इस तरह भारत पेपर ड्रैगन को हर मोड़ पर मात दे रहा है

भारत की शक्ति पर कोई संदेह न करे!

PM Modi

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हिंद महासागर मानव सभ्यता के इतिहास के प्रारंभ से ही आर्थिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक भारत की सिंधू घाटी सभ्यता, चीन की सभ्यता, मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यता के बीच होने वाले व्यापार का क्षेत्र हिंद महासागर तथा इसके निकटवर्ती सागर ही थे। मध्यकाल में अरब यात्रियों और उनके बाद यूरोपीय यात्रियों की आर्थिक गतिविधियों का केंद्र भी यह क्षेत्र ही रहा। इसे अपने नियंत्रण में रखने के लिए भारत और चीन के बीच खुली प्रतिस्पर्धा चल रही है।

हिन्द महासागर का महत्व

आज भी विश्व व्यापार में पानी के माध्यम से होने वाले व्यापार का 80% हिस्सा हिंद महासागर क्षेत्र से होकर गुजरता है। 28 देशों की सीमाओं से छूटा तीन महाद्वीपों के बीच फैला यह महासागर, विश्व के खनिज पदार्थों का 16.8% और नेचुरल गैस का 27.9% हिस्सा अपने भीतर समाहित किए हुए हैं। इस महासागर की सीमाओं पर बसने वाले देश, विश्व धरातल का 17.5% हिस्सा हैं, जिसमें विश्व की 35% आबादी निवास करती है।

अब स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में जिस भी देश का दबदबा होगा वैश्विक राजनीति पर उसका प्रभाव सबसे अधिक होगा। यही कारण है कि मिस्र, भारत, बर्मा, चीन तथा हांगकांग पर कब्जा अथवा प्रभाव जमाए बैठे ब्रिटिश 19वीं शताब्दी की सबसे बड़ी शक्ति थे। बाद में अमेरिका ने डिएगो गार्सिया में अपना सैन्य अड्डा बनाया और पूर्व में फिलीपींस, जापान तथा दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ, पश्चिम में खाड़ी देशों के ऊपर और दक्षिण हिन्द महासागर क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने संबंध मजबूत रखे। अब 21वीं शताब्दी में महाशक्ति बनने की दौड़ में लगे भारत और चीन इस क्षेत्र में अपने अपने प्रभाव का विस्तार कर रहे हैं। भारत चीन की हर सवाल का जवाब दे रहा है।

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भारत दे रहा है चीन को जवाब

चीन ने भारत को घेरने के लिए स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स नीति अपनाई है। भारत ने इसका जवाब नेकलेस ऑफ डाइमंड से दिया है। इस क्षेत्र में तीन चोक पॉइंट हैं, स्ट्रेट ऑफ होरमुज़, स्ट्रेट ऑफ मलक्का और स्ट्रेट ऑफ बाब अल मंडेब। चीन ने स्ट्रेट ऑफ हरमुज पर नियंत्रण हेतु पहले ईरान के साथ अपने संबंध सुधारने शुरू किए। जवाब में भारत ने चाहबार प्रोजेक्ट शुरू किया। फिर चीन ने पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट बनाने की योजना लाई, तो भारत ने ओमान के साथ समझौता करके दुकम पोर्ट की पहुंच का अधिकार ले लिया। ओमान और भारत संयुक्त नौसैनिक अभ्यास करते हैं और दोनों देशों के बीच करीबी रक्षा सहयोग है।

स्ट्रेट ऑफ मलक्का में अपना प्रभाव बनाने के लिए चीन ने इंडोनेशिया से संबंध सुधारने शुरू किए किन्तु यहां भी भारत पहले से अपनी शक्ति बढ़ा चुका है। भारत के पास स्ट्रेट ऑफ मलक्का के निकट अंडमान निकोबार के रूप में अपना सैन्य बेस मौजूद है। इंडोनेशिया के सबांग बंदरगाह पर भी भारत की पहुंच है। स्ट्रेट ऑफ बाब अल मंडेब, जो अफ्रीका और एशिया के बीच है, वहां चीन और भारत दोनों अपना बंदरगाह बना चुके हैं।

इसके अतिरिक्त भारत ने अफ्रीकी देशों को मानव सहयोग प्रदान करके अपनी कूटनीतिक शक्ति का विस्तार किया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि भारत के पास मॉरीशस सेसल्स और मेडागास्कर में भी चीन आ चुका है।

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भारत को घेरने के लिए चीन पाकिस्तान पर निर्भर

भारत को घेरने के लिए चीन केवल पाकिस्तान पर निर्भर है किंतु भारत ने चीन के पड़ोसी देशों में जापान और दक्षिण कोरिया के साथ लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया है और अब भारत इस क्षेत्र में अपने संबंध और मजबूत कर रहा है। QUAD के बारे में तो सभी जानते हैं।

चीन ने अपने बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को माध्यम बनाकर अपने प्रभाव को बढ़ाने का प्रयास किया है। किंतु भारत भी वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड योजना के अंतर्गत बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट का जवाब दे रहा है। इसके अतिरिक्त श्रीलंका, अफगानिस्तान, मालदीव जैसे देशों को जिन्हें या तो अमेरिका अथवा चीन ने विभिन्न नीतियों के माध्यम से बर्बाद कर दिया है, उन देशों को आर्थिक मदद देकर भारत उन्हें अपने निकट ला रहा है।

हिंद महासागर क्षेत्र भारत चीन के बीच संघर्ष का एक छोटा भाग है। वैश्विक स्तर पर खाड़ी देशों में, मध्य एशिया में भी भारत और चीन के बीच कूटनीतिक द्वंद्व चल रहा है। भारत की सफलता का एक बहुत बड़ा कारण यह है कि जहां एक ओर चीन दूसरे देशों को खनिज संसाधन लूटने का माध्यम समझता है। चीन की डेट ट्रैप नीति दूसरे देशों की अर्थव्यवस्थाओं को अपना गुलाम बनाने के लिए है। वहीं भारत बराबरी के स्तर पर संबंध स्थापित करता है तथा उन देशों के कौशल विकास पर ध्यान देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करता है।

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