इस बार गुजरात विधानसभा चुनावों में पाटीदार दिलवाएंगे भाजपा को विजयश्री

पाटीदारों के लिए विशेष रणनीति पर चल रही है पार्टी!

Source: TFI

गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए अभी से सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। इस बार का गुजरात विधानसभा चुनाव बहुत ही कांटेदार होने का अनुमान है। भाजपा भी पूरी तरह से चुनाव को लेकर सक्रिय हो चुकी है। भारतीय जनता पार्टी इस बार पाटीदार समुदाय के लिए विशेष रणनीति बनाकर आगे बढ़ रही है। इसी रणनीति के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राजकोट में एक बहु-विशिष्ट अस्पताल का शुभारंभ किया।

200 बेड का यह अस्पताल राजकोट-भावनगर हाईवे पर 40 करोड़ रुपये की लागत से बना है। गुजरात में पाटीदार समुदाय का लगभग पूरे राज्य में प्रभाव है, लेकिन राजकोट और उसके आसपास के जिलों में यह समुदाय बहुत शक्तिशाली है। भारतीय जनता पार्टी की पूरी रणनीति है कि पाटीदार समुदाय को इस बार बिल्कुल भी दूर ना होने दिया जाए। 2017 में पाटीदारों के कुछ वोट बीजेपी को नहीं मिले थे, ऐसे में इस बार पार्टी कोई कसर छोड़ने के मूड़ में नहीं है।

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पाटीदार समुदाय की गुजरात में भूमिका

पटेल समुदाय जिसे अक्सर पाटीदार कहा जाता है, गुजरात में एक प्रभावशाली समुदाय है। पाटीदार मुख्य तौर पर उत्तरी क्षेत्र और राज्य के प्रायद्वीपीय भाग सौराष्ट्र में केंद्रित हैं। 1970 के दशक के अंत तक पूरे राज्य में पाटीदारों का राजनीतिक प्रभुत्व था और वे कांग्रेस के प्रबल समर्थक थे लेकिन 1980 के दशक में उन्होंने अपना समर्थन भाजपा को स्थानांतरित कर दिया। जाहिर है, पाटीदार समुदाय के समर्थन ने पिछले दो दशकों से राज्य में भाजपा के शासन के पक्ष में काम किया। वर्तमान में, भाजपा के लगभग एक तिहाई विधायक  पाटीदार हैं।

गुजरात की कुल आबादी का लगभग 12 प्रतिशत पाटीदार हैं। संख्या में, पाटीदार आदिवासियों से कम हो सकते हैं, जो राज्य की आबादी का 15 प्रतिशत हैं लेकिन वे राज्य में सबसे अधिक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली समुदाय हैं। 2017 के विधानसभा चुनावों में 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस और बीजेपी के 51 पाटीदार विधायक जीते थे, जो राज्य में उनकी सामाजिक और राजनीतिक ताकत को बताने के लिए काफी है।

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बीजेपी की रणनीति!

मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल भी पाटीदार समुदाय से आते हैं। चिमनभाई पटेल राज्य के पहले पाटीदार मुख्यमंत्री थे। उनसे पहले गुजरात के सभी मुख्यमंत्री या तो व्यापारी थे या ब्राह्मण समुदाय से थे। चिमनभाई के बाद बाबूभाई जशभाई पटेल, केशुभाई पटेल और फिर आनंदीबेन पटेल ने गुजरात की गद्दी संभाली। देखा जाए तो 1970 के बाद से राज्य की राजनीति में पाटीदारों की भूमिका और मजबूत हुई है और यही वजह है कि बीजेपी इस समुदाय को अपने साथ रखने पर काफी जोर दे रही है।

प्रधानमंत्री का राज्य का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के संयोजक हार्दिक पटेल ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है जिसका उन्होंने 2017 के चुनावों में समर्थन किया था। भाजपा के एक अधिकारी ने कहा कि 28 वर्षीय हार्दिक पटेल के अगले कुछ दिनों में भाजपा में शामिल होने और इस साल दिसंबर में अपना पहला चुनाव लड़ने की संभावना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निर्विवाद रूप से देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं और गुजरात उनका गृह राज्य है। गुजरात में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी भी किसी भी स्थानीय नेता से मीलों आगे है। नरेंद्र मोदी की यह लोकप्रियता किसी भी जाति या समुदाय से आगे निकल जाती है और यही वजह है कि विधानसभा चुनावों में अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन के बावजूद बीजेपी लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप कर रही है।

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