300 अरब नहीं चुकाए तो पाकिस्तान की बत्ती गुल कर देंगे, ‘लाल बादशाह’ की पाकिस्तान को अंतिम चेतावनी

कटोरा लेकर भीख मांगता पाकिस्तान पलटकर कुछ कहने की स्थिति में नहीं है.

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Source: TFI

वर्ष 2019 का वाकया है. सऊदी अरब के प्रिंस पाकिस्तान के दौरे पर आए थे. उस वक्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे इमरान खान. सऊदी अरब के प्रिंस के स्वागत में इमरान खान उनके ड्राइवर बन गए थे. किसी राष्ट्राध्यक्ष का इस तरह ड्राइवर बन जाना फूहड़ता ही थी. इमरान ख़ान का जमकर मज़ाक उड़ाया गया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इमरान ख़ान सऊदी अरब के प्रिंस के ड्राइवर क्यों बने ? दरअसल, उन्हें सऊदी अरब से भीख चाहिए थी. इसी तरह से दुनिया के दूसरे देशों के सामने भी वक्त-वक्त पर प्रधानमंत्री रहते हुए इमरान खान कटोरा लेकर पहुंच जाते थे.

पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन हुआ. इमरान खान को जबरदस्ती सरकार से निकाल दिया गया. प्रधानमंत्री बने शहबाज शरीफ. पीएम बनते ही शहबाज शरीफ भी कर्ज लेने के लिए तीन दिन की सऊदी अरब की यात्रा पर पहुंच गए. इस यात्रा के पीछे उनका उद्देश्य था कि सऊदी से 3.2 अरब डॉलर का कर्ज हासिल किया जाए. यह  बात और है कि वहां उनके ही देश के लोगों ने अपने ही प्रधानमंत्री का विरोध किया और ‘चोर’ कहकर नारेबाजी की.

‘बत्ती गुल कर देंगे’

आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान की स्थिति पिछले कई वर्षों से बहुत बुरी है. लेकिन चीन का ‘लाल बादशाह’ यानी शी जिनपिंग इस्लामिक मुल्क के पीछे खड़ा है. इसके पीछे ‘लाल बादशाह’ के क्या ख़ुफिया इरादे हैं वो एक अलग विषय है. लेकिन चीन कई तरह से पाकिस्तान की मदद कर रहा है.

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चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) भी एक उदाहरण है. जिसके जरिए चीन, पाकिस्तान की आर्थिक मदद कर रहा है. चीन की कम्युनिस्ट सरकार एक लंबे वक्त से पाकिस्तान पर पैसे पानी की तरह बहा रही है लेकिन प्रतीत होता है कि अब ज्यादा दिनों तक ऐसा नहीं चलेगा. अब पाकिस्तान में काम कर रही चीनी कंपनियों ने पाकिस्तान को सीधी धमकी दी है. चीनी कंपनियों ने कहा कि उनका बकाया पैसा तुरंत दिया जाए नहीं तो वो पाकिस्तान की बत्ती गुल कर देंगे.

30 चीनी कंपनियां बहु-अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत पाकिस्तान में काम करती हैं. पाकिस्तान के ऊर्जा, संचार, रेलवे समेत दूसरे कई क्षेत्रों में इन्हीं कंपनियों का दबदबा है. इन कंपनियों के पाकिस्तान पर 300 अरब रुपये बकाया हैं. पाकिस्तान के योजना और विकास मंत्री अहसान इकबाल ने इन कंपनियों के साथ बैठक की. मीटिंग में कंपनियों के प्रतिनिधियों ने यही मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि अगर उनका भुगतान जल्द से जल्द से नहीं किया जाता है तो वे कुछ ही दिनों में बिजली संयत्रों को बंद कर देंगे.

‘लाल बादशाह’ की चाल!

पाकिस्तान के मंत्री ने मीटिंग में जब कंपनियों से बिजली उत्पादन बढ़ाने की प्रार्थना की तो इस पर कंपनियों ने सीधे-सीधे हाथ खड़े कर दिए. कंपनियों के प्रतिनिधियों ने कहा कि कोयले की कीमतों में 3 से 4 गुना बढ़ोतरी हो चुकी है. इसके चलते कोयले की खरीद पर असर पड़ा है. कंपनियों की तरफ से कहा गया कि अगर जल्दी ही उनका पेमेंट नहीं किया गया तो वो बिजली संयत्र बंद कर देंगे और पूरा पाकिस्तान अंधेरे में डूब जाएगा.

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चीनी कंपनियों ने पाकिस्तान को धमकाया है. ये कोई आम बात नहीं है. एक देश को कुछ कंपनियां इस तरह से धमका दें- ऐसा कम ही होता है. लेकिन पाकिस्तान में ऐसा हो सकता है क्योंकि पाकिस्तान की स्थिति सड़क पर खड़े भिखारी जैसी हो गई है. चीनी कंपनियों को चीनी सरकार और ‘लाल बादशाह’ से ऐसा करने का इशारा मिला होगा.

चीन भी यह बात जानता है कि पाकिस्तान की इतनी हैसियत नहीं है कि वो उसका कर्ज चुका सके- इसलिए वक्त-वक्त पर वो पाकिस्तान पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर दबाव डालता रहता है. हो ना हो इसके पीछे ‘लाला बादशाह’ की रणनीति हो कि श्रीलंका के हंबनटोटा की तरह धीरे-धीरे पाकिस्तान का भी ‘टेकओवर’ किया जाए!

कर्ज में डूबा पाकिस्तान

कम्युनिस्ट देश अगर ऐसा सोचता है तो इसके पीछे सिर्फ एक यह कारण नहीं है कि इस्लामिक देश पाकिस्तान चीन के अहसानों के बोझ तले दबा है बल्कि और भी कई कारण हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की कोई हैसियत ना होना. इस्लामिक देशों में भी पाकिस्तान की कोई वैल्यू ना होना. साउथ एशिया में भी पाकिस्तान के साथ किसी देश का ना होना. आतंकवादियों का अड्डा बनना और पूरी दुनिया से कर्ज ले-लेकर डकारते जाना.

पाकिस्तान पर फरवरी 2022 तक 43 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये का कर्ज था. इसमें से 18 लाख करोड़ रुपये का कर्ज तो इमरान खान ने प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान को चलाने के लिए लिया.

कम्युनिस्ट चीन भले ही पाकिस्तान को अपना ‘आयरन फ्रेंड’ कहता हो लेकिन वो पाकिस्तान के साथ व्यवहार बॉलीवुड फ़िल्मों के साहूकारों की तरह करता है. पाकिस्तान को ग़रीब मजदूर की तरह धमकाकर रखता है.

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