प्रिय ASI, मार्तंड सूर्य मंदिर पहले एक हिंदू मंदिर है और बाद में “आपका संरक्षित स्मारक”

अब हिंदू मंदिर जाकर पूजा भी न करें?

Martand Sun Temple

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भारत में सैंकड़ों वर्षों तक आक्रांताओं ने हिन्दू सभयता और हिन्दू संस्कृति का दोहन किया। हिन्दू मंदिरों को तोड़ आक्रांताओं ने मस्जिद और मज़ार का निर्माण कर हिन्दू आस्था को चोट पहुंचायी। देश का एक ऐसा राज्य जहां हिन्दुओं की बड़ी आबादी होने के बाद भी हिन्दुओं को उनकी ही विरासत से अछूता रखा गया और वो राज्य है कश्मीर। 90 के दशक में और उससे भी पहले कश्मीर की स्वदेशी हिंदू जनसंख्या को बंदूक की नोक पर उनकी मातृभूमि से बाहर निकाल दिया गया था। हिंदुओं को जबरन बाहर करने के साथ ही कश्मीर में हिन्दू इतिहास को भी मिटा देने का प्रयास किया गया जिसमें प्रमुखता से हिन्दुओं के धार्मिक स्थल को निशाना बनाया गया।

इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर क्यों कश्मीर में स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर में देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं के पूजा करने पर इतना बवाल मच रहा है और कैसे ऐसे बवाल की न तो कोई आवश्यकता है न ही औचित्य।

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प्राचीन मार्तंड सूर्य मंदिर में एक विशेष पूजा हुई

दरअसल 6 मई को, दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के मट्टन में प्राचीन मार्तंड सूर्य मंदिर में एक विशेष नवग्रह अष्टमंगलम पूजा आयोजित की गई थी। पूजा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, हिंदू संतों, कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों और स्थानीय निवासियों की उपस्थिति में आयोजित की गई थी। इस अवसर पर सुबह सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु परिसर में उमड़ पड़े और पूजा-अर्चना की। इसके बाद पूजा शंकराचार्य जयंती के अवसर पर की गई थी। उसी के बारे में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ट्वीट करते हुए इसे “ईश्वरीय और एक दिव्य अनुभव” करार दिया। अपने ट्वीट में उपराज्यपाल ने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण प्राचीन स्थानों की रक्षा और विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की। जैसे ही मनोज सिन्हा द्वारा मार्तंड सूर्य मंदिर में पूजा की गयी उसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर चिंता व्यक्त की है।

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अब यह प्रश्न यह उठ रहा है कि आखिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI )विभाग क्यों नाराज है। ASI द्वारा इस मामले को लेकर चिंता जताने का अर्थ आखिर है क्या? एक 1,700 साल पुराने मंदिर में भक्तों के द्वारा पूजा करने पर इतना शोर क्यों ? क्या हिन्दू अपने देश में पूजा नहीं कर सकते। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार मनोज सिन्हा के दौरे को अपने नियमों के उल्लंघन की घटना के रूप में देख रहा है लेकिन अभी तक उसने औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की है। ASI ने यह भी कहा कि परिसर में धार्मिक समारोह आयोजित करने के लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं मांगी गई थीऔर वहीं उन्होंने प्रशासन से सावधानी बरतने को कहा ताकि इस तरह का उल्लंघन दोबारा न हो। मार्तंड सूर्य मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकार क्षेत्र में आता है। एएसआई चाहता था कि मंदिर में पूजा करने से पहले हिंदू इसकी अनुमति लें। हिंदू द्वारा उद्धृत एएसआई अधिकारियों ने कहा कि विभाग को एल-जी की यात्रा के बारे में सतर्क किया गया था लेकिन संरक्षित स्थल पर “पूजा के लिए कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी”।

तो वहीं दूसरी तरप सरकार हिंदुओं के पक्ष में स्पष्ट रुख अपनाते हुए कह रही है कि स्थल पर प्रथागत संस्कार करने के लिए एएसआई की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। हिंदू द्वारा उद्धृत एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, “एएसआई ने इसके ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व को देखते हुए संरक्षण उद्देश्यों के लिए इस मंदिर को अपने नियंत्रण में ले लिया। नियम 7(2) के तहत, प्रथागत प्रथाओं के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं थी।

वहीं आश्चर्यजनक रूप से एएसआई और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती एक ही पृष्ठ पर हैं, भला ऐसे मामले पर और हिंदुओं का विरोध करने की बात आती है तो मुफ्ती के शब्द फूटें नहीं ऐसा तो हो ही नहीं सकता। मुफ्ती ने कहा,“जहां हजारों कश्मीरी बेबुनियाद आरोपों में जेल में बंद हैं, वहीं राज्य के मुखिया एएसआई-संरक्षित स्थल पर पूजा करने जैसे सरल नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हैं। जम्मू-कश्मीर में शासन पूजा और लोगों पर चुप्पी साधे हुए है।

यहां ASI को हिन्दू मान्यताएं को समझना होगा। ASI को समझना होगा कि कश्मीर में मार्तंड सूर्य मंदिर पहले पूजा का एक हिंदू स्थल है, उसके बाद ही यह एएसआई का “संरक्षित स्मारक” है। भारत के जम्मू और कश्मीर में स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर अनंतनाग शहर के पास एक मध्ययुगीन हिंदू मंदिर है। यह हिंदू धर्म के देवता सूर्य को समर्पित था। सूर्य को संस्कृत भाषा में मार्तण्ड भी कहा जाता है इसलिए यह नाम पड़ा है। सिकंदर शाह मीरी ने एक बार मंदिर को तोड़ा था।

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मार्तण्ड सूर्य मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ

कल्हण के अनुसार ललितादित्य मुक्तपीड़ा ने मार्तण्ड सूर्य मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में करवाया था। जोनाराजा और हसन अली के अनुसार, सिकंदर शाह मीरी (1389-1413) ने मीर मुहम्मद हमदानी नामक एक सूफी मौलवी के सुझाव पर समाज का इस्लामीकरण करने के लिए मंदिर को ध्वस्त कर दिया।

मंदिर की भव्यता ऐसी थी कि इसके खंडहर भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। मंदिर के खंडहरों को देखकर ही लोग दंग रह जाते हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह स्थल एक पर्यटक और पिकनिक स्थल बनने के लिए एएसआई को ज्यादा चिंतित नहीं करता है, हालांकि, इस स्थल पर पूजा करने वाले हिंदू संस्था को नाराज कर देते हैं क्योंकि इसका अस्तित्व ही खतरे में है।

एएसआई का पाखंड जिसे अनदेखा नहीं कर सकते। एएसआई को शाहिद कपूर अभिनीत फिल्म हैदर से मार्तंड सूर्य मंदिर को गलत तरीके से पेश करने से कोई समस्या नहीं थी। वास्तव में, एएसआई ने मंदिर को शैतान की पूजा की मांद के रूप में दिखाते हुए फिल्म को “संरक्षित स्थल” पर शूट करने की अनुमति भी दी थी।

एएसआई को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि संस्कार, अनुष्ठान और रीति-रिवाज पूरे भारत में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों, विशेषकर मंदिरों के संरक्षण के साथ-साथ चलते हैं। हिंदू अब उन मंदिरों की महिमा को पुनः प्राप्त करना चाहते हैं जिन्हें कट्टरपंथियों ने नष्ट कर दिया है। एएसआई को इस तरह के प्रयास का समर्थन करना चाहिए और उन भक्तों की मदद करनी चाहिए जिन्होंने एक बार फिर ऐसे पवित्र स्थल पर पूजा करना शुरू कर दिया है।

ASI को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संरचनाओं की भौतिक सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाए जाएं। समस्या का हिस्सा बनने के बजाय, एएसआई के समाधान का हिस्सा बनने का समय आ गया है। एएसआई को यह याद रखना चाहिए कि हिंदू मंदिर के प्राथमिक हितधारक हैं और यदि सदियों के बाद प्राचीन अनुष्ठानों को पुनर्जीवित किया जा रहा है तो उनका स्वागत किया जाना चाहिए न कि उनपर अपनी कुंठा जताने का प्रयास करे क्योंकि अब देश का हिन्दू पूरी तरह से अपने विरासत को पुनर्जीवित करने की तरफ अग्रसर हो चूका है और देश में मोदी सरकार भी इस बात पर जोर दे रही है की हिन्दू सभ्यता और संस्कृति को फिर से हिन्दुओं को सौंप दिया जाए जिसे आक्रांताओं और कट्टरपंथियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था।

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