‘स्टार कल्चर’ की रणनीति दक्षिण में भाजपा की राजनीति का ‘कमल’ खिला सकती है

दक्षिण में ‘हीरोगिरी’ करने वाले ‘नेतागिरी’ में भी चमक जाते हैं!

dakshin bhaarat

Source- TFIPOST.in

एक चुनावी रणनीतिकार के तौर पर अगर आपसे पूछा जाये की वो कौन सी रणनीति है जो भाजपा को दक्षिण भारत के राज्यों में चुनाव जीता सकती हैं तो आप क्या कहेंगे? शायद, आप कहें कार्यकर्ताओं की कर्मठता या फिर नेतृत्व की क्षमता। आपका उत्तर जो भी हो पर, इन सभी गुणों को एक दल में उभारने के लिए वक़्त चाहिए। इतना वक्त भाजपा के पास है नहीं क्योंकि 2024 में पूरे देश में लोकसभा चुनाव आनेवाले है और 1-2 समय में पूरे दक्षिण भारत में विधानसभा का चुनावी युद्ध शुरू हो जायेगा।

भाजपा एक बात जानती है की उत्तर भारत के राज्यों में वो अपने सत्ता के चरम पर पहुँच चुकी है। राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, गुजरात और हरियाणा में ऐसा कोई कारण नहीं हैं जहाँ भाजपा के सीटों में अप्रत्याशित वृद्धि हो। पूर्वोत्तर के राज्यों में भी पूर्णतः NDA की सरकार है। अतः इस बार दिल्ली का उत्तर से होकर नहीं बल्कि दक्षिण से होकर गुजरेगा।

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दक्षिण में भाजपा को मजबूत करना होगा संगठन

भाजपा इसके लिए दीनदयाल उपाध्याय के समय से अथक परिश्रम कर रही है। दक्षिण में भगवा फहराने का स्वप्न जनसंघ के कालीकट अधिवेशन में देखा गया और तब से यह स्वप्न पूर्ण नहीं हो सका। अटल-आडवाणी की जोड़ी ने भी कोशिश की पर कमल नहीं खिला सके। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भाजपा ने अपने प्रथम ७ में से 3 अध्यक्ष दक्षिण भारत से बनाये जिसमें बंगारू लक्षमण और वेंकैया नायडू प्रमुख हैं।पर, इसका असर सिर्फ और सिर्फ कर्नाटक तक ही रहा।

हाल ही के लोकसभा चुनाव में भाजपा को दक्षिण की १३० लोकसभा सीटों में से ३१ पर ही विजय प्राप्त हुआ जिसमें से दो तिहाई कर्नाटक से आई हैं और इसके बदले संघ और भाजपा का अथक संघर्ष रहा है। आप सभी तो जानते ही हैं की इतना सब पाने के लिए ही भाजपा ने केरल में १०० से अधिक कार्यकर्ता गंवा दिए।

तो भाजपा ऐसा क्या करे जो अल्पकाल में ही ना सिर्फ उसके लिए एक राजनीतिक जमीन तैयार कर दे बल्कि उसके दक्षिण विजय का मार्ग भी प्रशस्त करे। इसका उत्तर है- “StarPolitics।” यहाँ एक बात ध्यान रखने योग्य है की हम भाजपा को उसके राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के विचारों से अलग हटने के लिए नहीं कह रहें है बल्कि हम ये समझा रहें हैं की भाजपा को दक्षिण भारत के लोगों का विश्वास पाने के वहां की StarPolitics परंपरा को जारी रखते हुए वैसे कलाकारों को अपने संगठन से जोड़ना चाहिए।

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क्या इस रणनीति से भाजपा का भाग्योदय होगा?

दक्षिण भारत की लोकप्रिय अभिनेत्री नमिता और अभिनेत्री राधा रवि ने भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुई थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें की नमिता 2016 की शुरुआत में पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे जयललिता की मौजूदगी में अन्नाद्रमुक में शामिल हुई थीं। इसके अलावा दक्षिण भारतीय फिल्म स्टार से नेता बनीं सुमलता अंबरीश, जो लोकसभा में मांड्या का प्रतिनिधित्व करती हैं, भाजपा में अपने राजनीतिक भविष्य के विकल्पों पर विचार कर रही हैं। मीडिया के कुछ हिस्सों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि सुमलता भाजपा में शामिल होंगी क्योंकि वह राज्य की राजनीति में अपने अभिनेता-बेटे अभिषेक अंबरीश को लॉन्च करने की योजना बना रही हैं।

इसके अलावा कोनिडेला कल्याण बाबू, जिन्हें प्यार से पवन कल्याण के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय अभिनेता, निर्देशक, लेखक, राजनीतिज्ञ और चिरंजीवी के छोटे भाई हैं। 2014 में, उन्होंने जन सेना पार्टी से राजनीति में अपनी शुरुआत की और बीजेपी के विचारों के करीब अपने पार्टी का सिद्धांत रखते हैं। खुशबू सुंदर एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री, निर्माता और टेलीविजन प्रस्तोता हैं जिन्होंने 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए पांच तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवॉर्ड और एक केरल स्टेट फिल्म अवॉर्ड (स्पेशल मेन्शन) मिला है। अब उन्होंने भी बीजेपी ज्वाइन कर लिया है। पर ज़रा सोचिये, क्या हो अगर ‘KGF’ के यश और ‘RRR’ के रामचरण और जूनियर एनटीआर और बाहुबली के निर्देशक राज्मौली भी बीजेपी ज्वाइन कर लें? क्या यह दक्षिण में बीजेपी का भाग्योदय नहीं कर देगी?

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पर इसके लिए बीजेपी के प्रति दक्षिण के लोगो में भरे पूर्वाग्रह को हटाना होगा। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को उनके भाषायी संस्कृति के दोस्त के रूप में पेश करते हुए ब्राह्मणवाद का झूठा भ्रम भी दूर करना होगा अन्यथा कोई भी दक्षिण का कलाकार भाजपा के साथ जुड़ने से परहेज़ करेगा जैसे अजीत ने किया था।

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