उत्तराखंड में हाल ही में सरकार बनी है और ये सरकार है पुष्कर सिंह धामी की। मुख्यमंत्री धामी फिलहाल बहुत ज्यादा एक्टिव दिख रहे हैं, कम से कम हाल के कुछ निर्णयों से तो ऐसा ही लगता है। चलिए इस लेख में हम उन्हीं कुछ निर्णय पर ध्यान केंद्रीत करते हैं।
अवैध दरगाह और मजारें
उत्तराखंड के जंगलों में कई अवैध दरगाह और मजारों के बनने की खबरें आ रही हैं और साथ ही हरिद्वार से लेकर पिथौरागढ़ तक जनसांख्यिकीय अनुपात में भी भारी बदलाव देखने को मिला है। कुमाऊं क्षेत्र में भी तीन तीन दरगाह शरीफ के बोर्ड देखने को मिल रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि यह राज्य का रिजर्व्ड फारेस्ट एरिया है जहां वन कर्मचारी के अलावा किसी और को जाने की इजाज़त नहीं है ऐसे में प्रश्न ये उठता है कि वहां कैसे इतनी मज़ारें बन गयीं?
कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व और टाइगर रिज़र्व में भी दर्जनों की संख्या में ये मज़ारें देखने को मिली हें। ऐसे घने जंगल जहां इंसानों का जाना मुश्किल है वहां कब और कैसे ये मजारें आयीं कोई नहीं जानता। एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2010 से 2020 के बीच में राज्य की मुस्लिम आबादी अचानक काफी बढ़ गयी और जंगलों के भीतर कई मज़ारें भी नज़र आने लगीं। राज्य की नदियों के किनारे वन विभाग की ज़मीन पर हज़ारों की संख्या में मुस्लिम लेबर अपनी झोपड़ियां बना रहे हैं और सरकारी वन भूमि पर अवैध कब्ज़ा किया जा रहा है। वन विभाग या पुलिस ने कभी इनका सत्यापन नहीं किया और जब भी थोड़ी सख्ती दिखयी तो मजदूर भाग गए।
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पांचजन्य के अनुसार मानिला मंदिर शक्तिपीठ के निकट ही एक मजार बनायी गयी है जिसे दूसरे राज्यों से काम करने आये मजदूरों ने बनाया और फिर वे मजदूर यहीं बस गए। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार इन मजदूरों की बस्तियों के बीच में एक दो मज़ारें अवश्य मिल जाएंगीं।
एक अन्य रिपोर्ट कहती है कि राज्य मैं बिना मान्यता प्राप्त 425 मदरसे चल रहे हैं। जिनमें से 192 मदरसों को जल्द ही बंद कर दिया जायेगा। उत्तराखंड के समाज कल्याण मंत्री चन्दन राम दास ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि राज्य में बिना मान्यता प्राप्त जो भी मदरसे चल रहे हैं उन्होंने अगर जल्दी ही मान्यता नहीं ली तो उन्हें बंद कर दिया जायेगा। आदेश के अनुसार अगर इन मदरसों ने जल्दी मान्यता प्राप्त नहीं की तो केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से जो भी आर्थिक सहायता उन्हें मिल रही है वो बंद कर दी जाएगी और मदरसों के बच्चों को बाद में स्कुल में एडमिशन लेते समय भी काफी दिक्कत आएगी। इसके अलावा मदरसों में राष्ट्रगान को अनिवार्य किया जाएगा।
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भारी संख्या में मुस्लिम आबादी बढ़ी है!
इसके अलावा उत्तराखंड जिसे देवभूमि भी कहा जाता है वहां पिछले कुछ समय में भारी संख्या में मुस्लिम आबादी बढ़ती दिखी है जो दूसरे राज्यों से यहां आये और यहीं की भूमि पर अवैध कब्ज़ा करते दिखे हैं। इसके अलावा बढ़ती मुस्लिम आबादी के कारण राज्य के लोकल बिज़नेस को काफी नुक्सान पहुंच रहा है। कई घोड़े, गा डी और टूरिस्ट गाइड जॉब और होटल का काम जो वहां के लोग सालों से करते आये हैं वह अब उनसे छीन रहा है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में मज़ारें बनाकर अतिक्रमण करने के कई मामले सामने आये हैं और इसके कई वीडियो तो सोशल मीडिया पर भी नज़र आये।
बढ़ती मज़ारें, मदरसे और मुस्लिम आबादी को लेकर अब मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की सरकार हरकत में आयी है। उन्होंने राज्य की डेमोग्राफी बदलने और अवैध घुसपैठियों के बढ़ने को लेकट चिंता जाहिर की है साथ ही आश्वासन देते हुए कहा है कि राज्य में रोहिंग्याओं और बांग्लादेशी घुसपैठियों के सत्यापन को लेकर जल्दी ही अभियान चलाया जाएगा। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री धामी के कहने पर जब पुलिस ने सत्यापन किए तो 48 हज़ार लोगों का सत्यापन किया गया जिनमें से 2100 से ज़्यादा लोग अपने कागज़ दिखाने में नाकाम रहे। ये लोग या तो किरायेदार थे या फेरीवाले या फिर मजदूर।
उत्तराखंड के मामले में यूसीसी को तो भूल ही नहीं सकते हैं। सीएम धामी ने हाल ही में कहा कि सर्वसम्मति से राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर राज्य मंत्रिमंडल ने सहमति जतायी है। तो कुल मिलाकर इस पर भी बात बनने ही वाली है।
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जिस तरह से पूरे देश में लहर चल पड़ी है भगवा लहराने की उसका पूरा पूरा प्रभाव देवभूमि में दिखायी देने लगा है। बीजेपी की तरफ से सीएम पुष्कर को राज्य की कमान संभालने का दोबारा मौका दिया गया है ऐसे में अपने आपको साबित करने और देव भूमि में स्वर्ग स्वरूप बनाने की तरफ पुष्कर को काम करना चाहिए और उनके हाल के फैसले को देखकर ऐसा लगता भी है कि वो अपने कदम इस ओर बढ़ा चुके हैं।