दक्षिण कोरिया ने जताई क्वाड से जुड़ने की इच्छा, बिलबिलाने लगा ‘ड्रैगन’

चीन और उत्तर-कोरिया को लेकर सख्त रहने वाले हैं राष्ट्रपति यूं सुक-योल।

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दक्षिण कोरिया की राजनीति में मूलभूत परिवर्तन आ चुका है। अब वहां कंजरवेटिव पार्टी का शासन है। दक्षिणपंथी राजनीति करने वाली वर्तमान सत्ताधारी पार्टी उत्तर कोरिया और चीन को लेकर कठोर नीति अपनाने वाली है। यही कारण है कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक-योल (Yoon Suk-yeol) क्वाड (Quad) में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं।

दक्षिण कोरिया, एशिया का एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली देश है। उत्तर कोरिया के साथ विवाद के कारण दक्षिण कोरिया कूटनीतिक दृष्टिकोण से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपना विशेष स्थान रखता है। इसके अतिरिक्त अपनी तकनीकी उन्नति और उन्नत अर्थव्यवस्था तथा मजबूत रक्षा उत्पादन सेक्टर के कारण यह देश अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अब तक दक्षिण कोरिया उत्तर कोरिया सहित चीन के विरुद्ध एक सुरक्षात्मक नीति अपनाकर चल रहा था। लेकिन अब दक्षिण कोरिया के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई राष्ट्रपति चीन और उत्तर कोरिया के विरुद्ध कठोर नीति अपनाने की बात कह रहा है।

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अपने चुनाव अभियान के दौरान ही वर्तमान राष्ट्रपति यूं सुक-योल (Yoon Suk-yeol) उत्तर कोरिया को सबक सिखाने की बात करते रहे हैं। उन्होंने कहा है कि उनके शासन में अमेरिका और जापान के साथ रिश्ते सुधारना उनकी प्राथमिकता है। साथ ही उन्होंने कहा है कि चीन के साथ रिश्ते द्विपक्षीय सम्मान के आधार पर चलेंगे। इसके साथ ही उन्होंने आमंत्रित होने पर क्वाड में शामिल होने की इच्छा जताई है।

इससे चीन बिलबिलाने लगा है। चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने इसको लेकर एक संपादकीय लिखा है। इसमें लिखा गया है कि दक्षिण कोरिया क्वाड में शामिल होकर इन देशों का मुहरा बन जाएगा। चीन की ये कुलबुलहाट और दक्षिण कोरिया की क्वाड से जुड़ने की ललक देखकर साफ पता चलता है कि चीन-अमेरिका के ‘शीतयुद्ध’ में दक्षिण कोरिया सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है बशर्ते अमेरिका उसके साथ सहयोग के लिए तैयार हो।

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दक्षिण कोरिया की नीति में आए परिवर्तन का सीधा प्रभाव चीन के रवैया पर पड़ रहा है। दक्षिण कोरिया की ओर से क्वाड में शामिल होने की बात उठाई जाने के बाद चीन के उपराष्ट्रपति दक्षिण कोरिया के दौरे पर गए हैं।

क्वाड के 2 देशों अमेरिका और भारत के साथ दक्षिण कोरिया के सैन्य संबंध पहले से स्थापित हैं। भारत-दक्षिण कोरिया से रक्षा उपकरण जैसे टैंक आदि खरीदता है। दोनों देशों के आर्थिक संबंध बहुत मजबूत हैं। ऐसे में दक्षिण कोरिया का क्वाड में स्वागत भारत के लिए भी अच्छा होग।

हालांकि यहां एक बात आवश्यक है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यदि दक्षिण कोरिया क्वाड में प्रवेश करता है तो क्वाड ‘उत्तर कोरिया’ केंद्रित ना हो जाए।

क्वाड का मूल उद्देश्य चीन के विस्तार को रोकना है, किन्तु दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया की दुश्मनी और दक्षिण कोरिया का इस ग्रुप में प्रवेश इस समूह को इसके लक्ष्य से भटका सकता है।

इस संदर्भ में दक्षिण कोरिया को भारत से सीख लेनी चाहिए। भारत ने क्वाड के मंच का प्रयोग कभी पाकिस्तान के विरुद्ध किसी कार्यवाही के लिए नहीं किया है। इस प्रकार के छोटे-मोटे झगड़े किसी बड़ी शक्ति को स्वयं सुलझाने चाहिए।

अगर दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया के विरुद्ध प्रभावी शक्ति बनना है तो उसे अपने झगड़े खुद सुलझाने होंगे। क्वाड को उसके मूल लक्ष्य से नहीं भटकना चाहिए।

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