सनातन संस्कृति के त्योहार, जिनके बारे में हिंदुओं को अधिक जानने की आवश्यकता है

सनातन संस्कृति में हर एक दिन का अपना महत्व होता है !

sanskriti

Source- TFI POST

अक्षय तृतीया का त्योहार दुनिया भर में हिंदुओं और जैनियों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन को अक्तीया आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस साल यह मंगलवार (3 मई) को था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अक्षय तृतीया वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि (चंद्र दिवस) को पड़ती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह अप्रैल और मई के बीच होता है।

इस दिन सबसे महत्वपूर्ण प्रथाओं में से एक भगवान विष्णु की पूजा करना है। अक्षय तृतीया दो संस्कृत शब्द से मिलकर बना है। “अक्षय” का अर्थ है “जिसका कभी नाश नहीं हो सकता अर्थात जो अविनाशी है”, जबकि “तृतीया” वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को संदर्भित करता है।

और पढ़ें: सनातन धर्म: गौ-गंगा-गायत्री और गीता को पूजने वाला मेरा धर्म महिला विरोधी नहीं हैं

धर्म ग्रंथों के अनुसार ४ कारणों की वजह से अक्षय तृतीया की महत्ता बढ़ जाती है:-

  1. त्रेतायुग अक्षय तृतीया पर शुरू हुआ, जब भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि परशुराम का जन्म प्रदोष काल के दौरान हुआ था और इसलिए जिस दिन प्रदोष काल के दौरान तृतीया होती है उस दिन को परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है। वो रेणुका और सप्तर्षि जमदग्नि के पुत्र थे। वह द्वापर युग के अंतिम समय तक जीवित रहे थे। परशुराम को हिंदू धर्म के सात अमर लोगों में से एक माना जाता है। परशुराम ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी जिसके बाद उन्हें वरदान के रूप में एक फरसा मिला था। इसीलिए, इसे परशुराम जयंती के रूप में भी मानते है।
  2. कहा जाता है कि इसी दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश को महाकाव्य सुनाना शुरू किया था।
  3. इस अवसर पर भगवान कृष्ण अपने बचपन के मित्र सुदामा से मिले।
  4. एक अन्य कथा के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थी।

हिंदू और जैन, विशेष रूप से, इस दिन को उत्साह और खुशी के साथ मनाते हैं, अच्छे भाग्य को आकर्षित करने की उम्मीद में सोना खरीदते हैं। अक्षय तृतीया के दिन जैन धर्म के पहले तीर्थं कर भगवान ऋषभदेव ने अपने अंजुल से गन्ने का रस पीकर अपना एक साल का उपवास पूरा किया था।

और पढ़ें: भारतीय संस्कृति और विरासत के पुनरुद्धार के लिए राकेश सिन्हा की पहल समय की मांग है

महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार

अन्य महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार जिनके बारे में ‘कूलढूढ’ युवाओं का जानना आवश्यक है:-

  1. गोवेर्धन पूजा:- दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का शुभ त्योहार मनाया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में इसका विशेष महत्व है क्योंकि भगवान कृष्ण ने इस दिन अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर और ग्रामीणों और जानवरों को प्रकृति के क्रोध से बचाया था और भगवान इंद्र को पराजित किया था।
  2. हरतालिका तीज:- हरतालिका शब्द ‘हरत’ और ‘आलिका’ से बना है जिसका अर्थ है ‘एक महिला मित्र का अपहरण’। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती की सहेली उन्हें एक बार जंगल में ले गई थी ताकि उनके पिता उनकी इच्छा के विरुद्ध विष्णु से उनका विवाह न कर सकें। पार्वती ने अपने सहेली से स्वयं के अपहरण का अनुरोध किया ताकि उनके पिता हिमालय भगवान विष्णु से उनका विवाह न करा सकें। हिंदू भक्तों का मानना ​​है कि हरतालिका तीज के दिन ही शिव ने पार्वती के 108 पुनर्जन्म के बाद अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
  3. अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु को समर्पित एक दिन है। इस दिन भगवान विष्णु को उनके शाश्वत रूप-अनंत में पूजा जाता है। भगवान विष्णु के भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं और “अनंत सूत्र” नामक एक पवित्र धागा बांधते हैं, जो शांतिपूर्ण और समृद्ध जीवन के लिए होता हैं। यह दिन गणेश चतुर्थी के 10वें दिन पड़ता है।

और पढ़ें: सिक्किम की वेशभूषा, नृत्य एवं संगीत, भाषा, कला एवं शिल्प संस्कृति

भारत त्योहारों का देश है

सनातन संस्कृति में हर दिन का अपना महत्व है। इस उल्लास के पीछे सिर्फ सांस्कृतिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी है। पर, हमारे युवा आजकल इसको भूलते जा रहें है या फिर इसे विकृत कर रहें हैं। mother-father’s डे सभी को याद है लेकिन पितृ पक्ष के बारे में किसी को नहीं पत। शायद इसीलिए, आज के युवा पर्वों की महत्ता समझाने के बजाये उसे दारु पिने का दिन समझते हैं। न्यू इयर बड़ा पर्व है लेकिन हिन्दू नव वर्ष कब है किसी को नहीं पता कि अगर आप इन त्योहारों को धूम धाम से मनाएंगे तो ना सिर्फ आप खुश होंगे बल्कि आपकी सामाजिक और सांस्कृतिक जड़ें भी गहरी होंगी।

 

Exit mobile version