भारत आज विश्व का नेतृत्व कर रहा है। हर मोर्चे पर भारत वैश्विक महाशक्तियों को टक्कर दे रहा है। कोरोना महामारी से लेकर यूक्रेन युद्ध तक भारत ने अपने कड़े और बड़े फैसलों से बता दिया है कि यह भारत, नया भारत है, जो ना झुकेगा और ना सुनेगा। ऐसे में पश्चिम की कथित उदारवारी और वामपंथी मीडिया द्वारा भारत के विरुद्ध जमकर एजेंडा चलाया जाता है। भारत के विरुद्ध झूठी ख़बरें फैलाई जाती हैं। भारत के विरुद्ध नफरत फैलाई जाती है।
पश्चिम की वामपंथी मीडिया हर बार अपने एजेंडे को फैलाते वक्त रंगे हाथों पकड़ी जाती है और लोगों के सामने दूध का दूध पानी का पानी हो जाता है। भारतीय वामपंथी मीडिया की तरह ही पश्चिमी की वामपंथी मीडिया को भी इसी बात से दिक्कत है कि केंद्र में बीजेपी सरकार कैसे चला रही है। मोदी प्रधानमंत्री कैसे बन गए? इसी फ्रस्टेशन में पश्चिमी मीडिया पिछले 8 वर्षों से भारत के विरुद्ध एजेंडा चला रही है।
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अब अमेरिकी पत्रिका द अटलांटिक ने भी एक और एजेंडे को सेट करने की कोशिश की है। ‘द अटलांटिक’ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट का शीर्षक है- ‘भारत का हिंदूकरण लगभग पूरा हो चुका है।’ इस रिपोर्ट को यासीन सेरहान ने लिखा है। इस पूरी रिपोर्ट के पीछे का मक्सद इसके शीर्षक से ही पता चल जाता है।
शीर्षक से ही साफ हो जाता है कि रिपोर्ट को एक एजेंडे के तहत कवर किया गया है- एक पूर्वाग्रह के साथ तैयार किया गया है। एक धर्म विशेष को भड़काने के उद्देश्य के साथ तैयार किया गया है। रिपोर्ट में लिखा है कि मुस्लिमों से एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का वादा किया गया था, लेकिन भारत अब धर्मनिरपेक्ष नहीं रहा है।
अटलांटिक ने अपने लेख में भारत के विभाजन को एक धर्म विशेष के खिलाफ हुई प्रताड़ना के तौर पर दिखाया है जबकि भारत के विभाजन में तो लाखों हिंदुओं के साथ जुल्म हुआ था। अटलांटिक को अपने लेख में यह भी बताना चाहिए था कि पाकिस्तान ने अपने अल्पसंख्यकों का सफाया कर दिया है।
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‘द अटलांटिक’ ने अपनी रिपोर्ट में पीएम मोदी को टारगेट बनाया है। पूरे लेख में पीएम मोदी पर निशाना साधा गया है। पीएम मोदी की हिंदू छवि को कुछ इस तरह से पेश किया गया है मानो पीएम मोदी ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया हो।
साफ शब्दों में कहें तो यह लेख सिर्फ मोदी को बदनाम के लिए लिखा गया है, इससे ज्यादा कुछ भी नही है। पश्चिमी मीडिया द्वारा यह कृत्य पहली बार नहीं किया गया है, इससे पहले कोरोना काल के समय में भी इसी तरह का भारत विरोधी दुष्प्रचार करने की कोशिश की थी जिसका भांडा बाद में फूट गया।
यह तो सभी को पता है कि वाम-उदारवादी लॉबी देश में अराजकता पैदा करने के लिए मोदी शासन के खिलाफ षड़यंत्र रचती है। ‘द अटलांटिक’ का नवीनतम लेख भी यही दर्शाता है और भारत में रह रहे लोगों के मन में उन्माद पैदा करने के एक और ठोस प्रयास के रूप में प्रतीत होता है। इसलिए भारत को ऐसे शरारती प्रयासों से सावधान रहने की जरूरत है और पश्चिमी मीडिया के हर झूठे दावे को बेनकाब करने की जरुरत है।
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