रज़ा अकादमी एक ट्यूमर है जिसे कैंसर में बदलने से पहले इलाज की आवश्यकता है

रज़ा अकादमी पर तुरंत लगे प्रतिबंध !

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Source- TFIPOST.in

यह दुर्भाग्य की बात है कि स्वतंत्रता की आड़ में कुछ सगंठन देश में विष का संचार करने में जुटे हुए हैं। उनका मूल ध्येय भारत में एक प्रकार की अस्थिरता पैदा करना है जो देश को विनाश की ओर धकेल देगी। उन्हीं संगठनों में से एक है रज़ा अकादमी। रज़ा अकादमी ने भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विरूद्ध मुंबई पुलिस कमिश्नर के पास शिकायत दर्ज कराई है। बीजेपी प्रवक्ता पर एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में पैगंबर मुहम्मद को गाली देने और दो समुदायों के बीच द्वंद्व पैदा करने का आरोप लगा है। यह बहुत बड़ी हास्यास्पद बात है कि उस संगठन ने नूपुर शर्मा को आड़े हाथों लेने का काम किया जो स्वयं में एक कट्टरता पैदा करने का गढ़ है और वास्तविकता तो यह है कि रज़ा अकादमी अब देश के लिए एक ट्यूमर है जिसे कैंसर में परिवर्तित होने से पूर्व इलाज की औचक रूप से आवश्यकता है।

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दरअसल, रज़ा अकादमी ने मांग की कि है कि नूपुर शर्मा के खिलाफ धारा 153 (ए), 153 (बी), 295 (ए), 504, 505 (1), 505 (2) के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाए। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि रजा एकेडमी के कार्रवाई की मांग के बाद से वो कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गई हैं। नुपूर शर्मा ने कहा है कि उन्हें लगातार रेप करने और उनका एवं उनके पूरे परिवार का सिर काटने की धमकियां मिल रही हैं। बता दें, नूपुर शर्मा एक निजी टीवी चैनल में हिस्सा लेने पहुंची थीं। यह डिबेट वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर आधारित थी। आरोप है कि उन्होंने इसी दौरान इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादित टिप्पणी की। इसके बाद से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग हो रही है।

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रज़ा अकादमी की क्रियाकलाप

यह रज़ा अकादमी कितनी ज़हरीली है वो उसके क्रियाकलाप प्रदर्शित करते रहे हैं। नूपुर शर्मा पर कानूनी रूप से कार्रवाई का तो केवल एक दिखावा है, इस पूरे प्रकरण के बाद रज़ा अकादमी नूपुर शर्मा की लींचिंग के लिए कार्य करती दिख रही है। रज़ा अकादमी चरमपंथी सुन्नी इस्लामवादियों का एक संगठन है, जो बार-बार हिंसा और घृणित गतिविधियों में लिप्त रहता है। रज़ा अकादमी की स्थापना 1978 में दक्षिण मुंबई में 17वीं सदी के मुस्लिम विद्वान आल्हाज़रत इमाम अहमद रज़ा द्वारा लिखित पुस्तकों को छापने और प्रकाशित करने के लिए की गई थी। जब से अकादमी ने पूरे भारत में 30 से अधिक केंद्र स्थापित किए और देश के सुन्नी समुदाय की ‘आवाज’ बन गई।

यह अकादमी अपने जिहाद प्रचार में बहुत व्यवस्थित और संगठित हैं। अब वे इस लड़ाई को सड़क पर उतारेंगे और शर्मा की गिरफ्तारी के लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे और इस प्रक्रिया में देश में कानून-व्यवस्था का कहर बरपाएंगे। इससे पहले सितंबर 2021 में, रज़ा अकादमी के मुसलमानों ने मदीना में सिनेमा हॉल की अनुमति देने के सऊदी साम्राज्य के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, जिसे मुसलमानों द्वारा एक पवित्र शहर माना जाता है। रजा अकादमी ने मुंबई में मीनारा मस्जिद के बाहर सऊदी विरोधी नारे लगाए। रज़ा अकादमी के सदस्यों ने पोस्टर लिए जिसमें ‘मदीना मुनव्वराह में सिनेमा हॉल बंद करो’ और ‘हरमैन शरीफैन के द्वार खोलो’ का हवाला दिया गया था। इसके अलावा, एक शर्मनाक घटना में, रज़ा अकादमी के नेतृत्व में हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान, मुस्लिम युवाओं ने 2012 में मुंबई में अमर जवान स्मारक को क्षतिग्रस्त कर दिया था।

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संक्षेप में, रज़ा अकादमी कट्टरपंथी इस्लामी विचारों को बढ़ावा देने के लिए बदनाम है। जो संगठन स्वयं कट्टरपंथ और जिहाद करने की प्रेरणा देता हो, जब वो कानूनी कार्रवाई का ढकोसला देता है तो उस पर यह कतई सूट नहीं करता। इस अकादमी और इसके आवाह्न के जरिये नूपुर शर्मा के प्रति घृणित मानसिकता सोशल मीडिया पर खूब एक्टिव हो चुकी है जो रेप और खून करने तक की धमकियाँ दे रही है। ऐसे में इससे उपयुक्त समाय और कोई नहीं हो सकता जब ट्यूमर से कैंसर बनने की राह पर चल पड़ी रज़ा अकादमी को इलाज की आवश्यकता होती है, और इलाज है इसपर संपूर्ण रूप से प्रतिबंध।

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