बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी था, हर साख पर उल्लू बैठा है अंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा। जी हाँ, यह कथन उन अधिकारियों और नेताओं के संदर्भ में है जिन्होंने भ्रष्टाचार में आकंठ डूबकर व्यवस्था को लचर बना दिया, ऐसे में उक्त कथन इन सभी पर इसलिए सटीक है क्योंकि यह उसी बर्बादी के कारक हैं जो हाल ही में दिल्ली में हुए एक और अग्निकांड के लिए ज़िम्मेदार है। ऐसे में अगर अधिकारी नहीं जागे तो दिल्ली जैसा भयंकर अग्निकांड देश के हर हिस्से में हर साल होगा। ध्यान देने वाली बात है कि बीते शुक्रवार शाम मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास एक इमारत में आग लग गई, जिसमें कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई और 17 अन्य घायल हो गए।
दरअसल, दमकल विभाग के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी के मुंडका इलाके में शुक्रवार दोपहर एक इमारत में भीषण आग लग गई थी। अधिकारी ने बताया कि विभाग को पश्चिमी दिल्ली में मुंडका मेट्रो स्टेशन के पिलर नंबर 544 के पास स्थित एक इमारत में आग की घटना की सूचना शाम करीब 4.40 बजे मिली थी। जिसके बाद दमकल गाड़ियों को तुरंत रेस्क्यू के लिए लगाया गया था। दिल्ली में आम हो चुके अग्निकांड में एक और अग्निकांड मुंडका अग्निकांड नाम से जुड़ गया है, जिसमें 27 निर्दोष बलि चढ़ गए।
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इस अग्निकांड से खई खामियां भी उजागर हुई है। पुलिस के अनुसार, इमारत के पास फायर एनओसी नहीं है। लगभग 250 कर्मचारियों के अपनी फर्म में काम करने और फर्श पर बड़ी मात्रा में ज्वलनशील पदार्थों के भंडारण के बावजूद इमारत में अग्नि सुरक्षा व्यवस्था की कमी दर्ज़ की गई। पुलिस ने कहा कि वे अग्निशमन विभाग, नागरिक निकाय, व्यापार विभाग और अन्य संबंधित विभागों से इमारत और वहां चल रहे व्यवसायों से संबंधित उल्लंघनों के बारे में रिपोर्ट मांगेंगे। वहीं, सबसे बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि एक रिहायशी काम्प्लेक्स में कारखाना चल कैसे रहा था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बंद करने के निर्देश दिए थे। उसके बावजूद उन निर्देशों पर नीचे के अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की और अब इतनी भयानक घटना घटित हो गई।
आपको बताते चलें कि पश्चिमी दिल्ली के मुंडका में एक चार मंजिला इमारत में भीषण आग लगने के एक दिन बाद अधिकारियों और परिवारों को 27 शवों- 21 महिलाओं और छह पुरुषों की पहचान करने में मुश्किल हो रही थी – क्योंकि ये सभी जले हुए थे। दिन के अंत तक, केवल आठ शवों की पहचान की गई थी। बाकी, पहले से पहचाने गए कुछ लोगों के अलावा अन्य शवों की पुष्टि के लिए डीएनए प्रोफाइलिंग से गुजरना पड़ सकता है। जब ऐसी दुर्गम स्थिति से शवों और उससे सम्बंधित परिवारों को गुजरना पड़े तो पता चलता है कि घटना का मंजर कितना भयावह रहा होगा।
शाश्वत सत्य यही यही है कि पैसे की आपक, घर भरने की भूख और मलीदा पेलने की हवस ने आज सरकारी बाबुओं और सभी अधिकारियों को किसी न किसी रूप से ऐसे गोरखधंधों में संलिप्त कर दिया है जिससे उनके पेट तो भर रहे हैं पर वो उन सभी की मौत के कारक बन रहे हैं जो उपहार सिनेमा काण्ड से लेकर बीते 25 वर्षों में राजधानी दिल्ली में हुए 6 बड़े अग्निकांडों में से एक हैं। यह सभी अग्निकांड लापरवाही और पैसा कमाने के लिए गलत स्त्रोतों के पाले में जाने से हुए और यदि आज भी इनकी रोकथाम के लिए यथोचित कदम नहीं उठाए गए, दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए, अपराधियों पर कार्रवाई नहीं की गई और संबंधित अधिकारी अभी भी नहीं जागे तो निश्चित रूप से दिल्ली का यह अग्निकांड देश के हर हिस्से में हर साल होगा।
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