‘राजस्थान में हिंदुत्व का माहौल है’, कांग्रेसी सरकार को प्रस्थान की तैयारियां कर लेनी चाहिए

राजस्थान में कांग्रेस ने चुनावों से पहले ही हार स्वीकार कर ली है!

हिंदुत्व विरोध का कांग्रेस का एक लंबा इतिहास रहा है. कांग्रेस पार्टी ने प्रभु श्री राम के वज़ूद पर ही सवाल उठाए थे. कांग्रेस पार्टी और उसके कर्ता-धर्ताओं ने वक्त-वक्त पर हिंदुत्व को आतंकवाद से जोड़ा. ‘भगवा आतंकवाद’ जैसी फ़र्ज़ी थ्योरी दी. कांग्रेस वर्षों तक सत्ता में रहते हुए मुस्लिम तुष्टीकरण करती रही. वर्षों तक हिंदुओं को दरकिनार किया गया.

वर्षों तक हिंदुओं के साथ उनके ही देश में भेदभाव किया गया. वर्षों तक हिंदुओं को उनके ही अधिकारों से वंचित रखा गया. अब वक्त बदल गया है. अब देश में मुस्लिम तुष्टीकरण करने वालों को जनता मुंहतोड़ जवाब देती है. लोकतांत्रिक तरीकों से जनता चुनावों में उनकी जमानत जब्त करवाती है. ऐसे में मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए कुख्यात कांग्रेस पार्टी और दूसरे दलों के इस बदलाव से पसीने छूट रहे हैं.

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‘दंगा प्रदेश’ बनता राजस्थान

राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है. मुख्यमंत्री हैं अशोक गहलोत. 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं, लेकिन कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने सरेंडर तो बहुत पहले ही कर दिया है. NSUI के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अशोक गहलोत ने कहा था, ‘राज्य में हिंदुत्व का माहौल बन रहा है. लोग हमें वोट नहीं देंगे. हम भी बुरी तरह से घबरा गए हैं.’

राजस्थान के मुख्यमंत्री का यह बयान 2021 का है यानी 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले ही वो सरेंडर कर चुके हैं. कांग्रेस पार्टी जानती है कि वो विधानसभा चुनावों में हारने जा रही है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या हार के डर से गहलोत सरकार प्रदेश में दंगे होने दे रही है ?

राजस्थान में पिछले 3 साल में 6 साम्प्रदायिक घटनाएं हुई हैं।

8 अप्रैल 2019 को टोंक में।

24 सितंबर 2020 को डूंगरपुर में।

11 अप्रैल 2021 को बारां में।

19 जुलाई 2021 को झालावाड़ में।

2 अप्रैल 2022 को करौली में।

2 मई 2022 को जोधपुर में।

PFI से प्यार

एक तरफ जहां राज्य में दंगे पर दंगे हो रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश की कांग्रेस सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) जैसे मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन को राज्य में रैली करने की मंजूरी दे रही है. फरवरी 2022 में PFI ने राजस्थान में एक बड़ी रैली निकाली. भारतीय जनता पार्टी ने इस रैली पर सवाल खड़े किए थे.

1 अप्रैल को PFI ने सीएम और डीजीपी को चिठ्ठी लिखकर सांप्रदायिक घटना की चेतावनी दी और 2 अप्रैल को करौली में हिंसा हो गई. इसके बाद भी राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने PFI पर कोई कार्रवाई नहीं की. ऐसा नहीं है कि पहली बार PFI का नाम दंगों में आया हो. दिल्ली दंगों में भी PFI का नाम आया था और साथ ही बेंगलुरू में हुई हिंसा में भी इस कट्टरपंथी संगठन का नाम आया था. ऐसे में सवाल उठता है कि दंगा करवाने वाले संगठन से कांग्रेस को इतनी मोहब्बत क्यों है ?

हिंदू त्योहारों से नफरत

कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य में होने वाला एक भी दंगा नहीं रोक पाए. ख़तरनाक मंसूबे रखने वाला PFI राज्य में अपने ख़ेल ख़ेल रहा है, उसे नहीं रोक पाए. लेकिन हिंदू त्योहारों से नफरत को ज्यादा ख़ुलकर दिखाने में नहीं चूके. रामनवमी और हनुमान जयंती पर इन्हीं अशोक गहलोत ने प्रदेश में धारा 144 लगा दी. लोगों को शोभायात्रा और झांकी निकालने से रोक दिया.

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मंदिर पर बुलडोजर

जब माफियाओं के घरों पर- जब दंगाईयों के घरों पर- जब कुख्यात अपराधियों के घरों पर- जब देशद्रोहियों के घरों पर बुलडोजर चलता है तो कांग्रेस के पेट में दर्द होता है. कांग्रेस बिलबिलाने लगती है- कुलबुलाने लगती है. हिंदुस्तान की जनता कभी नहीं समझ पाई कि कांग्रेस को दंगाईयों के प्रति, देशद्रोहियों के प्रति, इतनी हमदर्दी क्यों है ?

 

वहीं, दूसरी तरफ अशोक गहलोत की सरकार ने अलवर में 300 साल पुराने मंदिर को बुलडोजर से ध्वस्त करवा दिया. इस प्राचीन मंदिर के साथ एक और मंदिर पर बुलडोजर चलाया गया. लोगों की आस्था का मज़ाक बनाया गया. लोगों की भावनाओं से ख़िलवाड़ किया गया- तुष्टीकरण के लिए गहलोत ने बहुसंख्यक हिंदुओं के आराध्य के ऊपर बुलडोजर चलवा दिया लेकिन कोई भी वामपंथी, तथाकथित उदारवादी के मुंह से एक आवाज़ नहीं निकली.

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कांग्रेस की हार तय है

राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद लगातार मुस्लिम तुष्टीकरण किया है. लगातार हिंदुओं की आस्था पर हमला किया है. ऐसे में सीएम गहलोत जो कह रहे हैं वही होगा- गहलोत कह रहे हैं कि उन्हें लोग वोट नहीं देंगे- और यह सच है कि नहीं देंगे. गहलोत कह रहे हैं कि हिंदुत्व का माहौल है. जी हां, हिंदुत्व का माहौल है और आपको अपने प्रस्थान की तैयारियां कर लेनी चाहिए सीएम साहब.

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