आतंकवादी यासीन मलिक ने आखिरकार स्वीकार कर लिया कि उसने देश को तोड़ने की साज़िश रची. आतंकी ने स्वीकार कर लिया है कि उसने आतंक के गढ़ पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर भारत के विरुद्ध षड्यंत्र रचे.
यासीन मलिक ने मान लिया है कि वो आतंकी गतिविधियों में शामिल था. उसने आपराधिक साजिशें भी रची थीं. इसके साथ ही उसने स्वीकार किया है कि उस पर लगी देशद्रोह की धारा भी सही हैं. यासीन पर जो UAPA के तहत धाराएं लगी हैं, उसे भी उसने स्वीकार कर लिया है.
यासीन मलिक पर लगी हैं ये धाराएं
आतंकी यासीन मलिक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 16 (आतंकवाद कानून), धारा 17 (आतंकी फंडिंग), धारा 18 (आतंकी साजिश रचने) और धारा 20 (आतंकी गिरोह का सदस्य) लगाई गई है। इसके साथ ही उस पर यूएपीए, 120बी (आपराधिक साजिश) और धारा 124ए (राजद्रोह) भी लगाई गई है।
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आतंकवादी बुरहान बानी की मौत के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में इज़ाफा हुआ. जम्मू-कश्मीर का माहौल ख़राब किया गया. पाकिस्तान में बैठे आतंकी आकांओ ने जम्मू-कश्मीर के मुस्लिम युवाओं को भड़काया. 19 मई को कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा. यासीन मलिक को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है.
कांग्रेस का दुलारा!
अब आप समझने की कोशिश कीजिए- यह वही यासीन मलिक है जिसकी पहुंच एक वक्त में सीधे PMO तक हुआ करती थी. यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह इस आतंकवादी को अपना मुख्य अतिथि बनाकर बुलाते थे और उससे मुलाकात करते थे. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहर सिंह के साथ आतंकी यासीन मलिक की प्रसिद्ध फ़ोटो सभी ने देखी है.
इससे एक बात साफ होती है कि जो आतंकी देश को तोड़ने के लिए पाकिस्तान से पैसे ले रहे थे- जो आतंकी जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग रचने के लिए साज़िशें रच रहे थे- जो आतंकी मुस्लिम युवाओं को भारत के विरुद्ध भड़का रहे थे- वही आतंकी कांग्रेस पार्टी की सरकार के लिए मेहमान थे. उसी आतंकी से देश का प्रधानमंत्री मुलाकात करता था- क्या यह देश की सुरक्षा के साथ सीधा-सीधा खिलवाड़ नहीं था ?
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कांग्रेस के लिए वैसे यह कुछ नया भी नही था. आतंकियों के प्रति कांग्रेस के दिल में हमेशा से ही एक सॉफ्ट कॉर्नर रहा है, ये अब किसी से छिपा नही है. कांग्रेस के चिरयुवा प्रिंस राहुल गांधी पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड मसूद अज़हर को मसूद अज़हर जी कहते हैं. कांग्रेस के ही दूसरे नेता दिग्विजय सिंह 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज़ सईद को हाफिज़ सईद ‘साहब’ कहते हैं.
ऐसे में जिस आतंकी को पकड़कर जेल में डालना चाहिए था- जिस आतंकी पर जेल में डंडे पड़ने चाहिए थे- उस आतंकी के साथ बैठकर रायसीना की पहाड़ियों पर चाय-कॉफी पी जाती थी. लेकिन केंद्र में सरकार बदली. नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो उस आतंकी को उसकी सही जगह पहुंचाया दिया गया.
इंडिया टुडे का ‘यूथ आइकॉन’
ऐसा नहीं है कि सिर्फ कांग्रेस पार्टी और उनकी सरकार ने ही आतंकी यासीन मलिक को हीरो बनाया बल्कि इसमें पूरी भूमिका कांग्रेस के ‘इकोसिस्टम’ ने भी निभाई. कांग्रेस का पूरा ‘इकोसिस्टम’ आतंकी यसीन मलिक को राजनेता के तौर पर पेश करता रहा. वर्ष था 2008. दिल्ली में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव हो रहा था. और इस कॉन्क्लेव में ‘यूथ आइकॉन’ के तौर पर आतंकी यासीन मलिक को बुलाया गया था. ऐसा नहीं है कि इसका विरोध नहीं हुआ. कश्मीरी पंडितों ने इसका ख़ूब विरोध किया लेकिन इंडिया टुडे ने इसे नजरअंदाज़ कर दिया.
टुकड़े-टुकड़े गैंग का नायक!
कश्मीर को नर्क की आग में झोंकने वाला आतंकी यासीन मलिक वामपंथियों और लिब्रांडुओं का भी हीरो था. जब भी आतंकी यासीन मलिक के विरुद्ध कुछ भी होता तो वामपंथी, कम्युनिस्ट, अर्बन नक्सल और लिब्रांडुओं का पूरा इकोसिस्टम एक साथ शोर मचाने लगता. सभी उसके पक्ष में आ जाते और उस ‘बेचारे’ को बचाने में लग जाते.
आतंकी यासीन मलिक ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ का भी पसंदीदा नायक था. अरुंधति रॉय समेत गिरोह के तमाम सदस्य नियमित तौर पर आतंकी के साथ दिखते थे.
ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आतंकी यासीन मलिक ने तो अपने गुनाह कबूल लिए लेकिन इसके दोस्त अपने अपराध कब कबूल करेंगे ?
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