स्थापना दिवस: एक उपनिवेश से एक भारतीय राज्य तक गोवा की यात्रा

गोवा को आज़ादी के लिए इतना लम्बा इंतज़ार क्यों करना पड़ा?

goa

Source- TFIPOST.in

गोवा हर साल 30 मई को अपना स्थापना दिवस मनाता है क्योंकि 30 मई 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था। भारत की आजादी के 14 साल बाद भी गोवा पुर्तगाली शासन के अधीन रहा। 19 दिसंबर 1961 को गोवा पुर्तगालियों से आजाद हुआ था और इसलिए 19 दिसंबर को गोवा में मुक्ति दिवस मनाया जाता है। पर क्या आपने कभी सोचा है की जब भारत 1947 में ही आज़ाद हो गया था तो गोवा को आज़ादी के लिए इतना लम्बा इंतज़ार क्यों करना पड़ा? तो चलिए आज हम इस देरी से पहले गोवा के स्थापना दिवस के इतिहास और महत्व पर एक नजर डालते हैं।

और पढ़ें: गोवा में हिंदुत्व का उदय? हाँ! ये सपना अब सच हो रहा है

गोवा राज्य स्थापना दिवस का इतिहास

गोवा क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे छोटा राज्य है और जनसंख्या के हिसाब से चौथा सबसे छोटा राज्य है। गोवा अपने खूबसूरत समुद्र तटों और प्रसिद्ध वास्तुकला के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। 1961 से पहले गोवा पुर्तगाल की कॉलोनी  था जिन्होंने लगभग 450 वर्षों तक गोवा पर शासन किया। 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो भारत को लगा के शायद अब ब्रिटैन के चले जाने के बाद पुर्तगाल भी देश से चले जायेंगे. हालाँकि ऐसा नहीं हुआ. भारत  ने पुर्तगालियों से गोवा छोड़ने का अनुरोध किया। लेकिन पुर्तगालियों ने इनकार कर दिया। गोवा और दमन और दिउ अब भी भारत का हिस्सा नहीं थे. ऐसे ही शांतिप्रिय अनुरोध करते हुए सालों बीत गए और इस दौरान कई लोगों ने अपनी जान गवाई. आखिरकार 1961 में, भारत ने ऑपरेशन विजय शुरू किया और दो दिन के इस मिलिट्री एक्शन के बाद गोवा और दमन और दीव को भारतीय मुख्य भूमि के साथ जोड़ लिया।

जब गोवा पूर्ण राज्य बना, तो बाद में गोवा में चुनाव हुए और 20 दिसंबर 1962 को श्री दयानंद भंडारकर गोवा के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने।गोवा की सीमा महाराष्ट्र से जुडी है और इसी कारण शुरुआत में गोवा को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने के बारे में भी सोचा जा रहा था  लेकिन वर्ष 1967 में एक जनमत संग्रह हुआ और गोवा के लोगों ने केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बने रहने का विकल्प चुना। बाद में 30 मई 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया और इस तरह गोवा भारत गणराज्य का 25वां राज्य बन गया।

और पढ़ें: त्रिशंकु विधानसभा से खेल बिगाड़ने की तैयारी थी लेकिन भाजपा गोवा जीत रही है!

राज्य स्थापना दिवस का महत्व

30 मई को गोवा के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। 30 मई 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया और तब से, 30 मई को गोवा के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसकी स्थापना के बाद, पणजी को गोवा की राजधानी और कोंकणी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया।

क्यों गोवा को आज़ादी मिलने में लग गए सालों

8 फरवरी को गोवा में एक नई विधानसभा का चुनाव करने के लिए जाने से एक हफ्ते पहले, मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के अपने जवाब का इस्तेमाल भाषण की स्वतंत्रता पर कांग्रेस पर हमला करने के लिए किया और कैसे उसने वीर सावरकर की देशभक्ति कविता प्रस्तुत करने के लिए लता मंगेशकर के छोटे भाई को आल इंडिया रेडियो से बर्खास्त कर दिया। उन्होंने आगे उस समय के जाने-माने गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी का भी उदाहरण दिया जिन्हे नेहरू के खिलाफ बोलने के लिए जेल भेज दिया गया. गोवा के विषय में बात करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू पर अपनी “शांतिप्रिय वैश्विक छवि” की रक्षा के लिए गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त करने के लिए सशस्त्र बल नहीं भेजने का आरोप लगाया।

उस अवधि की मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि नेहरू ने गोवा पर पुर्तगालियों के कब्जे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, क्योंकि उन्हें लगा कि इससे उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान होगा। मोदी ने उच्च सदन में कहा, “यह उनका, [पंडित नेहरू] का सबसे बड़ा डर था। उन्होंने सोचा था कि विदेशी सरकार पर हमला करने से उनकी शांतिप्रिय वैश्विक छवि नष्ट हो जाएगी। गोवा को पीड़ित होने दें लेकिन मेरी छवि खराब नहीं होनी चाहिए।” उन्होंने राज्यसभा को बताया, “भारत को आजादी मिलने के 15 साल बाद गोवा आजाद हुआ था. ऐसा क्यों? गोवा को मुक्त करने के लिए एक रणनीति तैयार की जानी चाहिए थी, जैसा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने हैदराबाद, जूनागढ़ और ऐसे अन्य क्षेत्रों को भारत के साथ एकीकृत करने में मदद करने के लिए किया था।  अगर गोवा के लिए भी यही भावना का पालन किया जाता, तो यह नीचे नहीं रहता। भारत को आजादी मिलने के बाद 15 साल तक विदेशी शासन रहा। देश की आजादी के 15 साल बाद राज्य आजाद हुआ।”

और पढ़ें: Goa Elections: केरल में चल रहा ‘लव जिहाद’ का खेल गोवा चुनाव का प्रमुख मुद्दा बनने जा रहा है

क्या हुआ था दिसंबर 1961 में

दरअसल, भारत सरकार की बार-बार आजादी की मांग के बावजूद पुर्तगाली शासन इन इलाकों को आजाद करने के लिए तैयार नहीं था। ऐसे में 18 दिसंबर 1961 को ऑपरेशन विजय की कार्रवाई शुरू हुई। भारतीय सैनिकों ने गोवा में प्रवेश किया और युद्ध शुरू हुआ। बताया जाता है कि 36 घंटे से भी ज्यादा समय तक चले इस युद्ध में 19 दिसंबर को भारत ने गोवा को आजाद करा लिया।

पुर्तगाली सेना ने बिना किसी शर्त के 19 दिसंबर को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया और इस तरह गोवा आजाद हो गया। कहा जाता है कि आकार में छोटे होने के बावजूद गोवा शुरू से ही बड़ा ट्रेड सेंटर रहा है। अपनी लोकेशन की वजह से यह अंग्रेजों को शुरू से ही आकर्षित करता रहा है। इतना ही नहीं मुगल शासन के समय भी राजा इस तरफ आकर्षित होते रहे हैं।

Exit mobile version