“अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा”, आप भी सोच रहे होंगे तात्पर्य? प्रारंभ में हमें भी नहीं समझ आता था, लेकिन तमिलनाडु में स्टालिन और बंगाल में ममता के शासन को देखकर सब स्पष्ट समझ आता है। जहां नीति का अभाव हो, और जहां अन्याय सर्वोपरि हो, वही अंधेर नगरी है। हाल ही में तमिलनाडु के राजकीय मदुरै मेडिकल कॉलेज (Madurai Medical College) के एमबीबीएस (MBBS) प्रथम वर्ष के छात्रों ने शनिवार (30 अप्रैल 2022) को दीक्षा सत्रारंभ समारोह यानी इंडक्शन ओरिएंटेशन सेरेमनी (Induction Ceremony) के दौरान हिप्पोक्रेटिक शपथ की जगह ‘महर्षि चरक शपथ‘ ली। ऐसा देश में पहली बार हुआ है, जब मेडिकल छात्रों ने हिप्पोक्रेटिक की बजाय महर्षि चरक शपथ ली हो –
Madurai | First-year MBBS students of Government Madurai Medical College took 'Maharishi Charak Shapath' instead of the Hippocratic oath during the induction ceremony yesterday
Tamil Nadu govt has moved to 'Waiting List' the Dean of Government Madurai Medical College. pic.twitter.com/xnnh5YhEzz
— ANI (@ANI) May 1, 2022
इस बदलाव को लेकर तमिलनाडु की एम के स्टालिन सरकार ने अप्रत्यक्ष तौर पर नाराजगी जाहिर की है। बताया जा रहा है कि जब छात्र दीक्षा सत्रारंभ समारोह में ‘महर्षि चरक शपथ’ ले रहे थे, उस वक्त तमिलनाडु के वित्त मंत्री पीटीआर पलानीवेल थियागा राजन और राजस्व मंत्री पी मूर्ति भी मौजूद थे। डीएमके को असल में इस बात से आपत्ति थी कि Hippocrates की शपथ क्यों नहीं ली गई। डीएमके मूल रूप से सनातन विरोधी पार्टी रही है, जिसे किसी भी प्रकार की भारतीयता से सख्त चिढ़ रही है, और ऐसे में वह भारतीय संस्कृति के ऐसे अनुसरण को कैसे स्वीकार करती?
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शपथ के बाद
फलस्वरूप ‘महर्षि चरक शपथ’ दिलाने के मामले में राज्य सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कॉलेज के डीन डॉ ए रथिनवेल (Dr A Rathinavel) को वेटिंग लिस्ट में डलवा दिया है, यानि उन्हे निलंबित नहीं किया, परंतु आधिकारिक रूप से स्थानांतरित भी नहीं किया है। तमिलनाडु सरकार ने डीन का ट्रांसफर करते हुए उन्हें वेटिंग लिस्ट में डाल दिया है। एक प्रेस नोट में तमिलनाडु सरकार ने कहा, “सभी मेडिकल कॉलेज लंबे समय से मेडिकल छात्रों को हिप्पोक्रेटिक ओथ दिला रहे हैं। ऐसे में हिप्पोक्रेटिक ओथ के स्थान पर महर्षि चरक शपथ कराना निंदनीय है। कॉलेज के डीन को उनके पद से हटा दिया गया है और उन्हें वेटिंग लिस्ट में डाल दिया है।”
तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने चिकित्सा विभाग के निदेशक डॉ. नारायण बाबू को नियमों का उल्लंघन करने के मामले में जाँच करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने कहा कि वह सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रमुख को एक सर्कुलर के माध्यम से छात्रों को हमेशा हिप्पोक्रेटिक ओथ दिलाने के लिए कहेंगी।
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आश्चर्यजनक बात तो यह है कि यह शपथ कोई अवश्यंभावी भी नहीं थी। हाल ही में चिकित्सा शिक्षा नियामक राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने एमबीबीएस के नए पाठ्यक्रमों में और देश में इसकी पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए ‘हिप्पोक्रेटिक ओथ’ की जगह ‘महर्षि चरक शपथ’ दिलाने की सिफारिश की गई थी। नए दिशा निर्देशों के अनुसार, “किसी अभ्यर्थी के चिकित्सा शिक्षा में दाखिला लेने पर संशोधित ‘महर्षि चरक शपथ’ दिलाए जाने की सिफारिश की जाती है।”
इस विषय पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भी संसद में कहा था कि ‘महर्षि चरक शपथ’ वैकल्पिक होगी और मेडिकल के छात्र इस शपथ को लेने के लिए बाध्य नहीं होंगे। ऐसे में ये मदुराई कॉलेज के लिए विकल्प समान था कि वे इस शपथ के अनुसार चलें कि नहीं। परंतु इस कॉलेज के डीन के विरुद्ध कार्रवाई करके स्टालिन सरकार ने कहीं न कहीं भगत सिंह की बात को सत्य सिद्ध कर दिया, कि गोरे साहब तो चले जाएंगे, पर उनकी जगह भूरे साहब आ जाएंगे, जिनका भारत से दूर दूर तक कोई नाता नहीं होगा।
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