भारत डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) के लिए एक ओपन नेटवर्क लॉन्च कर रहा है क्योंकि सरकार तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स बाजार में अमेरिकी कंपनियों जैसे Amazon.com और वॉलमार्ट के प्रभुत्व को खत्म करने की कोशिश कर रही है। ओएनडीसी प्लेटफॉर्म खरीदारों और विक्रेताओं को एक-दूसरे से ऑनलाइन जुड़ने और लेन-देन करने की अनुमति देगा, चाहे वे किसी भी अन्य एप्लिकेशन का उपयोग करें। सरकारी दस्तावेज में कहा गया है कि दो बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने देश के आधे से अधिक ई-कॉमर्स व्यापार को नियंत्रित कर लोगो और व्यापारियों की बाजार तक पहुंच सीमित कर दी है। कुछ विक्रेताओं को तरजीह दी और वहीँ आपूर्तिकर्ता मार्जिन को निचोड़ा। हालाँकि, इस रिपोर्ट में कंपनियों का नाम नहीं लिया गया।
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ओएनडीसी नेटवर्क में शामिल
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि प्रतिस्पर्धा कानून के उल्लंघन के आरोपों के कारण भारत के एंटीट्रस्ट बॉडी ने अमेज़ॅन और वॉलमार्ट के कुछ फ्लिपकार्ट के घरेलू विक्रेताओं पर छापेमारी का शुभारंभ कर चुका है। पेटीएम, फोनपे, ओएनडीसी को अपने प्लेटफॉर्म पर रियल एस्टेट की पेशकश कर सकते हैं, जिसके माध्यम से उपयोगकर्ता नेटवर्क में लॉग इन कर सकते हैं।
फोनपे के प्रवक्ता ने पुष्टि करते हुए स्पष्ट किया की कंपनी खरीदार और विक्रेता पक्षों के अधिकार से ओएनडीसी नेटवर्क में शामिल होगी।फोनपे ने एक बयान में बताया- “यूपीआई की तरह, हम व्यापारियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं के साथ अपने भुगतान संबंधों का लाभ उठाते हुए ओएनडीसी जैसे एक खुले पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना चाहते हैं। इससे हमारे मर्चेंट पार्टनर्स को अपना बिजनेस बढ़ाने में मदद मिलेगी। समय सीमा के संदर्भ में, हम जल्द से जल्द लॉन्च करने के लिए ओएनडीसी के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। ओएनडीसी के सीईओ सिनर्जिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में विभिन्न हितधारकों से बात करने के लिए इस सप्ताह की शुरुआत में बेंगलुरु गए थे।
नेटवर्क का लक्ष्य छोटे विक्रेताओं को शामिल करना है। इससे कुछ को उम्मीद है कि डिजिटल भुगतान पर यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के समान होने से ई-कॉमर्स पर इसका प्रभाव पड़ेगा। यह ग्राहकों और विक्रेताओं को एक मंच पर होने की आवश्यकता के बिना बाज़ार के “विकेंद्रीकृत” होने का खेल है।
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क्या सरकार ने पासा फेंक दिया है?
सरकार ने विदेशी ई-कॉमर्स फर्मों के लिए कानूनी पारिस्थितिकी तंत्र में कई संशोधन किए हैं, मुख्य रूप से संबंधित पक्षों को अपने प्लेटफॉर्म पर बिक्री करने से रोकना, विशेष बिक्री पर रोक लगाना आदि। लेकिन, कानून में बचने के मार्ग रह ही जाते हैं। इसीलिए, ऐसा लगता है कि सरकार ने छोटे व्यापारियों के रक्षण के लिए ओएनडीसी में शामिल होने के लिए कह रहे हैं।
पर, सरकार के उद्घोष के बाद बड़े इ-कॉमर्स उद्योगपतियों को भी समतुल्य प्रतिस्पर्धा में उतरना पड़ेगा। उन्हें मालूम है की भारत में कानून का शासन है और भाजपा सरकार के रहते उसी की सर्वोच्चता बनी रहेगी। अगर कोई भी विदेशी उद्योग भारत के घरेलु उद्योग के साथ अनैतिक व्यापारिक कृत्य करता है तो उसे भारत के राष्ट्रवाद पर हमला माना जायेगा और विधि के दायरे में उसे दण्डित किया जायेगा। शायद इसीलिए, amazon, फ्लिपकार्ट, patym, फोनेपे जैसी देशी विदेशी कम्पनियां भी इसे अपनाने के लिए दौड़ लगा रहें हैं।
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