूरे देश में आग की तरह फैल गया और नीतीश कुमार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दिया। इस मामले पर मचे बवाल के बाद बिहार शिक्षा पदाधिकारी एक्शन मोड में आ गए। और इस मामले की गंभीरता को देखते हुए हालांकि परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं, लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है यह असली सवाल है।
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कार्रवाई की मांग
बीपीएससी के सचिव जीत सिंह ने कहा पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई है और तीन दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। सिंह ने अपने बयान में कहा कि इन आरोपों की जांच समिति द्वारा जांच की जाएगी और हमें परीक्षा शुरू होने के समय प्रश्न पत्र लीक होने की शिकायतें मिली थीं। हमने स्क्रीनशॉट की तुलना प्रश्न पत्रों से की और उन स्क्रीनशॉट्स की तुलना सेट सी से की। स्क्रीनशॉट कथित तौर पर परीक्षा शुरू होने से लगभग छह मिनट पहले वायरल हो गए थे। वहीं भोजपुर जिला मुख्यालय आरा में परीक्षा केंद्रों में से एक वीर कुंवर सिंह कॉलेज में परीक्षार्थियों ने चौंकाने वाला आरोप लगाया।
युवकों और युवतियों ने यह आरोप लगाते हुए हंगामा किया कि कुछ उम्मीदवारों को अलग कर दिया गया और एक अलग कमरे के अंदर अपने प्रश्न पत्र हल करने की अनुमति दी गई, और वहां मोबाइल फोन ले जाने की भी अनुमति दी गई। भोजपुर के जिलाधिकारी रौशन कुशवाहा मौके पर पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को शांत कराया। लड़के और लड़कियों को लिखित में अपनी शिकायत देने को कहा गया है। हम इन्हें बीपीएससी को सौंपेंगे जो अकेले ही कोई कार्रवाई कर सकती है। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन केवल यह सुनिश्चित कर सकता है कि परीक्षा नियत दिन पर बिना किसी बाधा के आयोजित की जाए। इस बीच, राज्य भर में 1,000 से अधिक केंद्रों पर परीक्षण के लिए उपस्थित हुए पांच लाख से अधिक उम्मीदवारों ने निराशा के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की और नितीश सरकार पर खूब हमला बोला है।
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इस घटना को लेकर नीतीश कुमार का बयान भी चर्चाओं के केंद्र में हैं। दरअसल जब नीतीश कुमार से इस गंभीर मामले के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा की दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अब नीतीश कुमार का इतना कह देने से कुछ नहीं हो जाएगा। दरअसल उनके सरकार में यह परीक्षा पेपर लीक घटना नया नहीं है और BPSC जैसा इतना प्रतिष्ठित परीक्षा का लीक होना बिहार के लिए बहुत बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। नीतीश कुमार हमेशा से अपनी सुशाशन और शिक्षा नीति के लिए बदनाम रहे हैं। नीतीश सरकार में कोई भी युवा खुश नहीं है। बेरोजगारी राज्य की सबसे बड़ी समस्या रही है और राज्य के छात्र अपना सारा जीवन परीक्षा की तैयारी में लगाते हैं और इस तरह से परीक्षा पेपर का लीक होना बिहार के नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।