समय बहुत बलवान होता है और समय काल और परिस्थितियों के बदलने पर सोच बदलनी ही पड़ती है। यह सच है कि किसी भी राज्य को एक व्यक्ति विशेष के नाम से तब ही संदर्भित करना चाहिए जब उसकी छवि सकारात्मक हो, ऐसे में जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में जब ऐसे व्यक्ति को मसीहा माना जाए जो घर का भेदी लंका ढहाए का सटीक उदाहरण हो तो थोड़ा हर व्यक्ति का मन खलता है। इसी को सही करने के लिए सरकार ने एक बड़ा निर्णय राज्य की व्यवस्था में लिया है। वीरता और मेधावी सेवाओं के लिए जम्मू और कश्मीर के पुलिस पदक से अब शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के चेहरे को हटा दिया गया है। शेख के शीर्षक “शेर-ए-कश्मीर” के नाम पर, पदक का नाम बदलकर जम्मू और कश्मीर पुलिस पदक भी कर दिया गया है।
#JammuAndKashmir | Sher-i-Kashmir replaced with National Emblem pic.twitter.com/GhYGQSW6gh
— Daily Excelsior (@DailyExcelsior1) May 23, 2022
जम्मू-कश्मीर सरकार ने फैसला लिया
दरअसल, वीरता और मेधावी सेवाओं के लिए जम्मू और कश्मीर के पुलिस पदक में अब शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की तस्वीर नहीं होगी। जम्मू-कश्मीर सरकार ने तस्वीर को राष्ट्रीय प्रतीक से बदलने का फैसला किया है। शेख के शीर्षक “शेर-ए-कश्मीर” के नाम पर, पदक का नाम बदलकर जम्मू और कश्मीर पुलिस पदक भी कर दिया गया है। घाटी के अधिकांश हिन्दू परिवारों का इस्लामीकरण करने का जिस शेख अब्दुल्ला का नाम आज भी शेर ए कश्मीर कहकर लिया जाता था उसको वर्ष 2020 में हटाने का काम किया था। प्रशासन ने 2020 में पुलिस पदक से शेख अब्दुल्ला की ‘शेर-ए-कश्मीर’ की उपाधि को हटा दिया था। 2020 के आदेश के अनुसार, ‘शौर्य के लिए शेर-ए-कश्मीर पुलिस पदक’ और ‘मेधावी सेवा के लिए शेर-ए-कश्मीर पुलिस पदक’ जैसे शब्दों को अब से ‘शौर्य के लिए जम्मू और कश्मीर पुलिस पदक’ और मेधावी के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस पदक के रूप में संदर्भित किया जाता है।
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अब जब कदम उठा ही लिया गया था तो इसकी प्रतिक्रियाएं आना तो स्वाभाविक था। इस कदम की क्षेत्रीय दलों, और विशेषकर नेशनल कांफ्रेंस जोकि शेख अब्दुल्ला द्वारा स्थापित संगठन है और यहां तक कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ‘पीडीपी’ ने भी इसकी तीखी आलोचना की है।
With due respect to National Emblem, these attempts to erase our history, identity and icon show nefariousness of the incumbents. People of J&K have struggled on many fronts to be where they are now. They fought oppression. No one can change that. Not by replacing/changing names. https://t.co/dPexbwlDC3
— Imran Nabi Dar (@ImranNDar) May 23, 2022
बता दें, जम्मू-कश्मीर के अतिरिक्त मुख्य सचिव-गृह, आरके गोयल द्वारा सोमवार को जारी एक आदेश में कहा गया है: “यह आदेश दिया जाता है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस पदक योजना के पैरा 4 में संशोधन करते हुए, ‘शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला’ का चिन्ह पदक के एक तरफ उभरा हुआ सिंबल अब ‘भारत सरकार के राष्ट्रीय प्रतीक’ से प्रतिस्थापित किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर राज्य प्रतीक के साथ अंकित दूसरी तरफ ‘जम्मू और कश्मीर पुलिस मेडल फॉर वीरता’ और ‘जम्मू और कश्मीर पुलिस मेडल फॉर मेरिटोरियस सर्विस’, के रूप में अंकित किया जाएगा।”
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद, जम्मू-कश्मीर सरकार ने 2020 में दिवंगत शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की उपाधि ‘शेर-ए-कश्मीर’ को दोनों पुलिस पदकों से हटा दिया था और उसका नाम बदल दिया था। इन सभी निर्णयों को आगामी भविष्य में एक अच्छे और सुन्दर कल के निर्माण के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि जिन कट्टरता के उपासकों के कारण घाटी में पलायन और नरसंहार हुआ था उसके बाद से उनका ऐसी स्थिति में वापस आना जहाँ उन्हीं नेताओं को पूजा जाता हो जिनके परिवार उस कट्टरता में शामिल थे, वहां मामला संजीदा हो रहा था जो अब ऐसे निर्णयों से सकारात्मक रुख की ओर बढ़ रहा है।