देशद्रोह कानून को लेकर बकवास कर रहे थे राहुल गांधी, किरेन रिजिजू ने धागा ही खोल दिया

राहुल गांधी को पता ही नहीं है कांग्रेस का अतीत!

Kiren Rijiju

Source- TFI

भारत की शीर्ष अदालत में देशद्रोह के कानून को लेकर इन दिनों बहस चल रही है। सुप्रीम कोर्ट में देशद्रोह के कानून की संवैधानिक वैधता को लेकर याचिका पर चर्चा हो रही है। इसी सुनवाई के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए यह फैसला सुनाया कि देशद्रोह कानून – भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124 A के तहत आरोपों के संबंध में सभी लंबित परीक्षणों, अपीलों और कार्रवाई को तब तक रोक कर रखा जाए, जब तक कि केंद्र अपने प्रावधानों की फिर से जांच करने की कवायद पूरी नहीं कर लेता।

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने यह भी कहा कि न्याय के हित में सर्वोच्च न्यायालय यह “अपेक्षा और आशा करता है कि राज्य और केंद्र, (124 A धारा में) कोई नई प्राथमिकी दर्ज करने से, (पूर्ववर्ती) जांच जारी रखने में या कोई बलपूर्वक (लागू होने वाला) उपाय करने से परहेज करेंगे, जिसमें आईपीसी की धारा 124 A लागू हो, जब तक कि कानून विचाराधीन है। अर्थात् कोर्ट का आदेश कहता है कि सर्वोच्च न्यायालय यह अपेक्षा रखता है कि केंद्र तथा राज्य सरकारें देशद्रोह के कानून के अंतर्गत न तो कोई नई FIR दर्ज करवाएंगे, न ही किसी पहले से चल रही जांच के अंतर्गत चार्जशीट में इस धारा को जोड़ा जाएगा। क्योंकि यह कानून विचाराधीन है इसलिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकारों से इस कानून के किसी भी प्रकार के प्रयोग पर रोक लगाने की अपेक्षा की गई है।

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राहुल गांधी को मिला करारा जवाब

अब जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया कांग्रेसी समेत उसके दरबारी मीडिया समूह के लोग तथा अन्य वामपंथी गिरोह से संबंधित लोग भाजपा सरकार को घेरने लगे। स्वयं राहुल गांधी ने सरकार पर व्यंग करते हुए ट्विटर पर लिखा सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं। सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं। सच सुनना राजधर्म है, सच कुचलना राजहठ है।’

राहुल गांधी तथा अन्य भाजपा विरोधी लोगों की प्रतिक्रिया को देखकर ऐसा लग रहा था मानो सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश केवल केंद्र सरकार के विरुद्ध दिया है। राहुल गांधी की प्रतिक्रिया को केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने तथ्यात्मक तरीके से काटते हुए उन्हें अच्छा सबक सिखाया। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने लिखा, “राहुल गांधी के खाली शब्द। अगर कोई एक पार्टी है जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संस्थानों के सम्मान की विरोधी है, तो वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है। यह पार्टी हमेशा ब्रेकिंग इंडिया फोर्सेज के साथ खड़ी रही है और भारत को बांटने का कोई मौका नहीं छोड़ा है।” उन्होंने आगे लिखा “और यह इंदिरा गांधी सरकार थी जिसने भारत के इतिहास में पहली बार धारा 124 A को संज्ञेय अपराध बनाया था। यह नई दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 में हुआ, जो 1974 में लागू हुई। क्या कांग्रेस ने अपने अतीत और कार्रवाई की जांच की है?”

किरण रिजिजू ने राहुल गांधी को आईना दिखाते हुए उन्हें यह भी बताया कि UPA सरकार के दौरान हजारों लोगों पर किस प्रकार देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। उन्होंने लिखा, “यूपीए सरकार का देशद्रोह के मामले दर्ज करने का सबसे खराब ट्रैक रिकॉर्ड है। वर्ष 2012 में ‘रिकाउंटिंग मिनिस्टर’ पी. चिदंबरम की चौकस निगाहों में हजारों लोगों के खिलाफ देशद्रोह के मामले दर्ज किए गए थे।”

कांग्रेस ने एक नहीं कई बार किया लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास

ध्यान देने वाली बात है कि ‘कांग्रेस के राजकुमार’ राहुल गांधी भाजपा पर व्ययंग करते समय यह नहीं जानते थे कि देशद्रोह के कानून के अंतर्गत बिना वारंट गिरफ्तारी का नियम इंदिरा गांधी द्वारा लागू किया गया था। वर्ष 2012 में अन्ना आंदोलन तथा रामदेव के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के समय किस प्रकार हजारों युवाओं को जेलों में ठूंस दिया गया था वह हर भारतीय को याद है। कांग्रेस बार-बार भाजपा पर लोकतंत्र विरोधी होने का आरोप लगाती है किंतु वह अतीत किए अपने कृत्यों को भूल जाती है। देश में लोकतंत्र को कुचलने का स्पष्ट प्रयास एक बार ही हुआ है और यह कलंक श्रीमती इंदिरा गांधी के माथे पर लगा है। देश के इतिहास में सबसे अधिक राष्ट्रपति शासन लागू करने का श्रेय भी पंडित जवाहरलाल नेहरू और श्रीमती इंदिरा गांधी को जाता है।

रही बात संस्थाओं के कार्यप्रणाली को प्रभावित करने की तो भारतीय इतिहास के बारे में जानकारी रखने वाला हर व्यक्ति जानता है कि श्रीमती इंदिरा गांधी ने राज नारायण बनाम उत्तर प्रदेश सरकार वाले मामले में जज को प्रभावित करने के लिए क्या-क्या हथकंडे अपनाए थे। यह वही ऐतिहासिक केस है जिसमें न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने श्रीमती इंदिरा गांधी को सरकारी मशीनरी का चुनावी लाभ के लिए प्रयोग करने का आरोपी करार देते हुए रायबरेली संसदीय सीट से उनके चुनाव को रद्द घोषित कर दिया था तथा उनके चुनाव लड़ने पर 6 वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। जस्टिस सिन्हा को खरीदने के लिए इंदिरा गांधी ने क्या-क्या तरीके अपनाए थे यह भारतीय इतिहास के हर सजग विद्यार्थी को पता है। गांधी परिवार के माथे पर एक नहीं कई अपकर्मों के कलंक लगे हैं और राजकुमार राहुल गांधी अगले सात जन्मों के प्रयास के बाद भी उसे धुल नहीं पाएंगे।

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