भारत के सिलिकॉन वैली ने 3 बिलियन डॉलर का इजरायली निवेश आकर्षित किया

सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ चला है भारत!

कर्नाटक निवेश

Source- TFI

पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश विकास के पथ पर अग्रसर हो चला है। रणनीतिक और आर्थिक रूप से देश आज दुनिया के ताकतवर देशों को टक्कर दे रहा है। स्टार्टअप्स और विदेशी निवेश काफी तेजी से बढ़े हैं। दिल्ली, मुंबई के साथ-साथ कर्नाटक विदेशी कंपनियों के लिए एक हब के रूप में उभरा है। आंकड़ो की मानें तो बेंगलुरु ने नए स्टार्टअप के लिए जितना पैसा जुटाया है, बीजिंग और शंघाई भी उतना पैसा नहीं जुटा पाए हैं। ध्यान देने वाली बात है कि विश्व भर में ‘नए यूनिकॉर्न’ पैदा करने वालों की श्रेणी में बेंगलुरू शहर शीर्ष 10 में से चौथे स्थान पर आता है। इतना ही नहीं, इस श्रेणी में दूर-दूर तक कोई चीनी शहर दिखाई नहीं देता। यही वजह है कि निवेशक कर्नाटक की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देखते हैं।

इसी बीच ISMC टीम ने बीते दिन रविवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से उनके गृह कार्यालय कृष्णा में मुलाकात की। ISMC ने कर्नाटक में 65 एनएम एनालॉग सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट में 22,900 करोड़ रुपये (3 बिलियन डॉलर) के निवेश की घोषणा की। वाणिज्य, उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना और प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से कर्नाटक सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव ई.वी. रमण रेड्डी ने आईएसएमसी के निदेशक अजय जालान के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

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सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भर बन रहा भारत

ISMC ने मैसूर के कोचनहल्ली औद्योगिक क्षेत्र में 150 एकड़ जमीन का अनुरोध किया है। यह भारत सरकार द्वारा अनुमोदित परियोजना पर भारतीय सेमीकंडक्टर मिशन के तहत पहली और सबसे बड़ी अर्धचालक निर्माण इकाइयों में से एक होगी। इस परियोजना से क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभावों के साथ 1,500 से अधिक प्रत्यक्ष और 10,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर और सहायक अर्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र उद्योग के विकास की उम्मीद है।

इस अवसर पर बोलते हुए बोम्मई ने कहा, “यह समझौता ज्ञापन विभिन्न राज्यों के बीच सेमीकंडक्टर फैब को लेकर होनेवाले प्रतिस्पर्धा के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता है। कर्नाटक समझता है कि यह न केवल राजकोषीय प्रोत्साहन के लिए मायने रखता है बल्कि एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र की उपलब्धता और संचालन में आसानी के लिए भी महत्वपूर्ण है।“ बोम्मई ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और विजन के तहत यह देश का गौरव है कि हम सेमीकंडक्टर्स फैब में आत्मनिर्भर बन रहे हैं।”

कर्नाटक बनेगा चिप उद्योग के विकास की आधारशिला

कर्नाटक के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सी.एन. अश्वथ नारायण ने भी अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि “कर्नाटक में सेमीकंडक्टर उत्पादन राज्य की अर्थव्यवस्था को और गति प्रदान करेगा और हम यहां विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए वैश्विक फर्मों का समर्थन करने में प्रसन्न हैं।” वहीं, समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते हुए  ई.वी. रमना रेड्डी ने कहा, “2025 तक चलने की उम्मीद के बीच अर्धचालकों में भारतीय निवेश में वृद्धि अर्धचालकों की वैश्विक मांग के साथ मेल खाती है। हमने आईएसएमसी के लिए निवेश गंतव्य के रूप में मैसूर में एक इलेक्ट्रॉनिक्स और सिस्टम डिजाइन क्लस्टर का सुझाव दिया है।”

साथ ही औद्योगिक विकास आयुक्त, गुंजन कृष्णा ने कहा, वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों के लिए आवश्यक है कि भारत देश में अर्धचालक निर्माण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करे और कर्नाटक इलेक्ट्रॉनिक चिप डिजाइन उद्योग में अपने मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र के कारण इसका लाभ उठाने के लिए तैयार है। मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज से ही सेक्टर की ग्रोथ में इजाफा होगा।“

आपको बताते चलें कि कर्नाटक के पास देश में सबसे अच्छे बुनियादी ढांचे के साथ एक प्रचुर मात्रा में कुशल प्रतिभा पूल भी है। एक राज्य के रूप में कर्नाटक न केवल व्यवसायों के लिए प्रवेश बाधाओं को कम करने की कोशिश कर रहा हैं, बल्कि व्यवसायों से बाहर निकलने को भी आसान बना रहा हैं। मजबूत नीतियों, एक प्रतिबद्ध टीम, सर्वश्रेष्ठ बुनियादी ढांचे और श्रमिकों की बढ़ती प्रतिभा के साथ, कर्नाटक एक प्रमुख निवेश गंतव्य बनने की ओर अग्रसर है। यह भारत के semiconductor चिप के उद्योग विकास की आधारशिला बनेगा। कर्नाटक आनेवाले समय में वैश्विक चिप निर्माण का कारख़ाना सिद्ध होगा।

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